क्या मंडनगढ़ में कोर्ट का उद्घाटन करेंगे सीजेआई बीआर गवई?

सारांश
Key Takeaways
- मंडनगढ़ में न्यायालय का उद्घाटन 12 अक्टूबर को होगा।
- इस उद्घाटन में कई प्रमुख नेता उपस्थित होंगे।
- यह कार्यक्रम न्यायपालिका के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- कबूतरखानों को बंद करने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
रत्नागिरी, ११ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के मंडनगढ़ में स्थित सिविल और आपराधिक न्यायालय के नए भवन का उद्घाटन १२ अक्टूबर को होगा। इस उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता सीजेआई बीआर गवई करेंगे। यह जानकारी उद्योग मंत्री उदय सामंत ने साझा की।
इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, दोनों उपमुख्यमंत्री, बॉम्बे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायालय के उच्च अधिकारियों की उपस्थिति सुनिश्चित की गई है।
उद्योग मंत्री उदय सामंत ने कहा कि मंडनगढ़ में न्यायालय की स्थापना महाराष्ट्र के लिए गर्व का विषय है। यह कार्यक्रम महाराष्ट्र की न्यायिक व्यवस्था को सशक्त बनाने और सम्मान प्रदान करने का प्रतीक होगा।
मंडनगढ़ कोर्ट का उद्घाटन महाराष्ट्र की न्यायिक प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। उदय सामंत ने कहा कि यह केवल एक भवन का उद्घाटन नहीं है, बल्कि यह न्यायपालिका के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता और जनता के लिए न्याय तक आसान पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस बीच, जैन धार्मिक सभा में कबूतरखानों को लेकर चर्चाओं के बाद सरकार ने अपना स्पष्ट दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। विधानसभा में सरकार ने स्पष्ट किया कि कबूतरखानों को बंद करने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है। नागरिकों से अपील की गई है कि वे कोई गलतफहमी न फैलाएं, खासकर आगामी स्थानीय स्वशासन चुनावों के दौरान।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि हर नागरिक का चुनाव में भाग लेने का अधिकार सुरक्षित है और इस पर प्रतिबंध लगाने का सरकार का कोई इरादा नहीं है।
सरकार ने जोर देकर कहा कि ऐसी अफवाहें पूरी तरह से निराधार हैं। नागरिकों को सही जानकारी देना और उन्हें भ्रमित होने से बचाना सरकार की प्राथमिकता है।
गौरतलब है कि शनिवार को मुंबई में जैन समाज ने कबूतरखाने बंद करने के विरोध में एक शोकसभा का आयोजन किया। इस अवसर पर 'कबूतर बचाव धर्म सभा' का आयोजन किया गया, जिसमें कबूतरखानों के बंद होने से जान गंवाने वाले कबूतरों के लिए शोक व्यक्त किया गया। इस सभा में कई प्रमुख जैन मुनि भी उपस्थित रहे।