क्या बलूच मानवाधिकार कार्यकर्ता गुलजार दोस्त की गिरफ्तारी एक गंभीर स्थिति है?

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क्या बलूच मानवाधिकार कार्यकर्ता गुलजार दोस्त की गिरफ्तारी एक गंभीर स्थिति है?

सारांश

बलूचिस्तान के मानवाधिकार कार्यकर्ता गुलजार दोस्त की जबरन गिरफ्तारी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है। कई मानवाधिकार संगठनों ने इस घटना की निंदा की है और उनकी रिहाई की मांग की है। क्या यह बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के हनन को दर्शाता है?

Key Takeaways

  • गुलजार दोस्त की गिरफ्तारी ने मानवाधिकारों पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
  • अनेक मानवाधिकार संगठन उनकी तत्काल रिहाई की मांग कर रहे हैं।
  • यह गिरफ्तारी शांतिपूर्ण विरोध को दबाने की कोशिश का हिस्सा है।
  • संयुक्त राष्ट्र ने भी इस मुद्दे पर ध्यान दिया है।
  • बलूचिस्तान में मानवाधिकारों का उल्लंघन जारी है।

क्वेटा, 7 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ बढ़ते अत्याचारों के बीच पाकिस्तान की काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट (सीटीडी) ने बलूच मानवाधिकार कार्यकर्ता गुलजार दोस्त को जबरन हिरासत में ले लिया है। इस घटना की कई मानवाधिकार संगठनों ने कड़ी निंदा की है।

मानवाधिकार संगठन बलूच यकजैती कमेटी (बीवाईसी) की कार्यकर्ता सामी दीन बलूच ने गुलजार दोस्त की जबरन गिरफ्तारी को लेकर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि गुलजार दोस्त को सोमवार तड़के बलूचिस्तान के केच जिले के तुर्बत स्थित उनके घर से सीटीडी ने जबरन उठा लिया।

उन्होंने कहा, "यह सोची-समझी साजिश के तहत बलूच आवाजों को दबाने और शांतिपूर्ण असहमति जताने वालों को डराने की कार्रवाई है। गुलजार दोस्त जैसे अहिंसक कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई संकेत देती है कि शांतिपूर्ण विरोध भी उतना ही खतरनाक समझा जा रहा है, जितना आतंकवाद।"

गुलजार दोस्त की पहचान एक ऐसे कार्यकर्ता के रूप में है जो हमेशा न्याय के लिए अहिंसात्मक मार्ग अपनाते रहे हैं। बीवाईसी ने उनकी तत्काल रिहाई और सुरक्षा की मांग की है।

सामी ने कहा, "यदि राज्य बलूचिस्तान में वास्तव में शांति चाहता है, तो उसे हिंसा नहीं, बल्कि बदलाव के लिए शांतिपूर्ण प्रयास करने वालों की सुरक्षा करनी होगी। हर प्रकार के प्रतिरोध को सजा देकर लोकतांत्रिक रास्ते बंद कर देना, चरमपंथ को ही जन्म देता है।"

संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकार रक्षकों की विशेष प्रतिनिधि मैरी लॉलर ने भी पाकिस्तान से गुलजार दोस्त की तत्काल रिहाई की अपील की है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "मुझे गुलजार दोस्त की हिरासत की चिंता है। मैंने 2024 में उनसे ऑनलाइन बातचीत की थी। मैं पाकिस्तान के स्थायी मिशन से मांग करती हूं कि उन्हें तुरंत वकील, परिवार से मिलने की अनुमति मिले और जल्द रिहा किया जाए।"

ह्यूमन राइट्स काउंसिल ऑफ बलूचिस्तान (एचआरसीबी) ने भी गिरफ्तारी को निंदनीय बताया और गुलजार दोस्त की बिना शर्त रिहाई की मांग की। संगठन ने कहा कि गुलजार दोस्त ने बलूचिस्तान में जबरन गायब किए गए लोगों के परिवारों के लिए लगातार काम किया है और इसके लिए उन्हें कई बार झूठे मामलों में फंसाया गया और चौथे शेड्यूल में डाला गया।

बलूच वॉइस फॉर जस्टिस (बीवीजे) ने भी इस जबरन हिरासत की कड़ी आलोचना करते हुए इसे मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन बताया है। संगठन ने कहा, "गुलजार दोस्त की जबरन गिरफ्तारी पूरी तरह से गैरकानूनी और अमानवीय है। उनके ठिकाने के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इस तरह की कार्रवाई तुरंत बंद होनी चाहिए।"

गौरतलब है कि बलूचिस्तान में लंबे समय से मानवाधिकार हनन, जबरन गायब करने और राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर दमन का आरोप पाकिस्तान सरकार और सुरक्षा एजेंसियों पर लग रहे हैं।

Point of View

हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि मानवाधिकारों का उल्लंघन किसी भी समाज के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। बलूचिस्तान में जो घटनाएं घट रही हैं, वे न केवल स्थानीय निवासियों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए चिंता का विषय हैं। हमें एक समावेशी और न्यायपूर्ण समाज की दिशा में काम करना चाहिए।
NationPress
22/07/2025

Frequently Asked Questions

गुलजार दोस्त कौन हैं?
गुलजार दोस्त एक मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं जो बलूचिस्तान में न्याय और मानवाधिकारों के लिए काम कर रहे हैं।
गुलजार दोस्त की गिरफ्तारी का कारण क्या है?
गुलजार दोस्त की गिरफ्तारी को मानवाधिकारों की आवाज को दबाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
इस गिरफ्तारी के खिलाफ कौन-कौन से संगठन बोल रहे हैं?
कई मानवाधिकार संगठनों जैसे बीवाईसी, एचआरसीबी और बीवीजे ने इस गिरफ्तारी की निंदा की है।
गुलजार दोस्त की रिहाई की मांग किसने की है?
संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार रक्षकों की विशेष प्रतिनिधि मैरी लॉलर ने गुलजार दोस्त की तत्काल रिहाई की अपील की है।
क्या पाकिस्तान में मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है?
हाँ, पाकिस्तान में विशेष रूप से बलूचिस्तान में मानवाधिकारों का उल्लंघन और राजनीतिक दमन की घटनाएं बढ़ रही हैं।