क्या भारत-पाक संघर्ष विराम को लेकर इशाक डार अब भी 'असमंजस' में हैं?
सारांश
Key Takeaways
- इशाक डार के बयानों में असंगति है।
- भारत-पाक संबंधों में मध्यस्थता का मुद्दा महत्वपूर्ण है।
- पाकिस्तान की सामरिक स्थिति पर असर डाल सकता है।
- संघर्ष विराम की संभावनाएं अनिश्चित हैं।
- इस तरह के बयान राजनीतिक अस्थिरता को दर्शाते हैं।
इस्लामाबाद, 27 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार अपने बड़बोलेपन के लिए प्रसिद्ध हैं। अक्सर वे ऐसे बयान देते हैं जो न केवल उनके देश की छवि को प्रभावित करते हैं, बल्कि उनकी खुद की भी फजीहत कराते हैं। सैन्य उपलब्धि की चर्चा हमेशा भारत के इर्द-गिर्द ही होती है। शनिवार को उन्होंने एक और ऐसा बयान दिया जिसमें उन्होंने भारत-पाक संघर्ष पर अपनी पीठ थपथपाई, साथ ही कुछ ऐसा कहा जो पहले भी विवादास्पद साबित हो चुका है।
प्रमुख दैनिक डॉन के अनुसार, इस्लामाबाद में मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, “हमने किसी से मध्यस्थता करने के लिए नहीं कहा था।” यह पहली बार नहीं है जब डार ने दुविधा से भरा बयान दिया है। इससे पहले अगस्त में उन्होंने कुछ ऐसा ही कहा था। उस समय उन्होंने माना कि पाकिस्तान को इतना नुकसान पहुंच चुका था कि उन्होंने हथियार छोड़कर संघर्ष विराम को प्राथमिकता दी। उन्होंने कहा था, "इस्लामाबाद ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के साथ युद्धविराम में मध्यस्थता के लिए अमेरिका या किसी तीसरे पक्ष से कभी अनुरोध नहीं किया। भारतीय हमले में नुकसान झेलने के बाद पाकिस्तान ने खुद सीजफायर की मांग की थी।"
सितंबर में डार ने एक कार्यक्रम में सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि भारत कभी भी किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के लिए सहमत नहीं हुआ था। डार ने खुलासा किया कि जब पाकिस्तान ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता के बारे में पूछा, तो रुबियो ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत हमेशा से कहता रहा है कि यह एक द्विपक्षीय मुद्दा है। उन्होंने दावा किया कि 10 मई को सुबह 8:17 बजे अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो ने उन्हें बताया था कि बहुत जल्द भारत और पाकिस्तान के बीच एक स्वतंत्र स्थान पर वार्ता होगी, लेकिन बाद में 25 जुलाई को रुबियो ने कहा कि भारत ने इसे केवल द्विपक्षीय मामला बताते हुए तीसरे पक्ष की किसी भी भूमिका से इनकार कर दिया है।
शनिवार को दिए अपने बयान में उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ बातचीत का जिक्र किया। पहले कहा कि मध्यस्थता को नहीं कहा, फिर कुछ देर बाद बोले, “सुबह करीब 8:17 बजे, मुझे यूएसए के सेक्रेटरी रुबियो का फोन आया कि ‘भारत सीजफायर के लिए तैयार है, क्या आप तैयार हैं?’ मैंने कहा, ‘हम कभी युद्ध में नहीं जाना चाहते थे।’
हालांकि उनका यह बयान सितंबर के बयान से बिल्कुल मेल नहीं खाता जब उन्होंने कहा था कि भारत द्विपक्षीय समझौते की बात करता है और भारत मध्यस्थता के पक्ष में नहीं था।
अब एक ही मसले पर तीन अलग-अलग बयान पाकिस्तान के नेताओं की कमजोर सोच और हाशिए पर जा रही स्थिति को दर्शाते हैं। एक ही मुद्दे पर विरोधाभासी बयान डार की तकलीफ और नागरिकों को झूठी उम्मीदें दिखाने की कोशिश की ओर इशारा करते हैं।