क्या सौंफ सिर्फ एक मसाला है या इसके गुणों का खजाना है?
सारांश
Key Takeaways
- सौंफ पाचन में मदद करती है।
- यह मुंह की दुर्गंध को कम करती है।
- स्तनपान करने वाली माताओं के लिए लाभकारी है।
- सौंफ का सेवन गर्मी की समस्याओं को कम करता है।
- बच्चों के पेट दर्द में राहत देती है।
नई दिल्ली, 16 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। किचन में सौंफ का उपयोग एक आम मसाले के रूप में होता है, जो अपने हल्के मीठे स्वाद से सब्जियों का स्वाद बढ़ाती है। आयुर्वेद में इसे औषधि माना गया है, जो मन और तन दोनों को संतुलित करने में सहायक होती है। स्तनपान करने वाली माओं के लिए यह दूध के उत्पादन को बढ़ाने में मदद करती है।
सौंफ की तासीर ठंडी होती है और इसके हल्के मीठे स्वाद के कारण यह पेट संबंधी समस्याओं में लाभकारी है। सदियों से खाने के बाद सौंफ और मिश्री खाने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह पेट की पाचन अग्नि को संतुलित करती है और अल्सर, कब्ज तथा पेट फूलने जैसी समस्याओं से राहत दिलाती है। इसलिए हमेशा खाने के बाद सौंफ का सेवन फायदेमंद होता है। मिश्री के साथ इलायची का सेवन भी अच्छा रहता है। खाने के कुछ समय बाद गुनगुने पानी के साथ सौंफ और इलायची का मिश्रण लेने से पाचन शक्ति में वृद्धि होती है।
अगर मुंह से दुर्गंध आती है या कफ निकलता है, तो दो चम्मच सौंफ को पानी में उबालकर काढ़ा बनाना चाहिए। इससे दिन में दो बार गरारे करने से मुंह की दुर्गंध दूर होती है और गले के बैक्टीरिया समाप्त होते हैं। यदि शरीर की अंदरूनी गर्मी बढ़ गई है, तो सौंफ को पानी में उबालकर काले नमक और चीनी के साथ सेवन करने से राहत मिलती है। यह समस्या महिलाओं में मासिक धर्म के समय अधिक देखी जाती है।
गलत खान-पान के कारण बच्चों को पेट में दर्द की समस्या होती है। ऐसे में सौंफ और मिश्री को उबालकर ठंडा कर शर्बत बनाना चाहिए और बच्चों को दिन में दो-तीन बार देने से धीरे-धीरे आराम मिलता है। मोटापा की समस्या भारत में बढ़ रही है और इसके खिलाफ सौंफ मददगार साबित होती है।
इसके अतिरिक्त, जौ के साथ सौंफ का सूप स्तनपान कराने वाली महिलाओं में दूध के उत्पादन को बढ़ाता है।