क्या बांग्लादेश में तिहरे हत्याकांड में स्थानीय सरकारी सलाहकार का संबंध है?

सारांश
Key Takeaways
- अंतरिम सरकार की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।
- स्थानीय सलाहकार के पिता पर गंभीर आरोप लगे हैं।
- पुलिस की कार्रवाई पर जनता का संदेह है।
- बांग्लादेश में हिंसा की घटनाएँ बढ़ रही हैं।
- न्याय की आवश्यकता है।
ढाका, 5 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार द्वारा समर्थित हिंसा का एक और नया सबूत सामने आया है। स्थानीय समाचारों के अनुसार, एक महिला ने यह आरोप लगाया है कि हाल में उसकी मां और भाई-बहन की हत्या में अंतरिम सरकार के स्थानीय सलाहकार आसिफ महमूद शोजिब भुइयां के पिता का हाथ है।
यह घटना 3 जुलाई की है। कुमिला जिले में हुई इस वारदात में रूमा अख्तर चाकू लगने से घायल हुई थीं। वहीं, उनकी बहन तस्पिया जोनाकी, भाई मोहम्मद रसेल, और उनकी मां रुक्साना अख्तर रूबी की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी।
सोमवार को ढाका में पत्रकारों को संबोधित करते हुए रूमा ने आसिफ महमूद के पिता बिलाल मास्टर की गिरफ्तारी की मांग उठाई और आरोप लगाया कि इस तिहरे हत्याकांड में वे शामिल थे।
उन्होंने बंगरा बाजार पुलिस स्टेशन में 33 नामजद और 25 अज्ञात संदिग्धों के खिलाफ मामला दर्ज कराया।
बांग्लादेश के प्रमुख अखबार द डेली स्टार ने रूमा के हवाले से लिखा, "हत्या वाले दिन, हमने कई बार 999 डायल करके पुलिस से मदद मांगी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। पुलिस हत्या के बाद घटनास्थल पर आई।"
उन्होंने यह भी बताया कि उनके परिवार और कुछ पड़ोसियों के बीच एक इमारत के निर्माण को लेकर विवाद हुआ था। स्थानीय यूनियन परिषद के अध्यक्ष शिमुल बिल्लाह ने काम का ठेका मांगा था, जिसे उनके परिवार ने ठुकरा दिया।
रूमा ने आरोप लगाया कि शिमुल ने अपने साथियों के माध्यम से उनसे पैसे ऐंठने का प्रयास किया और जब उन्होंने इनकार किया, तो उन्हें जान से मारने की धमकी दी।
उन्होंने दावा किया कि उनके परिवार के सदस्यों की हत्या में शामिल शिमुल को बिलाल हुसैन का समर्थन प्राप्त था, इसलिए उसे गिरफ्तार नहीं किया गया।
दूसरी ओर, पुलिस ने यह दावा किया कि नशीली दवाओं के कारोबार में कथित संलिप्तता के कारण भीड़ ने रूमा के परिवार के सदस्यों की हत्या कर दी।
इस आरोप को खारिज करते हुए रूमा ने कहा कि उनकी मां ने दो बार यूनियन परिषद के अध्यक्ष का चुनाव लड़ा था, लेकिन बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की समर्थक होने के कारण उन्हें जीतने नहीं दिया गया। प्रतिद्वंद्वियों ने ईर्ष्या के कारण उन्हें नशीली दवाओं के झूठे मामले में फंसाया था।
आसिफ महमूद ने सोमवार शाम को अपने सोशल मीडिया पर इन आरोपों को काल्पनिक बताया।