क्या ऑस्ट्रेलियाई सेना प्रमुख की भारत यात्रा से हिंद-प्रशांत में रणनीतिक साझेदारी मजबूत होगी?

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क्या ऑस्ट्रेलियाई सेना प्रमुख की भारत यात्रा से हिंद-प्रशांत में रणनीतिक साझेदारी मजबूत होगी?

सारांश

ऑस्ट्रेलियाई सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल साइमन स्टुअर्ट की भारत यात्रा, जो 10 से 14 अगस्त तक होगी, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। क्या यह यात्रा भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सैन्य सहयोग को नई ऊंचाई पर ले जाएगी?

Key Takeaways

  • लेफ्टिनेंट जनरल साइमन स्टुअर्ट की भारत यात्रा
  • भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच सैन्य सहयोग
  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी
  • संयुक्त अभ्यासों में वृद्धि
  • रक्षा उद्योग में सहयोग

नई दिल्ली, 7 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। ऑस्ट्रेलियाई सेना के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल साइमन स्टुअर्ट 10 से 14 अगस्त तक भारत की आधिकारिक यात्रा पर रहेंगे। वर्तमान में यह यात्रा सैन्य और रणनीतिक सहयोग के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

इस यात्रा के दौरान, ऑस्ट्रेलियाई सेना के प्रमुख भारतीय सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी और रक्षा मंत्रालय के प्रमुख अधिकारियों से भेंट करेंगे। यह यात्रा भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, विशेषकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग के लिए।

रक्षा विश्लेषकों के अनुसार, लेफ्टिनेंट जनरल साइमन स्टुअर्ट की यह यात्रा न केवल भारत की क्षेत्रीय भूमिका को मान्यता देती है, बल्कि इंडो-पैसिफिक में सामूहिक तैयारी और रणनीतिक विश्वास को मजबूत करने में भी सहायक होगी। यह यात्रा दोनों सेनाओं के बीच सहयोग की नई बुनियाद रखेगी।

वास्तव में, भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा साझेदारी निरंतर विकसित हो रही है। इसे नियमित उच्च स्तरीय संवादों और संस्थागत ढांचे के माध्यम से बल मिल रहा है। नवंबर 2023 में नई दिल्ली में होने वाली 2 प्लस 2 मंत्रिस्तरीय वार्ता इसका एक प्रमाण है, जबकि अगली बैठक 2025 में ऑस्ट्रेलिया में प्रस्तावित है। इसके साथ ही, जुलाई 2023 में ऑस्ट्रेलिया में हुई रक्षा नीति वार्ता ने आपसी सहयोग की समीक्षा और नई पहलों की पहचान के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया।

भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई सेनाओं के बीच सहयोग अब इस साझेदारी का एक मुख्य स्तंभ बन चुका है। दोनों सेनाओं के बीच संयुक्त अभ्यासों की संख्या, स्तर और रणनीतिक महत्व में लगातार वृद्धि हो रही है। वर्ष 2016 में आरंभ हुआ द्विपक्षीय अभ्यास ‘ऑस्ट्राहिंद’ अब प्रमुख फील्ड प्रशिक्षण अभ्यास बन चुका है। इसमें आतंकवाद-रोधी अभियानों, करीबी लड़ाई और संयुक्त रणनीतिक संचालन पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इसका अगला संस्करण नवंबर 2025 में ऑस्ट्रेलिया में होगा।

भारतीय सेना ने ऑस्ट्रेलिया द्वारा आयोजित बहुराष्ट्रीय युद्ध अभ्यास ‘टैलिस्मन सेबर’ में भी सक्रिय भागीदारी की है। ‘इंडो-पैसिफिक एंडेवर’ के दौरान विशाखापत्तनम में दोनों सेनाओं ने संयुक्त व्यावसायिक आदान-प्रदान और मानवतावादी राहत, जंगल युद्ध और आतंकवाद-रोधी अभियानों पर चर्चा की थी। प्रशिक्षण और संस्थागत सहयोग के क्षेत्र में भी दोनों देशों के बीच गहरे संबंध हैं। भारतीय सेना के अधिकारी नियमित रूप से ऑस्ट्रेलियाई रक्षा और रणनीतिक अध्ययन पाठ्यक्रम, सेना कमांड और स्टाफ पाठ्यक्रम, और रक्षा खुफिया विश्लेषण पाठ्यक्रम में भाग लेते हैं।

वहीं, ऑस्ट्रेलियाई अधिकारी भारत के राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज, रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज और उच्च रक्षा ओरिएंटेशन कोर्स में नामांकित होते हैं। मिजोरम के वैरेंगटे स्थित काउंटर-इंसर्जेंसी और जंगल वारफेयर स्कूल में आयोजित होने वाला प्रशिक्षक विनिमय कार्यक्रम दोनों सेनाओं के सामरिक तालमेल को और मजबूत करता है।

रक्षा उद्योग के क्षेत्र में भी दोनों देशों का सहयोग बढ़ रहा है। भारतीय कंपनियों ने ऑस्ट्रेलिया को आईएसआर, मोबिलिटी और संरक्षित प्रणालियों जैसी सामरिक क्षमताएं निर्यात की हैं। साथ ही, आर्मी डिजाइन ब्यूरो और ऑस्ट्रेलिया के डिगर वर्क्स के बीच संयुक्त विकास के प्रयास चल रहे हैं।

Point of View

बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है।
NationPress
07/08/2025

Frequently Asked Questions

ऑस्ट्रेलियाई सेना प्रमुख की भारत यात्रा का उद्देश्य क्या है?
इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच सैन्य और रणनीतिक सहयोग को बढ़ाना है।
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा सहयोग की वर्तमान स्थिति क्या है?
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा साझेदारी निरंतर विकसित हो रही है, जिसमें उच्च स्तरीय संवाद और अभ्यास शामिल हैं।
क्या इस यात्रा का क्षेत्रीय सुरक्षा पर प्रभाव पड़ेगा?
हाँ, यह यात्रा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ाने में मदद करेगी।