क्या भारत-अमेरिका व्यापार समझौते से आर्थिक वृद्धि को मिलेगी तेजी?

सारांश
Key Takeaways
- भारत-अमेरिका व्यापार समझौता से आर्थिक वृद्धि में तेजी आ सकती है।
- वर्तमान विकास दर 6.5 प्रतिशत है, जो संभावित रूप से 7.5 से 8.5 प्रतिशत तक बढ़ सकती है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए ऑपरेशन सिंधु सुदर्शन जैसे कदम महत्वपूर्ण हैं।
- अमेरिका के टैरिफ सुधारों ने भारत को आर्थिक सुधारों के लिए प्रेरित किया है।
- समझौता देश की पूरी आर्थिक क्षमता को पहचानने में मदद करेगा।
नई दिल्ली, 1 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। वरिष्ठ अर्थशास्त्री और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पूर्व कार्यकारी निदेशक डॉ. सुरजीत भल्ला ने मंगलवार को कहा कि भारत और अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौता देश की आर्थिक वृद्धि को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है।
राष्ट्र प्रेस से विशेष बातचीत में डॉ. भल्ला ने कहा, "यदि यह समझौता संपन्न होता है, तो हमारी विकास दर कहीं अधिक तेज हो सकती है।"
उन्होंने यह भी माना कि अमेरिका, विशेष रूप से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अंतर्गत टैरिफ से जुड़ी समयसीमाएं, भारत को लंबे समय से लंबित आर्थिक सुधारों को लागू करने में मदद कर रही हैं। उन्होंने कहा, "मैं अमेरिका या ट्रंप को खतरे के रूप में नहीं देखता। बल्कि वे हमें सुधारों की ओर धकेलकर हमारी मदद ही कर रहे हैं।"
डॉ. भल्ला की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब भारत और अमेरिका के बीच एक अंतरिम व्यापार समझौते को 9 जुलाई की समयसीमा से पहले अंतिम रूप देने के लिए बातचीत चल रही है ताकि भारतीय निर्यात पर प्रस्तावित अमेरिकी टैरिफ से बचा जा सके।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह समझौता इसी सप्ताह हो सकता है और वर्ष के अंत तक एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
डॉ. भल्ला ने भारत के विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से विकास करने पर भी प्रशंसा व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि देश की वर्तमान विकास दर 6.5 प्रतिशत प्रभावशाली है, लेकिन भारत की वास्तविक क्षमता 7.5 से 8.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने की है, बशर्ते शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के जरिए उत्पादकता को बढ़ाया जाए।
उन्होंने कहा, "यह गर्व की बात है कि हम सबसे तेज बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था हैं, लेकिन अभी हम अपनी पूरी क्षमता तक नहीं पहुंचे हैं।" उन्होंने कहा कि किसी देश की आर्थिक सफलता को सिर्फ जीडीपी आंकड़ों से नहीं, बल्कि उसकी संभावित क्षमता के सापेक्ष आंका जाना चाहिए।
इसके साथ ही उन्होंने 'ऑपरेशन सिंधु सुदर्शन' जैसे कदमों के जरिए सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने के प्रयासों की सराहना की।
उन्होंने कहा, "रक्षा एक प्रमुख राष्ट्रीय प्राथमिकता है। रक्षा पर अधिक खर्च से सुरक्षा भी बढ़ती है और आर्थिक आत्मविश्वास भी।"