क्या ऋषिकेश के गंगा तट पर योगासन के आयोजन से विश्व में योग का वर्चस्व बढ़ रहा है?

सारांश
Key Takeaways
- ऋषिकेश में योग दिवस का भव्य आयोजन हुआ।
- 25 देशों के राजदूतों ने गंगा तट पर योग किया।
- स्वामी चिदानंद सरस्वती ने योग के महत्व को बताया।
- उत्तराखंड योग नीति 2025 लागू की गई।
- योग को विश्व स्तर पर एक महत्वपूर्ण स्थान दिया जा रहा है।
ऋषिकेश, 21 जून (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड के ऋषिकेश में योग दिवस का एक शानदार आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में 25 देशों के राजदूत, उच्चायुक्त, राजनयिक और उच्चाधिकारियों ने गंगा तट पर योगासन का अभ्यास किया। इस आयोजन का आयोजन परमार्थ निकेतन ने किया। आध्यात्मिक संस्थान के प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती ने इसे गर्व का विषय बताया और विषय के चयन को भी महत्वपूर्ण बताया।
स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि पूरे विश्व में योग का वर्चस्व बढ़ रहा है। उन्होंने 'योग कर निरोग रहने' का मंत्र भी प्रस्तुत किया।
उन्होंने कहा, "योग का करिश्मा अद्भुत है और यह लगातार बढ़ता जा रहा है। योग की मशाल आगे बढ़ रही है। इस बार तो नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। परमार्थ निकेतन में गंगा के पावन तट पर 25 देशों के राजदूत, उच्चायुक्त, राजनयिक और उच्चाधिकारी ने योगाभ्यास किया।"
आध्यात्मिक गुरु ने थीम को भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना। उन्होंने कहा, "उत्तराखंड की भूमि संयम, संगम, जुड़ने और जोड़ने की भूमि है। गंगा में सभी नदियां समाहित हैं, और योग भी यही करता है, यह सभी को जोड़ता है। इस बार की अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम 'वन अर्थ वन हेल्थ' है। इसका अर्थ है कि हमारे पास केवल एक ही धरती है और यह तभी स्वस्थ रहेगी जब हम स्वयं स्वस्थ रहेंगे।"
जानकारी के लिए बता दें कि 21 जून को ही धामी सरकार ने उत्तराखंड योग नीति 2025 लागू कर दी है। इसके तहत 2030 तक उत्तराखंड में कम से कम पांच नए योग हब स्थापित करने का लक्ष्य है। जागेश्वर, मुक्तेश्वर, व्यास घाटी, टिहरी झील और कोलीढेक झील क्षेत्र में योग हब स्थापित होंगे। प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसका ऐलान करते हुए कहा, "हम एक ओर वर्ष 2030 तक राज्य में 5 नए योग हब की स्थापना करेंगे, वहीं मार्च 2026 तक राज्य के सभी आयुष, हेल्थ एवं वेलनेस सेंटर में योग सेवाओं की उपलब्धता भी सुनिश्चित करेंगे।"
यह उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित करने का प्रस्ताव रखा था। यह प्रस्ताव 11 दिसंबर 2014 को पारित हुआ, जिसके बाद 2015 से हर साल इस दिन को दुनिया भर में योग के महापर्व के रूप में मनाया जाता है।