क्या बीएनपी ने जमात पर गंभीर आरोप लगाए हैं, क्या बांग्लादेश के आम चुनाव में बाधा डालने की आशंका सच है?

सारांश
Key Takeaways
- बीएनपी ने जमात पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
- जमात का उद्देश्य राष्ट्रीय चुनावों को बाधित करना है।
- सलाहुद्दीन अहमद ने जमात के दावों पर सवाल उठाए।
- बीएनपी का मानना है कि लोकतंत्र में मतभेद होना चाहिए।
- प्रदर्शन करने का अधिकार सभी पार्टियों को है।
ढाका, 21 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने आम चुनावों में देरी की आशंका व्यक्त की है, जबकि राजनीतिक तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। बीएनपी ने यह भी कहा है कि कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी जमात-ए-इस्लामी विभिन्न प्रदर्शनों और गतिविधियों के माध्यम से अगले साल होने वाले आम चुनाव में बाधा डालने की कोशिश कर रही है।
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, बीएनपी की स्थायी समिति के सदस्य सलाहुद्दीन अहमद ने ढाका में एक युवा संवाद के दौरान जमात पर गंभीर सवाल उठाए।
उन्होंने कहा कि अगर जमात को सत्ता में लौटने का इतना भरोसा है, तो वह चुनावों में बाधा डालने का प्रयास क्यों कर रही है?
बीएनपी नेता ने यूएनबी के हवाले से कहा, "शुक्रवार को जमात और अन्य दलों ने देशभर में रैलियां कीं। जमात के नेताओं का कहना है कि वे सरकार बनाएंगे, जबकि बीएनपी विपक्ष में होगी, लेकिन इसका निर्णय कौन करेगा? क्या आप या जनता? यदि आपको अपनी जीत पर भरोसा है, तो चुनाव में बाधा डालने के बजाय इसमें क्यों नहीं शामिल होते?"
सलाहुद्दीन अहमद ने जातीय पार्टी और 14 दलों के गठबंधन पर प्रतिबंध लगाने की मांग के लिए जमात की आलोचना की। उन्होंने कहा कि बीएनपी जानती है कि जमात का असली उद्देश्य राष्ट्रीय चुनावों को पटरी से उतारना है।
बीएनपी नेता ने जमात के 'दोहरे मानदंडों' की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि जनता देख रही है कि आनुपातिक प्रतिनिधित्व (पीआर) प्रणाली लागू करने, 14 दलों के गठबंधन और जातीय पार्टी पर प्रतिबंध लगाने की मांगों के लिए वे किस समूह का साथ दे रहे हैं।
सलाहुद्दीन ने कहा कि मतभेद लोकतंत्र का हिस्सा हैं और किसी भी पार्टी को लोकतांत्रिक तरीकों से अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरने का अधिकार है।
बीएनपी नेता ने जमात पर निशाना साधते हुए कहा, "यदि आप ऐसा करते हैं तो हमें भी इसका मुकाबला करने के लिए सड़कों पर उतरना होगा। क्या हम यही चाहते हैं?"
उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि ये मुद्दे बातचीत की मेज पर सुलझें।
इससे पहले, गुरुवार को बीएनपी महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने जमात और अन्य कट्टरपंथी इस्लामी दलों के प्रदर्शनों की आलोचना की थी।
उन्होंने कहा था कि चुनाव में जनप्रतिनिधित्व प्रणाली लागू करने जैसी मांगों पर जोर देना लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है।