फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी के किस कदम ने ईरान को नाराज किया?

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फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी के किस कदम ने ईरान को नाराज किया?

सारांश

ईरान ने फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी से अपने राजदूतों को वापस बुलाया है। यह कदम ई3 देशों के उकसावे वाले निर्णयों के परिणामस्वरूप उठाया गया है। जानें इस विवाद के पीछे की वजह और ईरान की प्रतिक्रिया।

Key Takeaways

  • ईरान ने फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी से अपने राजदूतों को वापस बुलाया।
  • स्नैपबैक व्यवस्था के तहत प्रतिबंधों को फिर से लागू किया जा सकता है।
  • ई3 देशों के उकसावे ने ईरान को प्रतिक्रिया देने पर मजबूर किया।
  • 2015 का परमाणु समझौता विवाद का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
  • अंतरराष्ट्रीय संबंधों में तनाव बढ़ने की संभावना।

तेहरान, 27 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। ईरान ने फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी से अपने राजदूतों को वापस बुलाने का निर्णय लिया है। इन देशों को ई3 के नाम से भी जाना जाता है। ई3 देशों द्वारा उठाए गए उकसावे वाले कदमों के कारण ईरान ने यह कदम उठाया।

शनिवार को ईरान के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि ई3 देशों के उकसावे वाले निर्णयों की प्रतिक्रिया में तीनों देशों के राजदूतों को तेहरान आमंत्रित किया गया है।

ई3 देशों ने स्नैपबैक व्यवस्था को फिर से लागू करने का निर्णय लिया, जिससे ईरान की नाराजगी बढ़ गई है। पिछले महीने ई3 ने इस व्यवस्था को औपचारिक रूप से लागू किया था, जिसके तहत यदि ईरान ने 2015 के परमाणु समझौते का उल्लंघन किया, तो संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को 30 दिनों के भीतर फिर से लागू किया जा सकता है।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, 19 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने जेसीपीओए के तहत ईरान के लिए प्रतिबंधों में राहत बढ़ाने वाले प्रस्ताव को पारित करने में विफलता का सामना किया।

इसके बाद शुक्रवार को एक प्रस्ताव पारित नहीं हुआ, जिसमें जेसीपीओए और समझौते का समर्थन करने वाले प्रस्तावों को छह महीने का विस्तार देने की मांग की गई थी। अस्वीकृति का अर्थ है कि समझौते के तहत हटाए गए प्रतिबंध शनिवार शाम से फिर से लागू होंगे।

जुलाई 2015 में ईरान और छह विश्व शक्तियों- ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, जर्मनी, रूस और अमेरिका ने जेसीपीओए पर हस्ताक्षर किए, लेकिन 2018 में जब वाशिंगटन ने इससे बाहर निकलने का निर्णय लिया, तब तेहरान ने अपनी प्रतिबद्धताओं को धीरे-धीरे कम करना शुरू कर दिया।

अल्जीरिया, चीन, पाकिस्तान और रूस ने शुक्रवार को चीन और रूस द्वारा प्रस्तुत मसौदा प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जबकि गुयाना और कोरिया गणराज्य ने मतदान में भाग नहीं लिया। सुरक्षा परिषद के शेष नौ सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया। प्रस्ताव के पारित होने के लिए नौ सकारात्मक मतों की आवश्यकता थी।

ईरान परमाणु समझौते के तीन यूरोपीय देशों (ई3) ने दावा किया कि उन्होंने 28 अगस्त को सुरक्षा परिषद को तेहरान के "महत्वपूर्ण गैर-निष्पादन" की सूचना देकर स्नैपबैक तंत्र को सक्रिय कर दिया है।

प्रस्ताव संख्या 2231 के तहत, प्रस्ताव पारित होने से पहले लागू संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध अधिसूचना के 30 दिन बाद फिर से लागू हो जाएगी, जब तक कि सुरक्षा परिषद अन्यथा निर्णय लेने के लिए कोई प्रस्ताव पारित न कर दे।

-- राष्ट्र प्रेस

कनक/वीसी

Point of View

यह स्पष्ट है कि ईरान का यह कदम अंतरराष्ट्रीय राजनीति में तनाव को बढ़ा सकता है। ई3 देशों के उकसावे ने ईरान को अपनी स्थिति स्पष्ट करने पर मजबूर कर दिया है। यह कदम न केवल ईरान के लिए, बल्कि वैश्विक शांति के लिए भी महत्वपूर्ण है।
NationPress
27/09/2025

Frequently Asked Questions

ईरान ने कब और क्यों राजदूतों को वापस बुलाया?
ईरान ने 27 सितंबर को फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी से अपने राजदूतों को वापस बुलाया। यह कदम ई3 देशों के उकसावे वाले निर्णयों के परिणामस्वरूप उठाया गया।
स्नैपबैक व्यवस्था क्या है?
स्नैपबैक व्यवस्था के तहत यदि ईरान 2015 के परमाणु समझौते का उल्लंघन करता है, तो संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को 30 दिनों के भीतर फिर से लागू किया जा सकता है।
ईरान का परमाणु समझौता कब हुआ था?
ईरान और छह विश्व शक्तियों के बीच जुलाई 2015 में परमाणु समझौता हुआ था, जिसे जेसीपीओए के नाम से जाना जाता है।
क्या ईरान की नाराजगी का कोई प्रभाव पड़ेगा?
ईरान की नाराजगी अंतरराष्ट्रीय संबंधों में तनाव पैदा कर सकती है और इससे वैश्विक शांति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
क्या ई3 देशों ने कोई प्रस्ताव पारित किया?
ई3 देशों ने 19 सितंबर को एक प्रस्ताव पारित करने में विफलता का सामना किया, जिससे ईरान के लिए प्रतिबंधों में राहत बढ़ाई जा सके।