क्या सामिया सुलुहू ने दूसरी बार तंजानिया की राष्ट्रपति बनकर चुनावी हिंसा से निपटने का प्रयास किया?
सारांश
Key Takeaways
- तंजानिया में राष्ट्रपति सामिया सुलुहू की जीत हुई है।
- चुनाव के बाद भारी हिंसा हुई है।
- संयुक्त राष्ट्र ने मृतकों की संख्या को कम बताया है।
- इंटरनेट और कर्फ्यू लागू किया गया है।
- अधिकांश लोग शांतिपूर्ण चुनाव की उम्मीद कर रहे थे।
नई दिल्ली, 1 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। अफ्रीका के देश तंजानिया में राष्ट्रपति चुनाव में सामिया सुलुहू हसन को एक महत्वपूर्ण जीत प्राप्त हुई है। लेकिन, इस चुनावी जीत के दौरान भीषण हिंसा का सामना करना पड़ा। यह चुनाव देखते ही देखते एक खूनी संघर्ष में बदल गया।
विदेशी मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार, तंजानिया की प्रमुख विपक्षी पार्टी ने इस सप्ताह के विवादास्पद चुनावों के बाद विशाल प्रदर्शन का दावा किया है, जिसमें सैकड़ों लोगों की जान गई है। जबकि, संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि उसके पास 'विश्वसनीय रिपोर्ट' है कि कम से कम 10 लोग मारे गए हैं।
इंटरनेट बंद करने के साथ-साथ भारी संख्या में सेना को तैनात किया गया है। पूरे इलाके में कर्फ्यू लागू किया गया है। जांजीबार से लेकर डोडोमा तक की स्थिति बेहद नाजुक बनी हुई है। इस बीच, संयुक्त राष्ट्र ने बल प्रयोग से बचने की अपील की है।
तंजानिया के विपक्षी दल चादेमा पार्टी के प्रवक्ता जॉन किटोका ने कहा, "इस समय [दार-ए-सलाम] में मरने वालों की संख्या लगभग 350 है और म्वांजा में 200 से अधिक है। यदि हम देश के अन्य स्थानों के आंकड़े भी जोड़ें, तो कुल मिलाकर लगभग 700 मौतें होती हैं।"
हालांकि, तंजानिया के विदेश मंत्री महमूद थाबित कोम्बो ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि सरकार के पास इन मौतों का कोई आंकड़ा नहीं है और न ही किसी प्रकार का बल प्रयोग किया गया है।
कोम्बो ने शुक्रवार को विपक्ष के सैकड़ों लोगों की मौत की खबरों का खंडन करते हुए कहा, "फिलहाल, कोई अत्यधिक बल प्रयोग नहीं किया गया है। मैंने कहीं भी ये 700 लोग नहीं देखे। अभी तक किसी प्रदर्शनकारी के मरने का कोई आंकड़ा नहीं है।"
बुधवार के चुनावों के बाद, बड़े शहरों में दंगों को रोकने के लिए पुलिस और सेना को तैनात किया गया था। सामान्यतः तंजानिया को एक शांतिपूर्ण देश माना जाता है। लेकिन, चुनाव के बाद सैनिकों ने सड़कों पर गश्त की, छिटपुट गोलीबारी हुई और दुकानें बंद रहीं।
बता दें कि बुधवार को हुए इस आम चुनाव में सामिया सुलुहू हसन और उनकी पार्टी चामा चा मपिंडुजी पर धांधली करने का आरोप लगाया गया। यहीं से हिंसा की शुरुआत हुई। चुनाव के परिणामों के साथ ही, डार एस सलाम, म्वांजा, डोडोमा समेत कई शहरों में लोग सड़कों पर उतर आए। पोस्टर फाड़े गए, थानों पर हमले हुए और पुलिस के साथ झड़पें भी देखी गईं। इस प्रकार का माहौल तेजी से हिंसक हो गया।