क्या बांग्लादेश की पूर्व पीएम हसीना के खिलाफ आईसीटी में मामला चल रहा है?

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क्या बांग्लादेश की पूर्व पीएम हसीना के खिलाफ आईसीटी में मामला चल रहा है?

सारांश

क्या बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना के खिलाफ आईसीटीबीडी में आरोप गंभीर हैं? जानें क्या हैं उनके विकल्प इस मामले में और क्यों है बांग्लादेश में तनाव का माहौल।

Key Takeaways

  • आईसीटीबीडी का उद्देश्य गंभीर अपराधों की सुनवाई करना है।
  • शेख हसीना पर कई गंभीर आरोप हैं।
  • फैसले के बाद उनके पास सीमित विकल्प होंगे।
  • बांग्लादेश में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई है।
  • 1971 का मुक्ति संग्राम बांग्लादेश की स्वतंत्रता का प्रतीक है।

नई दिल्ली, 17 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ दर्ज मामलों में इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल बांग्लादेश (आईसीटीबीडी) आज अपना फैसला सुनाने जा रहा है। हसीना पर कई गंभीर आरोप हैं, जिसके चलते आईसीटीबीडी में सुनवाई जारी है। आइए जानते हैं कि आईसीटीबीडी क्या है और क्यों यह हसीना के मामलों की सुनवाई कर रहा है। साथ ही यह भी जानेंगे कि आईसीटीबीडी में किन मामलों की सुनवाई होती है और शेख हसीना के पास क्या विकल्प बचे हैं।

इस मामले में सजा का फैसला आने से पहले बांग्लादेश में तनाव का माहौल बना हुआ है। हालिया दिनों में वहां धमाकों, आगजनी और हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं। इसी बीच आज के फैसले को ध्यान में रखते हुए चार स्तर की सुरक्षा व्यवस्था की गई है।

इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल बांग्लादेश की स्थापना विशेष रूप से गंभीर अपराधों की सुनवाई के लिए की गई थी। इसे 1973 में इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल एक्ट के तहत बनाया गया। इस अदालत में उन मामलों की सुनवाई होती है जिनका अधिकार क्षेत्र सामान्य अदालतों में नहीं आता।

इसका मुख्य उद्देश्य 1971 के युद्ध अपराधों, मानवता के खिलाफ अपराधों, नरसंहार और सामूहिक अत्याचारों के मामलों की सुनवाई करना था। इसका मतलब है कि यदि किसी मामले को मानवता के विरुद्ध अपराध के तहत रखा गया है, तो उसकी सुनवाई केवल आईसीटीबीडी द्वारा की जाएगी।

शेख हसीना और अन्य के खिलाफ हत्या, अपराध रोकने में विफलता, और मानवता के खिलाफ अपराध के साथ ही छात्रों को गिरफ्तार कर टॉर्चर करने, एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल किलिंग, फायरिंग, और बलों के घातक उपयोग का आदेश देने सहित कई आरोप लगे हैं। इस कारण इस केस की सुनवाई आईसीटीबीडी में की जाएगी।

शेख हसीना के खिलाफ मृत्युदंड की मांग की गई है। आज आईसीटीबीडी का जो भी फैसला आएगा, उसके बाद शेख हसीना के पास विकल्प सीमित होंगे। वे आईसीटीबीडी के फैसले के खिलाफ केवल बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट (अपील डिवीजन) में अपील कर सकती हैं।

इससे पूर्व आईसीटीबीडी ने 1971 के युद्ध अपराधों से जुड़े प्रमुख नेताओं के मामलों की सुनवाई की है। कोर्ट ने गोलाम अजम, सईदी, कादिर मुल्ला, कमरुज्जमान, मोजाहिद, सलाउद्दीन क्वादर चौधरी, और मीर कासेम अली जैसे मामलों में ऐतिहासिक फैसले सुनाए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लगभग 100 लोगों को मृत्युदंड दिया गया।

