क्या भारत ने 17 साल बाद अमेरिका को प्रत्यर्पण शुरू किया? भारतीय नागरिक को कार दुर्घटना के मामले में भेजा गया

सारांश
Key Takeaways
- भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि का महत्व
- गणेश शेनॉय का केस और इसके कानूनी पहलू
- दुर्घटना में हुई फिलिप मास्ट्रोपोलो की मौत
- इंटरपोल का रेड नोटिस और उसका प्रभाव
- कानून का पालन और न्याय की प्रक्रिया
न्यू यॉर्क, 30 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत ने 17 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद अमेरिका को प्रत्यर्पण प्रक्रिया फिर से आरंभ कर दी है। इस प्रक्रिया के तहत एक भारतीय नागरिक को अपराध के मामले में अमेरिका भेजा गया है।
नासाऊ काउंटी के अभियोजक कार्यालय ने सोमवार को जानकारी दी कि 54 वर्षीय गणेश शेनॉय 20 साल पहले एक सड़क दुर्घटना के बाद भारत भाग गए थे। इस दुर्घटना में 44 वर्षीय फिलिप मास्ट्रोपोलो की जान गई थी। अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि उन्हें मुंबई से हिरासत में लेकर अमेरिका लाया गया।
नासाऊ काउंटी की अभियोजक ऐन डोनली ने कहा कि इतने वर्षों तक कानून से बचने वाले शेनॉय को अंततः अमेरिका लाया गया है ताकि वह उस हादसे का जवाब दे सके जिसमें दो बच्चों के पिता की जान गई थी। अदालत में पेश होने के बाद जज ने उन्हें बिना जमानत के जेल भेज दिया।
यह दुर्घटना अप्रैल 2005 की सुबह न्यूयॉर्क के हिक्सविले इलाके में हुई थी। मास्ट्रोपोलो अपनी कार से काम पर जा रहे थे, तभी शेनॉय ने तेज गति से गाड़ी चलाते हुए लाल बत्ती पार कर दी और उनकी कार से टकरा गए। टक्कर इतनी भयंकर थी कि मास्ट्रोपोलो की कार लगभग 20 मीटर खिसककर एक ट्रक से टकरा गई और मौके पर ही उनकी मौत हो गई।
दुर्घटना के बाद शेनॉय को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्होंने उपचार लेने से मना कर दिया। उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया गया था, फिर भी वह 14 दिन बाद न्यूयॉर्क से मुंबई भाग गए। अगस्त 2005 में उनके खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज हुआ और इंटरपोल ने उनके खिलाफ रेड नोटिस जारी किया।
अमेरिका और भारत के बीच 1997 में प्रत्यर्पण संधि हुई थी। इस संधि के तहत, दोनों देशों में गंभीर अपराध करने वाले अपराधियों को एक-दूसरे को सौंपा जा सकता है। न्यूयॉर्क के कानून के अनुसार, शेनॉय पर लगे आरोप के लिए अधिकतम 15 वर्ष की सजा हो सकती है।