क्या तनाव मन को ही नहीं, शरीर को भी नुकसान पहुंचाता है? जानें क्या कहता है आयुर्वेद

सारांश
Key Takeaways
- तनाव मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
- लंबे समय तक तनाव डीएनए को नुकसान पहुंचा सकता है।
- तनाव से हृदय की समस्याएं बढ़ सकती हैं।
- तनाव के कारण याददाश्त में कमी आ सकती है।
- तनाव से स्लीप पैरालिसिस जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
नई दिल्ली, 11 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। आज के तेज रफ्तार जीवन में लगभग हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में तनाव का सामना करता है। ऑफिस का दबाव, रिश्तों की जटिलताएं, आर्थिक चिंताएं या सोशल मीडिया पर परफेक्ट दिखने का दबाव हमारे मन पर भारी पड़ता है, जो धीरे-धीरे हमें शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से बीमार कर सकता है।
तनाव केवल मानसिक समस्याओं का कारण नहीं है, यह धीरे-धीरे शरीर की गंभीर बीमारियों का स्रोत बन सकता है। लंबे समय तक निरंतर तनाव हमारे डीएनए को भी नुकसान पहुंचा सकता है। तनाव टेलोमेयर को छोटा कर देता है, जो हमारे क्रोमोसोम की सुरक्षा करते हैं। छोटे टेलोमेयर से बुढ़ापा जल्दी आता है और दिल की बीमारियों, कैंसर जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
तनाव हमारी याददाश्त पर भी असर डालता है। तनाव के दौरान शरीर में कॉर्टिसोल हार्मोन बढ़ता है, जो मस्तिष्क के हिप्पोकैम्पस हिस्से को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके चलते कुछ लोगों में अस्थायी भूलने की बीमारी या ट्रांसिएंट एम्नेशिया जैसी स्थिति भी बन सकती है। साथ ही तनाव बालों को समय से पहले सफेद कर सकता है। मेलेनिन बनाने वाली कोशिकाओं को नुकसान पहुंचने पर बाल जल्दी सफेद हो जाते हैं, जिसे मैरी एंटोनेट सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है।
अत्यधिक भावनात्मक तनाव हमारे हृदय को भी प्रभावित कर सकता है। ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम में हृदय का बायां हिस्सा बैलून की तरह फूल जाता है। हालांकि यह अक्सर इलाज से ठीक हो जाता है, लेकिन गंभीर मामलों में जानलेवा भी हो सकता है। तनाव बुखार भी ला सकता है, जिसमें शरीर का तापमान 99-104 डिग्री फारेनहाइट तक बढ़ जाता है बिना किसी संक्रमण के। तनाव हमारे टेस्ट बड्स को भी प्रभावित करता है, जिससे खाना बेस्वाद, कड़वा या बहुत तीखा लग सकता है और कुछ लोगों को मेटेलिक टेस्ट भी महसूस होता है।
तनाव आंतों के माइक्रोबायोम को भी प्रभावित करता है। अच्छे बैक्टीरिया की कमी से पाचन बिगड़ता है और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। साथ ही कुछ लोग तनाव के चलते स्लीप पैरालिसिस का शिकार हो जाते हैं, जिसमें नींद में जागने पर शरीर हिल नहीं पाता और हैलुसिनेशन भी हो सकती है। लंबे समय तक तनाव मस्तिष्क में फॉल्स मेमोरी सिंड्रोम भी पैदा कर सकता है, जिससे व्यक्ति ऐसी बातें सच मानने लगता है जो वास्तव में घटी ही नहीं।