क्या बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ यौन हिंसा महामारी जैसी स्थिति में पहुँच गई है?

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क्या बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ यौन हिंसा महामारी जैसी स्थिति में पहुँच गई है?

सारांश

बांग्लादेश में यौन हिंसा का खतरा बढ़ता जा रहा है, विशेषकर अल्पसंख्यक समुदायों की महिलाओं और बच्चों के लिए। एचआरसीबीएम के अनुसार, रिपोर्टों में डरावने आंकड़े सामने आए हैं। जानें इस गंभीर स्थिति के बारे में और क्या कदम उठाए जा सकते हैं।

Key Takeaways

  • यौन हिंसा के मामलों में वृद्धि हो रही है।
  • अल्पसंख्यक समुदायों की महिलाएँ और बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
  • सरकारी कार्रवाई की कमी और न्याय प्रणाली में अविश्वास।
  • असली आंकड़े हजारों में हो सकते हैं।
  • सामाजिक कलंक और डर के कारण मामले दर्ज नहीं हो पा रहे हैं।

ढाका, 22 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश इस समय यौन हिंसा के एक गंभीर संकट का सामना कर रहा है। यहाँ विशेष रूप से हिंदू, ईसाई, बौद्ध और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की महिलाओं और बच्चों को निशाना बनाया जा रहा है, जो मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के अधीन एक महामारी जैसी स्थिति में पहुँच चुका है। यह जानकारी बांग्लादेश अल्पसंख्यकों के लिए मानवाधिकार कांग्रेस (एचआरसीबीएम) ने शुक्रवार को साझा की।

ढाका स्थित मानवाधिकार संगठन ऐन ओ सलीश केंद्र (एएसके) की रिपोर्ट्स के अनुसार, एचआरसीबीएम ने खुलासा किया कि 2025 की पहली तिमाही में तीन महीने के भीतर आधिकारिक तौर पर बलात्कार के 342 मामले दर्ज किए गए। इन मामलों में से 87 प्रतिशत पीड़ित 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियाँ थीं।

इनमें से 40 पीड़ित शिशु अवस्था से लेकर छह वर्ष की आयु के बीच के बच्चे थे, जबकि सामूहिक बलात्कार की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हो रही है, जिनमें अधिकांश पीड़ित नाबालिग हैं।

इस अधिकार संस्था के अनुसार, ये भयावह आंकड़े तो सिर्फ एक बूँद हैं, और वास्तविक संख्या हजारों में है, जो चुप्पी, भय और राज्य की निष्क्रियता के कारण छिपी हुई है।

बांग्लादेश में बलात्कार और सामूहिक बलात्कार के अधिकांश मामले सामाजिक कलंक, बदले की कार्रवाई के डर और न्याय व्यवस्था में अविश्वास के कारण दर्ज नहीं हो पाते।

अल्पसंख्यक महिलाओं और लड़कियों के मामलों में तो यह खामोशी और भी गहरी है। कानून प्रवर्तन और निचली अदालतों में धार्मिक पूर्वाग्रह के आरोप परिवारों को न्याय पाने से रोकते हैं, जिससे अपराध दर्ज नहीं होते और सजा नहीं मिलती।

एचआरसीबीएम द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, “कई मामलों में, देश भर में महिलाओं और लड़कियों के शव मिले हैं जिनके सिर तक गायब हैं और उनकी पहचान करना असंभव हो गया है। इससे अपराधियों की क्रूरता का पता चलता है।”

यूनुस शासन के तहत बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हुए अत्याचारों के बारे में बताते हुए, मानवाधिकार संस्था ने कहा कि निराधार आरोपों और बढ़ते जनाक्रोश के बावजूद, एक प्रमुख हिंदू नेता और बांग्लादेश सम्मिलितो सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास नवंबर से जेल में बंद हैं।

मानवाधिकार संस्था ने कहा कि उनकी जमानत याचिका, जो अब बांग्लादेश के सर्वोच्च न्यायालय के अपीलीय खंड में लंबित है, पर महीनों से कोई समाधान नहीं निकला है। तब से, इसमें कहा गया है कि दास कई मनगढ़ंत मामलों में उलझे हुए हैं, जिनमें हत्या के झूठे आरोप भी शामिल हैं।

एचआरसीबीएम ने सवाल किया कि क्या उनका एकमात्र अपराध सत्ता के सामने सच बोलना और बांग्लादेश के हाशिए पर पड़े लोगों के अधिकारों की वकालत करना था।

Point of View

NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

बांग्लादेश में यौन हिंसा के मामलों की संख्या क्या है?
बांग्लादेश में हाल ही में रिपोर्ट किए गए बलात्कार के 342 मामले दर्ज किए गए हैं।
कौन से समुदाय सबसे ज्यादा प्रभावित हैं?
हिंदू, ईसाई, बौद्ध और अन्य अल्पसंख्यक समुदाय सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
क्या सरकार इन मामलों में कोई कार्रवाई कर रही है?
सरकार की कार्रवाई की कमी और न्याय प्रणाली में अविश्वास के कारण कई मामले दर्ज नहीं हो पा रहे हैं।
क्या ये आंकड़े सही हैं?
एचआरसीबीएम के अनुसार, ये आंकड़े वास्तविकता का केवल एक छोटा सा हिस्सा हैं।
क्या अल्पसंख्यक महिलाओं के मामले में स्थिति और खराब है?
जी हाँ, अल्पसंख्यक महिलाओं के खिलाफ हिंसा और भी गंभीर है और इसके पीछे कई सामाजिक कारण हैं।