क्या पोर्टेबल डीएनए सीक्वेंसिंग डिवाइस एंटीबायोटिक प्रतिरोध की खोज में मदद कर सकता है?

सारांश
Key Takeaways
- पोर्टेबल डीएनए सीक्वेंसिंग डिवाइस एंटीबायोटिक प्रतिरोध की पहचान में सहायक है।
- यह तकनीक स्थानीय स्तर पर दवाओं के प्रति प्रतिरोध का पता लगा सकती है।
- इससे सामुदायिक स्वास्थ्य में सुधार होगा।
- वैश्विक स्वास्थ्य संकट को रोकने में यह एक महत्वपूर्ण उपकरण हो सकता है।
- इस शोध में ई.कोलाई बैक्टीरिया के प्रसार की जांच की गई है।
नई दिल्ली, 28 जून (राष्ट्र प्रेस)। एक नई रिसर्च के अनुसार, पोर्टेबल डीएनए सीक्वेंसिंग डिवाइस जानवरों और पर्यावरण में एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति बढ़ते प्रतिरोध (दवाओं का बेअसर होना) का पता लगाने में सहायता प्रदान कर सकता है।
इस तकनीक के माध्यम से एंटीबायोटिक प्रतिरोध को कम करने के लिए प्रभावशाली और किफायती उपाय किए जा सकेंगे।
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन, इंडोनेशिया के कृषि मंत्रालय और अमेरिका की एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने मिलकर इंडोनेशिया के ग्रेटर जकार्ता क्षेत्र में छह मुर्गीखानों पर इस डिवाइस का परीक्षण किया।
वैज्ञानिकों ने मुर्गीखानों से निकलने वाले गंदे पानी और आसपास की नदियों से नमूने लिए। जांच में यह खुलासा हुआ कि मुर्गीखानों के गंदे पानी में मौजूद ई.कोलाई बैक्टीरिया, जो दवाओं के बेअसर होने का संकेतक है, आसपास की नदियों तक पहुंच रहा है।
कई स्थानों पर यह देखा गया कि जहां गंदा पानी मिलता है, वहां ई.कोलाई की मात्रा अधिक है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि जानवरों के अपशिष्ट के माध्यम से यह समस्या फैल सकती है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह पोर्टेबल डिवाइस स्थानीय स्तर पर तेजी से और किफायती तरीके से एंटीबायोटिक प्रतिरोध का पता लगाने में सक्षम है। इससे प्रतिरोधी ई.कोलाई के प्रसार को रोकने में मदद मिलेगी, जो बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों में दस्त जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है।
एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के बायोडिजाइन सेंटर में कार्यरत शोधकर्ता ली वॉथ-गेडर्ट ने बताया, “कुछ स्थानों पर दस्त जैसी समस्या जानलेवा हो सकती है।”
वैज्ञानिकों ने बताया कि एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) यानी दवाओं के प्रति रोगाणुओं की प्रतिरोधकता एक बड़ा वैश्विक संकट है। वर्ष 2021 में इसके कारण 47.1 लाख मौतें हुईं, जिनमें 11.4 लाख प्रत्यक्ष रूप से एएमआर से जुड़ी थीं। अनुमान है कि वर्ष 2050 तक यह आंकड़ा बढ़कर 82.2 लाख हो सकता है।
यह मोबाइल सीक्वेंसिंग तकनीक खेतों, गीली जगहों और अन्य रोगजनकों जैसे बर्ड फ्लू की निगरानी के लिए भी अत्यंत उपयोगी हो सकती है। यह शोध जर्नल ‘एंटीबायोटिक्स’ में प्रकाशित हुआ है।