क्या आप तनाव दूर करना और शरीर को मजबूत बनाना चाहते हैं? जानिए पूर्वोत्तानासन का आसान तरीका!

सारांश
Key Takeaways
- पूर्वोत्तानासन से शरीर में लचीलापन बढ़ता है।
- यह मानसिक तनाव को कम करने में मददगार है।
- फेफड़ों की क्षमता में सुधार करता है।
- पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
- पीठ दर्द में राहत देता है।
नई दिल्ली, 16 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। आज की तेज़ और भागदौड़ भरी ज़िंदगी में शरीर और मन दोनों को स्वस्थ रखना अत्यंत आवश्यक है। इस संदर्भ में योग आसन एक प्रभावी उपाय हैं, जो न केवल हमारे शरीर को मजबूत बनाते हैं, बल्कि मानसिक तनाव को भी कम करते हैं। इनमें से एक आसन है 'पूर्वोत्तानासन', जिसका नियमित अभ्यास हमारे शरीर की लचीलापन को बढ़ाता है, मांसपेशियों को ताकत प्रदान करता है और मन को शांति देता है। 'पूर्वोत्तानासन' में 'पूर्व' का अर्थ है आगे की ओर और 'उत्तानासन' का अर्थ है खिंचाव वाली मुद्रा।
पूर्वोत्तानासन से कंधे, भुजाएं और पीठ की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। यह आसन श्वसन प्रणाली में सुधार करता है। इसे करते समय शरीर के ऊपर उठने से फेफड़ों को फैलने का अवसर मिलता है, जिससे उनकी ताकत बढ़ती है और सांस लेने की क्षमता में सुधार होता है।
यह आसन थायरॉइड ग्रंथि को सक्रिय रखता है और हार्मोन संतुलन बनाए रखता है। 'पूर्वोत्तानासन' तनाव और घबराहट कम करने में सहायक है। इस दौरान जब हम गहरी सांस लेते हैं, तो मस्तिष्क शांत होता है। इससे मन हल्का महसूस करता है एवं तनाव तथा घबराहट जैसी समस्याएं घटती हैं।
पूर्वोत्तानासन के दौरान पेट पर हल्का दबाव पड़ता है, जिससे पेट की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। यह आपके शरीर की चर्बी को कम करने में मदद करता है, विशेषकर पेट के क्षेत्र में। साथ ही, यह पीठ दर्द और सिरदर्द में भी राहत देता है। इस आसन से पीठ की मांसपेशियों की मजबूती के कारण कमर दर्द में भी आराम मिलता है। बेहतर ब्लड सर्कुलेशन के चलते सिरदर्द भी कम होता है। इससे अंगों तक ऑक्सीजन और पोषण सुचारू रूप से पहुंचता है, जो शरीर को स्वस्थ बनाता है।
पूर्वोत्तानासन शरीर के लचीलेपन को बढ़ाने में मददगार है। यह आसन मांसपेशियों में खिंचाव लाता है, जिससे उनमें लचीलापन आता है। इस आसन से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है, जिससे आप दिनभर ताजगी का अनुभव करते हैं और दिमाग भी तेज चलता है।
अब हम जानते हैं कि 'पूर्वोत्तानासन' का अभ्यास कैसे करें?
सबसे पहले, सीधे बैठ जाएं, पैर फैलाएं और कमर को सीधा रखें। यह दंडासन की स्थिति है। अब अपने हाथों को पीछे ले जाएं और उन्हें जमीन पर टिकाएं। हाथों की उंगलियां पैरों की ओर होनी चाहिए। धीरे-धीरे सांस लेते हुए अपने शरीर को पीछे की ओर झुकाएं। जितना हो सके, अपने शरीर को ऊपर उठाएं, ध्यान रखें कि आपका शरीर सीधी रेखा में रहे। अपने सिर को भी पीछे झुकाएं और तलवों को पूरी तरह से जमीन पर टिकाए रखें। इस स्थिति को कुछ सेकंड बनाए रखें। फिर, सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे शरीर को नीचे लाएं और आरामदायक स्थिति में लौट आएं।