क्या सर्दियों में इस समय वॉक करने से दिल और फेफड़े मजबूत होते हैं, वजन भी कम होता है?
सारांश
Key Takeaways
- सुबह 8 से 11 बजे और शाम 4 से 5:30 बजे वॉक करना लाभकारी है।
- वॉक करने से वजन कम होता है और दिल और फेफड़े मजबूत होते हैं।
- ठंड में वॉक करने से कैलोरी बर्न तेजी से होती है।
- सर्दियों में गर्म कपड़े पहनकर वॉक करना जरूरी है।
- 40 से 45 मिनट की वॉक पर्याप्त मानी जाती है।
नई दिल्ली, 24 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में स्वास्थ्य का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। मोबाइल, स्क्रीन और बैठकर काम करने की आदतों ने शरीर को सुस्त बना दिया है। ऐसे में अगर कोई सबसे सरल और प्रभावी उपाय है, तो वह है वॉक यानी टहलना। आयुर्वेद में चलने को सेहत के लिए महत्वपूर्ण माना गया है, वहीं विज्ञान भी इसे स्वास्थ्य की नींव मानता है।
वॉक करने से न केवल वजन संतुलित रहता है, बल्कि दिल, फेफड़े, मांसपेशियां और दिमाग भी स्वस्थ रहते हैं। लेकिन जब सर्दियों का मौसम आता है और कड़ाके की ठंड पड़ती है, तो यह सवाल उठता है कि आखिर सर्दियों में टहलने का सही समय क्या है।
आयुर्वेद के अनुसार, सर्दी का मौसम कफ दोष को बढ़ाता है। इस दौरान शरीर भारी, सुस्त और आलसी महसूस करता है। अगर इस समय सही तरीके से घूमने का ध्यान न रखा जाए, तो वजन बढ़ना, जकड़न, सर्दी-खांसी और पाचन से जुड़ी समस्याएं बढ़ सकती हैं। वहीं विज्ञान कहता है कि ठंड में शरीर खुद को गर्म रखने के लिए अधिक ऊर्जा खर्च करता है। ऐसे में अगर वॉक की जाए, तो कैलोरी बर्न तेजी से होती है और फैट कम जमा होता है।
सर्दियों में वॉक के लिए सबसे अच्छा समय सुबह आठ से ग्यारह बजे के बीच माना जाता है। आयुर्वेद अनुसार, सूर्योदय के बाद जब हल्की धूप निकलती है, तो शरीर में गर्माहट आती है और कफ दोष धीरे-धीरे संतुलित होने लगता है। धूप से मिलने वाला प्राकृतिक विटामिन-डी हड्डियों को मजबूत करता है और इम्युनिटी बढ़ाता है। विज्ञान का भी यही मानना है कि इस समय शरीर का मेटाबॉलिज्म सक्रिय होता है, जिससे फैट बर्न बेहतर होता है।
सुबह खाली पेट हल्की वॉक करना भी लाभकारी माना जाता है, लेकिन यह सभी के लिए नहीं है। आयुर्वेद के अनुसार, जिनकी पाचन शक्ति कमजोर है या जिन्हें चक्कर, कमजोरी या लो ब्लड प्रेशर की समस्या है, उन्हें पूरी तरह खाली पेट नहीं चलना चाहिए। ऐसे लोग गुनगुना पानी या थोड़ा फल लेकर वॉक पर जाएं। विज्ञान का कहना है कि शरीर को अधिक थकाने के बजाय धीरे-धीरे एक्टिव करना बेहतर होता है, ताकि हार्मोन का संतुलन बना रहे।
अगर किसी कारण से सुबह वॉक करना संभव न हो, तो शाम चार से साढ़े पांच बजे का समय भी अच्छा माना जाता है। आयुर्वेद में शाम को हल्का चलना पाचन के लिए लाभकारी बताया गया है। इससे दिनभर खाया गया भोजन सही तरीके से पचता है और रात में भारीपन नहीं होता। विज्ञान के अनुसार, शाम की वॉक तनाव कम करती है, ब्लड शुगर को नियंत्रित रखती है और अच्छी नींद लाने में मदद करती है। ठंड के मौसम में शाम की वॉक करते समय गर्म कपड़े पहनना जरूरी है, ताकि शरीर की गर्मी बनी रहे।
अगर बात करें कि कितनी देर तक टहलना चाहिए, तो आयुर्वेद कहता है कि चलना इतना हो कि शरीर में पसीना आए, लेकिन थकावट न हो। आमतौर पर 40 से 45 मिनट की वॉक शरीर के लिए पर्याप्त मानी जाती है। विज्ञान भी रोजाना करीब 8 से 10 हज़ार कदम चलने की सलाह देता है, जिससे दिल स्वस्थ रहता है और वजन संतुलित रहता है। बहुत तेज चलने के बजाय मध्यम गति से वॉक करना अधिक फायदेमंद होता है।