क्या ऑस्ट्रेलियाई पीएम एंथनी अल्बानीज सितंबर में फिलिस्तीन राज्य को मान्यता देंगे?

सारांश
Key Takeaways
- ऑस्ट्रेलिया सितंबर में फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने जा रहा है।
- फिलिस्तीनी प्राधिकरण ने महत्वपूर्ण वादे किए हैं।
- इजरायल के साथ संबंधों पर इसका गहरा असर हो सकता है।
- मध्य पूर्व में शांति की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
- हमास को किसी भी राज्य में जगह नहीं दी जाएगी।
नई दिल्ली, ११ अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने घोषणा की है कि उनका देश सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीनी राज्य को औपचारिक मान्यता प्रदान करेगा। यह निर्णय उनके द्वारा दो हफ्ते पहले की गई उस टिप्पणी के विपरीत है, जिसमें उन्होंने कहा था कि निकट भविष्य में ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे।
अल्बानीज ने कैबिनेट की बैठक के बाद कहा, "फिलिस्तीनी प्राधिकरण (पीए) की प्रतिबद्धताओं के आधार पर हम फिलिस्तीनी लोगों के अधिकार को स्वीकार करेंगे। हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर इसे साकार करने का प्रयास करेंगे।"
उन्होंने इस कदम को एक वैश्विक प्रयास का हिस्सा बताया, जो मध्य पूर्व में शांति स्थापित करने में मददगार होगा। अल्बानीज ने स्पष्ट किया कि हमास को किसी भी फिलिस्तीनी राज्य में कोई स्थान नहीं होगा।
साथ ही, उन्होंने इजरायल पर गाजा में मानवाधिकारों के उल्लंघन और अंतरराष्ट्रीय कानून की अनदेखी का आरोप लगाया। गाजा की स्थिति को उन्होंने "दुनिया की सबसे भयानक स्थिति से भी अधिक भयावह" बताया।
प्रधानमंत्री ने बताया कि फिलिस्तीनी प्राधिकरण ने कुछ महत्वपूर्ण वादे किए हैं, जिनके आधार पर यह निर्णय लिया गया है। इनमें हमास को सरकार से बाहर रखना, गाजा का विसैन्यीकरण और 2006 के बाद से लंबित चुनाव कराना शामिल है। इसके अलावा, फिलिस्तीनी प्राधिकरण ने इजरायल के शांति और सुरक्षा के अधिकार को स्वीकार करने का भी आश्वासन दिया है।
अल्बानीज का मानना है कि मध्य पूर्व में हिंसा के चक्र को तोड़ने और गाजा में संघर्ष, पीड़ा और भुखमरी को समाप्त करने का सबसे प्रभावी तरीका यही है। उन्होंने पिछले दो हफ्तों में ब्रिटेन, फ्रांस, न्यूजीलैंड, जापान, इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू और फिलिस्तीनी प्राधिकरण के अध्यक्ष महमूद अब्बास के साथ इस मुद्दे पर बातचीत की। नेतन्याहू के साथ उनकी चर्चा सभ्य और लंबी रही, लेकिन उन्होंने कहा कि इजरायली पीएम के तर्क पुराने हैं।
इससे पहले, नेतन्याहू ने रविवार को कुछ यूरोपीय देशों की इस पहल की आलोचना की थी। उन्होंने इसे "बेतुका" और "शर्मनाक" कहा। वहीं, अल्बानीज सरकार ने हाल ही में गाजा पर नए सैन्य हमले की इजरायल की योजना की भी निंदा की है। ऑस्ट्रेलिया से पहले यूके, फ्रांस और कनाडा जैसे देश फिलीस्तीन के पक्ष में अपनी राय रख चुके हैं।