क्या भारत आस्था के मामलों में कोई रुख नहीं अपनाता है? दलाई लामा उत्तराधिकार विवाद पर विदेश मंत्रालय का बयान

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क्या भारत आस्था के मामलों में कोई रुख नहीं अपनाता है? दलाई लामा उत्तराधिकार विवाद पर विदेश मंत्रालय का बयान

सारांश

भारत ने दलाई लामा के उत्तराधिकार विवाद पर स्पष्ट किया है कि वह आस्था के मामलों में कोई रुख नहीं अपनाता। यह बयान तिब्बती आध्यात्मिक नेता के पुनर्जन्म की प्रक्रिया पर महत्वपूर्ण है। जानिए इस मुद्दे पर भारत का क्या कहना है और तिब्बती बौद्ध धर्म के भविष्य पर क्या हो रहा है।

Key Takeaways

  • भारत आस्था के मामलों में कोई रुख नहीं अपनाता है।
  • दलाई लामा का पुनर्जन्म विवाद में चीन की भूमिका है।
  • केंद्रीय तिब्बती प्रशासन का स्पष्ट रुख है।
  • धार्मिक स्वतंत्रता का समर्थन भारत सरकार की प्राथमिकता है।
  • दलाई लामा की संस्था के भविष्य पर आश्वासन दिया गया है।

नई दिल्ली, 4 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के हालिया बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत सरकार ने कहा है कि वह आस्था और धर्म से संबंधित मामलों पर कोई रुख नहीं अपनाती और न ही इस पर कोई टिप्पणी करती है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा, "हमने दलाई लामा इंस्टीट्यूशन की निरंतरता के बारे में दिए गए बयान से संबंधित रिपोर्ट देखी हैं। भारत सरकार आस्था और धर्म के मामलों पर न तो कोई रुख अपनाती है और न ही कुछ बोलती है। हम हमेशा भारत में सभी के लिए धार्मिक स्वतंत्रता का समर्थन करते रहेंगे।"

निर्वासित तिब्बती आध्यात्मिक नेता अपने 90वें जन्मदिन के करीब हैं। उन्होंने बुधवार को कहा कि 15वां पुनर्जन्म होगा, जो उनके निधन के बाद 600 साल पुरानी संस्था की निरंतरता पर पहली महत्वपूर्ण घोषणा है। दलाई लामा ने कहा कि उनका कार्यालय, गादेन फोडरंग ट्रस्ट, पुनर्जन्म के लिए एकमात्र प्राधिकारी है, जबकि चीन ने इस पर अंतिम निर्णय का अधिकार अपने पास रखा है।

चीन ने दलाई लामा द्वारा उत्तराधिकार को चुनने में अपनी भूमिका को खारिज करने के कुछ घंटे बाद कहा कि पुनर्जन्म को चीनी शासन द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए। इसके साथ, यह भी कहा गया कि पुनर्जन्म का पालन धार्मिक अनुष्ठानों और ऐतिहासिक परंपराओं के अनुसार होना चाहिए।

हालांकि, मैक्लोडगंज में केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) के प्रवक्ता तेन्जिन लक्षेय ने स्पष्ट किया कि चीन का किसी भी तिब्बती धार्मिक नेता के पुनर्जन्म की प्रक्रिया में कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा, "चीनी सरकार आस्था का उल्लंघन करती है।"

उत्तरी पहाड़ी शहर धर्मशाला के उपनगरीय इलाके में स्थित मैक्लोडगंज में एक तीन दिवसीय बौद्ध धार्मिक सम्मेलन के दौरान, दलाई लामा ने कहा, "मैंने 1969 में स्पष्ट किया था कि यह संबंधित लोगों का काम है कि भविष्य में दलाई लामा के पुनर्जन्म को जारी रखना चाहिए या नहीं।"

उन्होंने कहा, "हालांकि मैंने इस मुद्दे पर कोई सार्वजनिक चर्चा नहीं की है, पिछले 14 वर्षों में विभिन्न धार्मिक नेताओं और तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने मुझे पत्र लिखकर दलाई लामा की संस्था को जारी रखने का आग्रह किया है।"

उन्होंने पुष्टि की कि दलाई लामा की संस्था जारी रहेगी। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दलाई लामा 6 जुलाई को 90 वर्ष के हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि भावी दलाई लामा को मान्यता देने की प्रक्रिया सितंबर 2011 में स्पष्ट रूप से निर्धारित की गई है।

Point of View

मैं यह कहना चाहूंगा कि भारत का रुख धार्मिक स्वतंत्रता पर आधारित है। दलाई लामा के उत्तराधिकार विवाद में भारत का संयमित दृष्टिकोण इस बात को दर्शाता है कि वह आस्था के मामलों में किसी भी प्रकार की राजनीतिक दखलंदाजी से दूर रहना चाहता है।
NationPress
04/09/2025

Frequently Asked Questions

भारत ने दलाई लामा के बयान पर क्या प्रतिक्रिया दी?
भारत ने कहा कि वह आस्था और धर्म के मामलों पर कोई रुख नहीं अपनाता है।
दलाई लामा के पुनर्जन्म की प्रक्रिया पर भारत का क्या कहना है?
भारत ने स्पष्ट किया है कि वह इस प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं निभाता है।
चीन का इस विवाद में क्या रुख है?
चीन ने पुनर्जन्म को अपने शासन द्वारा अनुमोदित करने की बात की है।
केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) का क्या कहना है?
सीटीए ने कहा है कि चीन का किसी भी तिब्बती धार्मिक नेता के पुनर्जन्म में कोई स्थान नहीं है।
दलाई लामा की संस्था का भविष्य क्या है?
दलाई लामा ने पुष्टि की है कि उनकी संस्था जारी रहेगी।