बांग्लादेश ने 1971 में मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तान से स्वतंत्रता प्राप्त की थी। आईसीटीबीडी की स्थापना इंटरनेशनल क्राइम (ट्रिब्यूनल) अधिनियम के तहत की गई, जिसे 1971 के मुक्ति संग्राम के दो वर्ष बाद पारित किया गया। इसमें 25 मार्च से लेकर 16 दिसंबर 1971 तक बांग्लादेश में किए गए नरसंहार, मानवता के विरुद्ध अपराध, युद्ध अपराध और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अपराधों में शामिल व्यक्तियों का पता लगाने, उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करने और उन्हें सजा दिलाने का कार्य शामिल था।

1970 के आम चुनाव में पूर्व पाकिस्तान में शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान के नेतृत्व वाली आवामी लीग ने 162 में से 160 सीटों पर जीत हासिल की। मुजीबुर रहमान की लोकप्रियता अत्यधिक थी, जिसके कारण पाकिस्तानी हुकूमत ने उनकी जीत को मानने से इनकार कर दिया।

हालात धीरे-धीरे बिगड़ने लगे और विभिन्न स्थानों पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। 25 मार्च 1971 को पाकिस्तानी सेना ने दमनकारी अभियान शुरू किया, जिसमें भारी संख्या में लोग खुद को बचाने के लिए भारत में शरण लेने लगे।

इसके बाद भारत ने 4 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध की घोषणा की, जो 16 दिसंबर को समाप्त हुआ। इस युद्ध में भारत की बड़ी विजय हुई और पाकिस्तान के लगभग 82 हजार सैनिकों को भारत ने बंदी बना लिया। इसके अलावा लगभग 11 हजार नागरिक भी भारत की पकड़ में आए। इन बंदियों में से करीब 195 के खिलाफ युद्ध अपराध का मामला शुरू किया गया।

1974 में पाकिस्तान ने मजबूरी में बांग्लादेश को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी, जिसके बाद इन 195 लोगों के खिलाफ दायर मामलों को खत्म कर उन्हें वापस उनके देश भेज दिया गया।

इसके बाद 2009 में इस अधिनियम में संशोधन किया गया और इसके दायरे में आम नागरिकों को भी लाया गया। इसका अर्थ यह है कि यदि किसी नागरिक के खिलाफ मानवता के खिलाफ या नरसंहार का मामला दर्ज होता है, तो उसकी भी सुनवाई विशेष ट्रिब्यूनल में ही की जाएगी।

Point of View

लेकिन उनके खिलाफ चल रहे मामलों से न केवल उनकी राजनीतिक स्थिरता पर असर पड़ेगा, बल्कि बांग्लादेश के सामाजिक और राजनीतिक माहौल पर भी गहरा प्रभाव डालेगा। इस समय देश में सुरक्षा स्थिति भी चिंताजनक है।
NationPress
17/11/2025

Frequently Asked Questions

आईसीटीबीडी क्या है?
आईसीटीबीडी बांग्लादेश में स्थापित एक विशेष अदालत है, जो युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों की सुनवाई करती है।
शेख हसीना के खिलाफ क्या आरोप हैं?
उन पर हत्या, मानवता के खिलाफ अपराध, छात्रों को टॉर्चर करने, और एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल किलिंग के आरोप लगाए गए हैं।
शेख हसीना के पास कौन से विकल्प हैं?
अगर आईसीटीबीडी का फैसला उनके खिलाफ आता है, तो वे केवल बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती हैं।
बांग्लादेश में वर्तमान में क्या स्थिति है?
फैसले के पहले बांग्लादेश में तनावपूर्ण माहौल है, सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई है।
1971 का मुक्ति संग्राम क्या है?
1971 में बांग्लादेश ने पाकिस्तान से स्वतंत्रता प्राप्त की, इसे मुक्ति संग्राम कहा जाता है।
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