क्या ये आसन गर्भावस्था के नौ महीनों को आरामदायक बना सकते हैं?

सारांश
Key Takeaways
- भद्रासन - कूल्हे और रीढ़ को मजबूत करता है।
- बद्धकोणासन - रक्त प्रवाह बेहतर बनाता है।
- बालासन - तनाव और पीठ दर्द को कम करता है।
- ध्यान - मानसिक शांति और भावनात्मक बंधन मजबूत करता है।
- योग से इम्यूनिटी बढ़ती है।
नई दिल्ली, 23 अक्तूबर (राष्ट्र प्रेस)। गर्भावस्था एक महिला के जीवन का सर्वाधिक सुंदर चरण होता है, लेकिन इस दौरान महिलाओं को हार्मोनल परिवर्तन, वजन में वृद्धि और थकान जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। आयुष मंत्रालय की सलाह के अनुसार, इस समय नियमित व्यायाम, विशेषकर योग, मां और बच्चे दोनों के लिए अत्यंत लाभकारी हो सकता है।
योग न केवल दर्द को कम करता है, बल्कि प्रसव प्रक्रिया को भी सरल बनाता है और मानसिक शांति प्रदान करता है। आइए, जानें कुछ सुरक्षित योगासन जो गर्भावस्था के नौ महीने को आरामदायक बना सकते हैं।
भद्रासन - आयुष मंत्रालय के अनुसार, यह आसन गर्भवती महिलाओं के लिए शारीरिक और मानसिक संतुलन को बेहतरीन रूप से स्थापित करता है। इसे करने से कूल्हे, घुटने और रीढ़ की हड्डी सशक्त होती है। इसके साथ ही, लचीलापन बढ़ता है, जिससे कमर दर्द और जोड़ों की अकड़न कम होती है। यह आसन रोजाना 5-10 मिनट करने से शरीर को डिलीवरी के लिए तैयार करता है। इसे सहजता से करें और आवश्यकता पड़ने पर कुशन का सहारा लें।
बद्धकोणासन - इसे बटरफ्लाई पोज भी कहा जाता है। आयुष मंत्रालय का कहना है कि यह कूल्हों और जांघों में खिंचाव लाता है और रक्त प्रवाह को बेहतर करता है। इससे प्रसव प्रक्रिया सरल होती है। पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है और कब्ज की समस्या कम होती है। पीठ दर्द और पैरों में ऐंठन जैसी समस्याओं से राहत मिलती है। यह आसन गर्भावस्था के मध्य चरण में विशेष रूप से लाभकारी है। इसे बैठकर घुटनों को तितली की तरह फड़फड़ाते हुए करना चाहिए, लेकिन डॉक्टर की सलाह के बाद ही करें।
बालासन - यह भी एक कोमल आसन है। आयुष मंत्रालय के अनुसार गर्भवती महिलाएं इसे सावधानी से कर सकती हैं। यह तनाव को कम करता है, पीठ के निचले हिस्से में आराम देता है और पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है। लेकिन ध्यान रखें कि पेट पर दबाव न पड़े, इसके लिए घुटनों के नीचे तकिया रखें। यह आसन योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही करें, विशेषकर तीसरे ट्राइमेस्टर में। यह आसन मां को शांत नींद और ऊर्जा प्रदान करता है।
ध्यान - योग का एक अनिवार्य हिस्सा है। आयुष मंत्रालय का मानना है कि प्राणायाम और मेडिटेशन गर्भावस्था में आवश्यक हैं। रोजाना 10-15 मिनट ध्यान करने से चिंता और डिप्रेशन कम होता है। इससे शिशु के मस्तिष्क का विकास बेहतर होता है। मां-बच्चे के बीच भावनात्मक बंधन मजबूत होता है। सांस पर ध्यान केंद्रित करें और सकारात्मक विचार लाएं, यही ध्यान का सार है।
विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था में योग शरीर को लचीला बनाता है और इम्यूनिटी को बढ़ाता है। लेकिन याद रखें कि कोई भी आसन शुरू करने से पहले स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना आवश्यक है। अपने शरीर की सुनें।