क्या 'संचार साथी' पहल से 6 लाख खोए और चोरी हुए मोबाइल हैंडसेट को रिकवर करने में मदद मिली?

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क्या 'संचार साथी' पहल से 6 लाख खोए और चोरी हुए मोबाइल हैंडसेट को रिकवर करने में मदद मिली?

सारांश

केंद्र सरकार ने बताया कि दूरसंचार विभाग की 'संचार साथी' पहल ने 6 लाख खोए और चोरी हुए मोबाइल हैंडसेट की रिकवरी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह पहल डिजिटल सुरक्षा को बढ़ावा देती है और नागरिकों का विश्वास मजबूत करती है। जानिए इस पहल की खासियत और इसके द्वारा प्राप्त उपलब्धियों के बारे में।

Key Takeaways

  • संचार साथी पहल ने 6 लाख खोए और चोरी हुए मोबाइल हैंडसेट को रिकवर किया।
  • यह पहल नागरिकों के डिजिटल सुरक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
  • रियल टाइम ट्रेसिंग और ब्लॉकिंग की सुविधा उपलब्ध है।
  • जनवरी से अगस्त 2025 के बीच रिकवरी दर में 61% की वृद्धि हुई है।
  • यह भारत का सबसे व्यापक डिजिटल सुरक्षा प्लेटफॉर्म है।

नई दिल्ली, 30 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार ने मंगलवार को जानकारी दी कि दूरसंचार विभाग की ‘संचार साथी’ पहल से 6 लाख खोए और चोरी हुए मोबाइल हैंडसेट को पुनः प्राप्त करने में मदद मिली है।

संचार मंत्रालय के अनुसार, नागरिक-केंद्रित डिजिटल सुरक्षा पहल पर ‘अपना खोया/चोरी हुआ मोबाइल हैंडसेट ब्लॉक करें’ सुविधा ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त की है, जिससे डिजिटल गवर्नेंस में नागरिकों का विश्वास बढ़ा है।

यह उपलब्धि सरकार की डिजिटल एसेट्स की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है और साइबर अपराध से निपटने में तकनीक की ताकत को प्रदर्शित करती है।

संचार साथी पर यह सुविधा दूरसंचार विभाग, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) और राज्य/केंद्र शासित प्रदेश पुलिस को रियल टाइम में एकीकृत करती है।

सरकार के अनुसार, “डिजिटल बाय डिजाइन” की थीम पर निर्मित यह सुविधा प्रति मिनट एक फोन को रिकवर करने में मदद कर रही है।

यह सुविधा नागरिकों को सभी भारतीय दूरसंचार नेटवर्कों पर खोए/चोरी हुए मोबाइल की रिपोर्ट करने, ब्लॉक करने, ट्रेस करने या अनब्लॉक करने की सुविधा देती है।

किसी भी प्रकार के दुरुपयोग को रोकने के लिए, संचार साथी पर रिपोर्ट किए गए खोए/चोरी हुए मोबाइल हैंडसेट को पूरे भारत में दूरसंचार नेटवर्कों में ब्लॉक कर दिया जाता है।

सरकार के अनुसार, “जैसे ही किसी सिम का इस्तेमाल ऐसे खोए/चोरी हुए मोबाइल हैंडसेट के साथ होता है, ऑटोमेटिक ट्रेसेबिलिटी उत्पन्न होती है और नागरिकों के साथ-साथ उस संबंधित पुलिस स्टेशन को भी अलर्ट भेजा जाता है जहां खोए/चोरी हुए मोबाइल हैंडसेट की शिकायत दर्ज की गई थी।”

जनरेट की गई ट्रेसेबिलिटी में नागरिकों को एसएमएस के माध्यम से संपर्क करने के लिए पुलिस स्टेशन का विवरण प्रदान किया जाता है।

इन प्रयासों से, रिकवरी दर में लगातार मासिक आधार पर सुधार हुआ है, मासिक रिकवरी जनवरी 2025 में 28,115 से बढ़कर अगस्त 2025 में 45,243 हो गई है, जो आठ महीनों में 61 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।

यह उपलब्धि सरकार के एक सुरक्षित डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र के दृष्टिकोण को पुष्ट करती है जहां तकनीक नागरिक सशक्तिकरण और सुरक्षा के लिए एक सक्षमकर्ता के रूप में कार्य करती है।

मई 2023 में लॉन्च किया गया, संचार साथी भारत का सबसे व्यापक डिजिटल सुरक्षा प्लेटफॉर्म बन गया है, जिसने 19 करोड़ से अधिक वेबसाइट विजिट और 90 लाख से अधिक मोबाइल ऐप डाउनलोड दर्ज किए हैं।

Point of View

बल्कि यह नागरिकों की सुरक्षा और डिजिटल संपत्ति की रक्षा के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है। एक मजबूत डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में यह प्रयास महत्वपूर्ण कदम है।
NationPress
30/09/2025

Frequently Asked Questions

क्या संचार साथी से सभी खोए हुए मोबाइल की रिपोर्ट की जा सकती है?
जी हाँ, संचार साथी के माध्यम से नागरिक सभी भारतीय दूरसंचार नेटवर्कों पर खोए हुए मोबाइल की रिपोर्ट कर सकते हैं।
क्या मोबाइल हैंडसेट को ब्लॉक करने के बाद उसे पुनः सक्रिय किया जा सकता है?
हां, यदि मोबाइल को अनब्लॉक करने की आवश्यकता हो, तो यह प्रक्रिया भी संभव है।
सरकार ने इस पहल को कब लॉन्च किया?
यह पहल मई 2023 में लॉन्च की गई थी।
क्या यह सेवा सभी नागरिकों के लिए मुफ्त है?
जी हाँ, यह सेवा सभी नागरिकों के लिए पूरी तरह से मुफ्त है।
क्या इस पहल के माध्यम से मोबाइल की रिकवरी की दर में सुधार हुआ है?
हां, इस पहल की मदद से मोबाइल रिकवरी दर में लगातार सुधार हो रहा है।