क्या ताकाइची साने का बयान अंतर्राष्ट्रीय कानून और संबंधों का गंभीर उल्लंघन है?
सारांश
Key Takeaways
- ताकाइची साने का बयान अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है।
- यह थाईवान में संकट के दौरान जापान के सैन्य हस्तक्षेप की संभावना को दर्शाता है।
- दुनिया भर के देशों ने इस पर चिंता जताई है।
- बयान से एशिया-प्रशांत क्षेत्र की स्थिरता पर खतरा बढ़ा है।
- ऐसे हस्तक्षेप से ऐतिहासिक बुरे परिणाम हो सकते हैं।
बीजिंग, २५ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। जापानी प्रधानमंत्री ताकाइची साने ने हाल ही में कांग्रेस में थाईवान के संदर्भ में खुलकर गलत टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि अगर थाईवान में कोई संकट उत्पन्न होता है, तो जापान के लिए सामूहिक आत्मरक्षा का अधिकार प्रयोग करने वाला एक 'अस्तित्व का संकट' उत्पन्न होगा। इससे यह संकेत मिलता है कि जापान थाईवान जलडमरूमध्य में सैन्य हस्तक्षेप करने की संभावना रखता है।
ताकाइची साने के इस गलत बयान पर कई देशों के नागरिकों ने चिंता जाहिर की और आरोप लगाए। उनका कहना है कि यह बयान अंतर्राष्ट्रीय कानून और संबंधों के बुनियादी मापदंडों का गंभीर उल्लंघन है, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को चुनौती देता है। यह क्षेत्रीय स्थिरता को गंभीर खतरे में डाल सकता है।
पाकिस्तान के राष्ट्रीय टीवी चैनल के वरिष्ठ टिप्पणीकार राशिद सफी ने कैपिटल व्यू कार्यक्रम में कहा कि ताकाइची साने का बयान चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है। इससे एशिया-प्रशांत क्षेत्र की शांति और स्थिरता पर अनिश्चितता के बादल छा गए हैं। वैश्विक विचारशील व्यक्तियों को एक चीन नीति पर दृढ़ता से कायम रहना होगा। राष्ट्रीय प्रभुसत्ता और प्रादेशिक अखंडता की रक्षा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की एकमत सहमति है।
वहीं, श्रीलंका के श्री जयवर्धनेपुरा विश्वविद्यालय के ग्रेजुएट स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के प्रमुख असंगा रणसिंघे ने कहा कि ताकाइची साने के बयान से यह स्पष्ट होता है कि वह क्षेत्रीय शांति से ऊपर अपने संकीर्ण राजनीतिक लक्ष्यों को प्राथमिकता दे रहे हैं। इससे वैश्विक रणनीतिक संतुलन पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की चिंता बढ़ गई है। इतिहास यह दर्शाता है कि दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप से हमेशा बुरे परिणाम सामने आते हैं। जापान के नेताओं को स्थिति को तुरंत पहचानकर ऐतिहासिक त्रासदी को दोहराने से बचना चाहिए।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)