क्या सर्दियों में खाने की लालसा बढ़ जाना सामान्य है?
सारांश
Key Takeaways
- सर्दियों में खाने की लालसा सामान्य है।
- हार्मोन और जीन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- मेटाबॉलिज्म का बदलाव भूख को प्रभावित करता है।
- पर्याप्त नींद और व्यायाम सहायक होते हैं।
- सर्कैडियन रिद्म की भूमिका है।
नई दिल्ली, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। सर्दियों में खाने की लालसा का बढ़ना एक सामान्य घटना है, लेकिन वैज्ञानिक अनुसंधान बताते हैं कि इसका कारण केवल ठंड या पर्वों का माहौल नहीं है, बल्कि हार्मोन और कुछ जीन भी इस प्रक्रिया में शामिल होते हैं।
जैसे ही तापमान गिरता है, भूख की तीव्रता अचानक बढ़ जाती है, मीठा खाने की इच्छा प्रबल हो जाती है और तली-भुनी चीजें और भी आकर्षक लगने लगती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, सर्दियों में हमारे शरीर का मेटाबॉलिज्म, हार्मोन और जीन एक विशेष स्थिति में चले जाते हैं, जो ऊर्जा भंडारण पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
कुछ चूहों पर किए गए अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि खाने की क्रेविंग जीन द्वारा प्रभावित होती है। अनुसंधान में पीआरकेएआर2ए जैसे विशेष जीन की पहचान की गई है जो मीठे और फैटी खाने की क्रेविंग को नियंत्रित करते हैं। डोपामाइन पाथवे (डीआरडी2) और टेस्ट रिसेप्टर्स (टीएएस2आर38) को भी खाने की क्रेविंग और लत से जोड़ा गया है।
शोधकर्ताओं का मानना है कि जब तापमान कम होता है, तो शरीर अपने तापमान को बनाए रखने के लिए अधिक ऊर्जा जलाता है, जिससे मस्तिष्क को संकेत मिलता है कि उसे अतिरिक्त कैलोरी की आवश्यकता है। इस दौरान कुछ विशेष जीन सक्रिय हो जाते हैं, जो भूख बढ़ाने वाले हार्मोन जैसे घ्रेलिन को सक्रिय करते हैं और संतोषजनक हार्मोन लेप्टिन के प्रभाव को कम कर देते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि व्यक्ति अधिक खाने की इच्छा महसूस करता है, खासकर उच्च कार्ब और उच्च वसा वाले खाद्य पदार्थों की।
2023 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, ठंड के दौरान मस्तिष्क का एक हिस्सा सक्रिय हो जाता है और भूख को बढ़ाता है। 2019 के एक अध्ययन में भी विभिन्न तापमानों के प्रभाव पर लोगों के हार्मोन और भोजन लेने के व्यवहार में बदलाव देखा गया।
कुछ शोधों में यह पाया गया है कि सूर्य की रोशनी कम होने से शरीर की सर्कैडियन रिद्म प्रभावित होती है। इस बदलाव का सीधा असर उन जीनों पर पड़ता है जो खाने की पसंद और खाने का समय निर्धारित करते हैं। यही वजह है कि कई लोग सर्दियों में देर रात भी भूख महसूस करते हैं या बार-बार खाने का मन करते हैं। कम रोशनी से मूड पर असर पड़ता है, जिससे कंफर्ट फूड की क्रेविंग बढ़ जाती है।
सर्दियों में सक्रिय होने वाले इन जीनों का एक दिलचस्प पहलू यह है कि यह प्रक्रिया मानव विकास की पुरानी यात्रा से जुड़ी मानी जाती है। प्राचीन समय में जब ठंड के मौसम में भोजन की कमी होती थी, तब शरीर अधिक ऊर्जा जमा करने की कोशिश करता था। यह जैविक प्रवृत्ति आज भी हमारे जीन में मौजूद है, भले ही अब भोजन की उपलब्धता पहले जैसी समस्या न हो।
हालांकि, आधुनिक शोध यह भी बताता है कि अगर व्यक्ति सर्दियों में पर्याप्त नींद, हल्की धूप और नियमित व्यायाम का पालन करता है, तो ये फूड क्रेविंग काफी हद तक कम हो सकती है। रोशनी, शारीरिक गतिविधि और नींद तीनों सर्कैडियन रिद्म को नियमित रखते हैं और भूख के संकेत देने वाले जीनों पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।