क्या राष्ट्रपति मुर्मू ने आईडीएएस के परिवीक्षाधीन अधिकारियों से मुलाकात कर आजीवन सीखने का आग्रह किया?

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क्या राष्ट्रपति मुर्मू ने आईडीएएस के परिवीक्षाधीन अधिकारियों से मुलाकात कर आजीवन सीखने का आग्रह किया?

सारांश

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आईडीएएस के अधिकारियों से मुलाकात की, जहां उन्होंने वित्तीय प्रबंधन के महत्व और आजीवन सीखने की प्रेरणा दी। उनके विचार से, यह न केवल व्यक्तिगत विकास के लिए, बल्कि देश की सुरक्षा और विकास के लिए भी आवश्यक है।

Key Takeaways

  • राष्ट्रपति मुर्मू का आजीवन सीखने का संदेश
  • रक्षा लेखा सेवा की भूमिका
  • आत्मनिर्भर भारत अभियान का समर्थन
  • बदलते भू-राजनीतिक वातावरण की चुनौती
  • स्थानीय उद्योग को बढ़ावा देने की आवश्यकता

नई दिल्ली, २४ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय रक्षा लेखा सेवा (आईडीएएस) के २०२४ बैच के परिवीक्षाधीन अधिकारियों ने बुधवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। राष्ट्रपति ने इन अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय रक्षा लेखा सेवा के अधिकारी भारतीय सशस्त्र बलों और संबद्ध संगठनों के वित्तीय संसाधनों के प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि बजट बनाने और लेखांकन से लेकर लेखापरीक्षा, भुगतान, वित्तीय परामर्श और रक्षा व्यय में पारदर्शिता सुनिश्चित करने तक, अधिकारियों की भूमिका का सीधा प्रभाव परिचालन तत्परता और रक्षा अवसंरचना के विकास पर पड़ता है।

राष्ट्रपति ने उन्हें सलाह दी कि रक्षा सेवाओं के प्रधान लेखा और वित्तीय प्राधिकारी के रूप में उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे हमारे सशस्त्र बलों के सामने आने वाली विशिष्ट चुनौतियों, कठिनाइयों और परिचालन वास्तविकताओं को भली-भांति समझें।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि हम तीव्र परिवर्तन के दौर में रह रहे हैं। बदलता भू-राजनीतिक वातावरण और उभरती सुरक्षा चुनौतियां त्वरित, अधिक कुशल और सटीक निर्णय लेने की मांग करती हैं। साथ ही व्यावसायिक प्रक्रियाएं अधिक जटिल और प्रौद्योगिकी-संचालित होती जा रही हैं। इस संदर्भ में रक्षा लेखा विभाग को निरंतर अनुकूलन, नवाचार और आधुनिकीकरण करना चाहिए। स्वदेशी उत्पादन को प्रोत्साहित करके, स्थानीय आपूर्ति शृंखलाओं को मजबूत करके और घरेलू उद्योग को बढ़ावा देकर भारत सरकार के महत्वाकांक्षी 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' को सक्रिय रूप से समर्थन देने की आवश्यकता है। भारतीय रक्षा लेखा सेवा के अधिकारी भी एक आत्मनिर्भर और मजबूत रक्षा इको-सिस्टम के निर्माण में योगदान दे सकते हैं।

राष्ट्रपति ने आईडीएएस अधिकारियों से आजीवन सीखने, जिज्ञासु बने रहने और आत्मविश्वास के साथ बदलाव को अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने उन्हें यह भी स्मरण कराया कि सेवा का वास्तविक मापदंड पद या मान्यता में नहीं, बल्कि संस्थानों के प्रभावी संचालन और नागरिकों के कल्याण में उनके सतत योगदान में निहित होता है।

Point of View

बल्कि उन्हें एक व्यापक दृष्टिकोण देने का भी है, जिससे वे देश की सुरक्षा और विकास में सक्रिय रूप से भाग ले सकें। यह एक सकारात्मक संकेत है कि हमारे नेतृत्व का ध्यान न केवल वर्तमान चुनौतियों पर है, बल्कि भविष्य की तैयारियों पर भी है।
NationPress
24/12/2025

Frequently Asked Questions

आईडीएएस का क्या कार्य है?
आईडीएएस भारतीय सशस्त्र बलों और संबद्ध संगठनों के वित्तीय संसाधनों का प्रबंधन करता है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने अधिकारियों को क्या सलाह दी?
उन्होंने अधिकारियों को आजीवन सीखने और बदलाव को अपनाने का आग्रह किया।
रक्षा लेखा सेवा का महत्व क्या है?
यह सशस्त्र बलों की परिचालन तत्परता और वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करती है।
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