क्या भ्रामरी प्राणायाम तनाव दूर करने का आसान तरीका है?

सारांश
Key Takeaways
- भ्रामरी प्राणायाम तनाव और मानसिक बेचैनी को कम करता है।
- यह माइग्रेन के दर्द में राहत प्रदान करता है।
- नियमित अभ्यास से ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है।
- यह ब्लड प्रेशर को संतुलित करने में सहायक है।
- भ्रामरी प्राणायाम बच्चों और छात्रों के लिए बहुत फायदेमंद है।
नई दिल्ली, 24 जून (राष्ट्र प्रेस)। क्या आप अपने दिमाग और शरीर को एक संतुलित स्थिति में लाना चाहते हैं? तो प्राणायाम एक अत्यधिक प्रभावी उपाय है। विशेषकर भ्रामरी प्राणायाम बेहद लाभकारी साबित होता है। इसका नाम भ्रामर शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है भंवरा। जब हम सांस छोड़ते हैं, तो जो ध्वनि उत्पन्न होती है, वो भंवरे के भिनभिनाने के समान होती है, इसीलिए इसे 'मधुमक्खी श्वास' भी कहा जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान आपके गले, चेहरे और जबड़ों में हल्का कंपन महसूस होता है, जो अत्यधिक सुकूनदायी होता है। इसका नियमित अभ्यास करने से मन शांत रहता है और मानसिक संतुलन में सुधार होता है।
आयुष मंत्रालय के अनुसार, भ्रामरी प्राणायाम मानसिक शांति में सहायक है। यह तनाव को कम करता है, गुस्से को नियंत्रित करता है, और मन की बेचैनी को धीरे-धीरे समाप्त करने में मदद करता है। इसके नियमित अभ्यास से दिमाग और नसों को विश्राम मिलता है, जिससे सोचने-समझने की क्षमता में वृद्धि होती है।
हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त लोगों के लिए भ्रामरी प्राणायाम अत्यधिक लाभकारी हो सकता है। यह दिमाग को ठंडक प्रदान करता है और नसों के तनाव को कम करता है, जिससे ब्लड प्रेशर धीरे-धीरे नियंत्रित होता है। जब मन शांत होता है, तो शरीर बेहतर कार्य करता है।
यदि आपको माइग्रेन की समस्या है, तो भ्रामरी प्राणायाम इसमें बहुत राहत प्रदान कर सकता है। यह दिमाग की नसों को शांत करता है और तेज दर्द को कम करने में मदद करता है। जब आप मधुमक्खी जैसी ध्वनि के साथ सांस छोड़ते हैं, तो इसका असर सीधा दिमाग पर होता है और माइग्रेन का दर्द धीरे-धीरे कम होने लगता है। रोजाना कुछ मिनटों का अभ्यास आपकी सिरदर्द की समस्या को काफी हद तक नियंत्रित कर सकता है।
यदि आपका मन पढ़ाई या किसी कार्य में जल्दी भटकता है, तो प्राणायाम का अभ्यास आपके लिए बहुत सहायक हो सकता है। इससे ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है। खासकर बच्चों और छात्रों के लिए यह अत्यधिक लाभकारी है। इससे याददाश्त में भी सुधार होता है।
भ्रामरी प्राणायाम करने के लिए सबसे पहले किसी शांत स्थान पर आराम से बैठें। फिर आंखें बंद कर लें और दोनों हाथों की उंगलियों से हल्के से कान और आंखों को ढक लें। अब मुंह बंद रखते हुए नाक से धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें। जब सांस छोड़ें तो एक मध्यम भनभनाहट की आवाज करें। ऐसा करने से दिमाग में हल्का कंपन महसूस होता है, जो मानसिक शांति और ध्यान बढ़ाने में मदद करता है।