क्या सर्वांगासन हार्मोन बैलेंस कर तनाव और अनिद्रा से छुटकारा दिलाता है?
सारांश
Key Takeaways
- सर्वांगासन हार्मोनल संतुलन में सहायक है।
- यह तनाव और अनिद्रा को कम करता है।
- सामान्य स्वास्थ्य के लिए थायरॉइड ग्रंथि को उत्तेजित करता है।
- पाचन तंत्र को मजबूती देता है।
- गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है।
नई दिल्ली, 16 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। हार्मोनल असंतुलन के कारण शरीर में अनेक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। ऐसे में सर्वांगासन का नियमित अभ्यास इन समस्याओं को दूर करने में सहायक है। यह आसन थायरॉइड, रक्त संचार और मानसिक शांति के लिए अत्यंत लाभकारी है।
यह आसन शरीर के सभी अंगों के लिए फायदेमंद है, इसलिए इसे 'सर्वांगासन' नाम दिया गया है। इसके नियमित अभ्यास से हार्मोनल संतुलन, पाचन में सुधार और तनाव में कमी आती है। इस आसन का अभ्यास सुबह खाली पेट या शाम को करना चाहिए।
सर्वांगासन का अभ्यास करने का तरीका जानें। सबसे पहले योग मैट पर पीठ के बल सीधा लेटें। दोनों हाथों को शरीर के साथ रखें और हथेलियां जमीन की ओर हों। अब गहरी सांस लें और दोनों पैरों को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं, घुटनों को सीधा रखें। जब पैर मुड़ने लगे, तो हाथों से कमर को सहारा दें। इस दौरान कोहनियों को जमीन पर टिकाए रखें और शरीर को कंधों से सिर तक सीधा रखें जैसे कि आप उल्टे खड़े हैं। ठोड़ी को छाती से सटाएं और इस स्थिति में संतुलन बनाए रखें। सामान्य सांस लेते रहें। शुरुआत में इस मुद्रा में 30 सेकंड से 1 मिनट तक रहें, फिर धीरे-धीरे समय बढ़ाएं। वापस लौटने के लिए पैरों को धीरे-धीरे नीचे करें और आराम करें।
सर्वांगासन थायराइड ग्रंथि को उत्तेजित करता है, जो हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरॉइडिज्म में मदद करता है। यह रक्त को मस्तिष्क की ओर बहाता है, जिससे स्मृति, एकाग्रता और नींद में सुधार होता है। पाचन तंत्र मजबूत होता है, कब्ज दूर होती है और पेट की चर्बी कम होती है। रीढ़ की हड्डी लचीली बनती है और कंधे-गर्दन के दर्द में राहत मिलती है। महिलाओं के लिए भी यह आसन अत्यंत लाभकारी है, क्योंकि यह पीरियड्स में अनियमितता और दर्द को कम करने में मदद करता है। यह आसन इम्यूनिटी बढ़ाता है, त्वचा को चमकदार बनाता है और तनाव एवं डिप्रेशन से मुक्ति दिलाता है। इसके नियमित अभ्यास से हृदय स्वास्थ्य भी बेहतर होता है।
हालांकि, सर्वांगासन का अभ्यास करते समय कुछ विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए। गर्भवती महिलाओं, पीरियड्स में और हृदय रोग वाले व्यक्तियों को इस आसन से दूर रहना चाहिए। यदि सिरदर्द, माइग्रेन या साइनस की समस्या है, तो अभ्यास के दौरान गर्दन पर दबाव न डालें, अन्यथा चोट लग सकती है।