क्या रोजाना ये 5 योगासन सेहतमंद मेटाबॉलिज्म के लिए मददगार हैं?

सारांश
Key Takeaways
- योगासन मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में सहायक होते हैं।
- नियमित अभ्यास से वजन कम करने में मदद मिलती है।
- सही आहार और शारीरिक गतिविधि को शामिल करना आवश्यक है।
- योग के आसनों के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- इन आसनों का अभ्यास सभी उम्र के लोग कर सकते हैं।
नई दिल्ली, 16 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। वर्तमान में, जब जीवन तेजी से आगे बढ़ रहा है, वहीं स्वास्थ्य से जूझने वाली समस्याएं भी बढ़ रही हैं। अनियमित दिनचर्या, जंक फूड का सेवन, लंबे समय तक स्क्रीन पर रहना और शारीरिक गतिविधियों की कमी ने हमारे शरीर के मेटाबॉलिज्म पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। कमजोर मेटाबॉलिज्म न केवल मोटापे का कारण बनता है, बल्कि तनाव, थकान और पाचन संबंधी समस्याओं को भी जन्म देता है। लेकिन, आयुर्वेद और योग में इस समस्या का सरल समाधान उपलब्ध है। आयुष मंत्रालय के अनुसार, कुछ योग आसनों के माध्यम से मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा दिया जा सकता है, जिससे शरीर अंदर से सक्रिय रहता है और वजन नियंत्रित रहता है।
बद्धकोणासन: इस आसन के नियमित अभ्यास से पैरों की मांसपेशियां सक्रिय होती हैं और रक्त संचार में सुधार होता है। यह जांघों और कूल्हों के आसपास जमा चर्बी को कम करने में मदद करता है। यह निचले शरीर में रक्त संचार को बढ़ाता है, जिससे विषैले पदार्थ बाहर निकलते हैं और मेटाबॉलिज्म सक्रिय होता है। इसके नियमित अभ्यास से पाचन तंत्र में सुधार होता है और कैलोरी बर्न करने की क्षमता बढ़ती है।
विपरीत करणी: इस आसन में व्यक्ति दीवार के सहारे अपनी टांगों को ऊपर की तरफ रखता है। इससे रक्त संचार मस्तिष्क की ओर बढ़ता है, जिससे मस्तिष्क को आवश्यक ऑक्सीजन और पोषण मिलते हैं। यह तनाव को कम करता है, नींद में सुधार करता है और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। तनाव कम होने से कोर्टिसोल का स्तर घटता है, जो मेटाबॉलिज्म पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
भुजंगासन: यह आसन सर्प की मुद्रा में किया जाता है, जिससे रीढ़ की हड्डी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह पाचन तंत्र को सक्रिय करता है और पेट की चर्बी को कम करने में मदद करता है। पेट का फैट कम होने पर मेटाबॉलिक रेट बढ़ जाता है। इस आसन से फेफड़ों की क्षमता भी बढ़ती है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह बेहतर होता है।
पवनमुक्तासन: यह आसन शरीर से गैस और अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में सहायता करता है। इससे पाचन क्रिया मजबूत होती है और पेट की सूजन कम होती है। जब पाचन बेहतर होता है, तो शरीर पोषक तत्वों को तेजी से अवशोषित करता है और ऊर्जा उत्पादन की प्रक्रिया भी तेज होती है।
अर्ध मत्स्येन्द्रासन: यह आसन बैठकर किया जाता है। इससे रीढ़ की लचीलापन बढ़ती है और शरीर के आंतरिक अंगों पर दबाव डालने से लिवर और किडनी जैसे अंग सक्रिय होते हैं। यह शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे मेटाबॉलिक सिस्टम साफ होता है। इस आसन से कमर के चारों ओर जमा फैट भी घटता है, जिससे वजन नियंत्रण में रहता है।