क्या सभी सदस्य देश सेम-सेक्स मैरिज का सम्मान करेंगे?: ईयू कोर्ट

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क्या सभी सदस्य देश सेम-सेक्स मैरिज का सम्मान करेंगे?: ईयू कोर्ट

सारांश

यूरोपीय यूनियन की शीर्ष अदालत द्वारा पोलैंड को सेम-सेक्स मैरिज को मान्यता देने के लिए फटकार लगाई गई है। यह निर्णय सभी सदस्य देशों के लिए महत्वपूर्ण है, जो समानता और व्यक्तिगत अधिकारों के लिए एक नया रास्ता खोलेगा। जानें इस फैसले के पीछे का सत्य और पोलैंड में एलजीबीटी+ अधिकारों की स्थिति क्या है।

Key Takeaways

  • यूरोपीय यूनियन की अदालत ने पोलैंड को सेम-सेक्स मैरिज को मान्यता देने की चेतावनी दी।
  • अदालत ने व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन के अधिकारों का उल्लंघन बताया।
  • पोलैंड में एलजीबीटी+ अधिकारों की स्थिति में सुधार की संभावनाएँ हैं।
  • सभी सदस्य देशों को समानता और मानवाधिकारों का सम्मान करना होगा।

नई दिल्ली, 25 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। यूरोपीय यूनियन की सबसे बड़ी अदालत ने सेम-सेक्स मैरिज के मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए पोलैंड को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि सभी सदस्य देशों को इस प्रकार की शादी को मान्यता देनी चाहिए।

अदालत ने मंगलवार को कहा कि पोलैंड ने जोड़ों की शादी को मान्यता न देकर एक गलत कदम उठाया। जोड़े को बताया गया था कि पोलिश कानून सेम-सेक्स मैरिज की अनुमति नहीं देता है। कपल ने जर्मनी में एक-दूसरे से विवाह किया था और पोलैंड वापस आकर अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन कराना चाहते थे।

ईयू कोर्ट ऑफ जस्टिस ने कहा, "यह न केवल आवागमन और निवास की स्वतंत्रता का उल्लंघन है, बल्कि व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन के सम्मान के मौलिक अधिकार का भी हनन है।"

कैथोलिक बहुल पोलैंड में, एलजीबीटी+ समानता के अधिकारों की लड़ाई काफी समय से चल रही है, लेकिन इस क्षेत्र में उन्हें अभी तक सफलता नहीं मिली है। हालांकि, मौजूदा सरकार सेम-सेक्स यूनियनों सहित सिविल पार्टनरशिप को नियंत्रित करने के लिए एक विधेयक पर कार्य कर रही है।

पोलैंड के मीडिया आउटलेट टीवीपी वर्ल्ड न्यूज के अनुसार, यूरोपीय कोर्ट ने यह निर्णय एक पोलिश अदालत के अनुरोध पर दिया। दरअसल, दो पुरुषों का विवाह रजिस्ट्रेशन नहीं किया गया था और जर्मन विवाह प्रमाण पत्र को ट्रांसक्राइब करने से इनकार कर दिया गया था।

2018 में बर्लिन में शादी करने वाले इस कपल की पहचान केवल उनके नाम के पहले अक्षर से हुई है। कपल के वकील ने इस फैसले पर टिप्पणी करने से मना कर दिया।

अदालत ने कहा कि ईयू नागरिकों को दूसरे सदस्य देशों में जाने और अपने देश लौटने पर "एक सामान्य पारिवारिक जीवन" जीने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। फैसले में कहा गया, "जब वे किसी होस्ट सदस्य देश में परिवार बनाते हैं, विशेषकर शादी के कारण, तो उन्हें अपने देश लौटने पर उस पारिवारिक जीवन को जारी रखने का आश्वासन होना चाहिए।"

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इसके लिए सदस्य देशों को अपने राष्ट्रीय कानूनों में सेम जेंडर के बीच शादी की अनुमति देने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन विदेशी शादियों को मान्यता देने के तरीकों में सेम-सेक्स कपल्स के साथ भेदभाव करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

पोलैंड के प्रधानमंत्री, डोनाल्ड टस्क, और उनकी यूरोप समर्थक गठबंधन सरकार का सेम-सेक्स यूनियन पर विधेयक पारित कराने का प्रयास उनके कंजर्वेटिव गठबंधन दल के विरोध के कारण ठप हो गया है।

पोलैंड के राष्ट्रपति, करोल नॉवरोकी ने भी कहा है कि वह "किसी भी ऐसे विधेयक को वीटो करेंगे जो शादी के संवैधानिक रूप से सुरक्षित स्थिति को कमजोर करेगा।"

Point of View

यह स्पष्ट है कि यह निर्णय न केवल पोलैंड, बल्कि सभी सदस्य देशों में समानता और मानवाधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह समय है कि सभी देश व्यक्तिगत अधिकारों का सम्मान करें और एक सशक्त समाज की दिशा में आगे बढ़ें।
NationPress
25/11/2025

Frequently Asked Questions

ईयू कोर्ट ने पोलैंड को क्यों फटकार लगाई?
ईयू कोर्ट ने पोलैंड को इसलिए फटकार लगाई क्योंकि उसने सेम-सेक्स मैरिज को मान्यता देने से इनकार किया, जो कि व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन के अधिकारों का उल्लंघन है।
सेम-सेक्स मैरिज को मान्यता देने में पोलैंड की स्थिति क्या है?
पोलैंड ने अभी तक सेम-सेक्स मैरिज को मान्यता नहीं दी है, लेकिन मौजूदा सरकार इस पर एक विधेयक पर काम कर रही है।
ईयू कोर्ट का यह फैसला अन्य सदस्य देशों पर कैसे प्रभाव डालेगा?
यह फैसला अन्य सदस्य देशों पर भी प्रभाव डालेगा, क्योंकि सभी देशों को समानता और मानवाधिकारों का सम्मान करना होगा।
क्या पोलैंड में एलजीबीटी+ अधिकारों की स्थिति में सुधार होगा?
हालांकि पोलैंड में एलजीबीटी+ अधिकारों की स्थिति में सुधार की संभावनाएँ हैं, लेकिन यह सरकार की नीतियों पर निर्भर करेगा।
क्या यह निर्णय पोलैंड के कानूनों को प्रभावित कर सकता है?
हां, यह निर्णय पोलैंड के कानूनों को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि ईयू के सदस्य देशों को अपने कानूनों में बदलाव करने की आवश्यकता हो सकती है।
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