क्या ईरानी संसद ने आईएईए के साथ सहयोग निलंबित करने के विधेयक को मंजूरी दी?

सारांश
Key Takeaways
- ईरानी संसद ने आईएईए के साथ सहयोग निलंबित करने का निर्णय लिया।
- यह कदम अमेरिका के हवाई हमलों के बाद उठाया गया।
- ईरान अपनी संप्रभुता और सुरक्षा पर जोर दे रहा है।
- आईएईए की विश्वसनीयता पर सवाल उठता है।
- ईरान का शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम जारी रहेगा।
तेहरान, २५ जून (राष्ट्र प्रेस)। ईरानी संसद ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के साथ सहयोग निलंबित करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी।
ईरान की अर्ध-सरकारी मेहर समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, यह निर्णय हाल ही में अमेरिका द्वारा ईरान के तीन परमाणु स्थलों एस्फाहान, फोर्डो और नतांज में "ऑपरेशन मिडनाइट हैमर" के बाद लिया गया।
रिपोर्टों से पता चलता है कि संसद के खुले सत्र के दौरान, सांसदों ने एक योजना की सामान्य रूपरेखा पर सहमति व्यक्त की, जिसमें आईएईए के साथ सहयोग निलंबित करने की बात कही गई।
सत्र में उपस्थित २२३ प्रतिनिधियों में से २२१ ने पक्ष में, एक ने विपक्ष और एक ने मतदान में भाग नहीं लिया। ईरान ने कहा कि उसे अपनी संप्रभुता, हितों और लोगों की रक्षा करने का पूरा अधिकार है।
ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन (एईओआई) ने घोषणा की कि यह हमला परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) का उल्लंघन है और यह ईरान को उसके "शांतिपूर्ण" परमाणु कार्यक्रम को जारी रखने से नहीं रोक सकता।
इससे पहले ईरानी संसद के अध्यक्ष मोहम्मद बाघेर गालिबफ ने संयुक्त राष्ट्र परमाणु एजेंसी की आलोचना करते हुए आरोप लगाया था कि उसने ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमलों की निंदा नहीं की है, और कहा था कि आईएईए ने अपनी "अंतर्राष्ट्रीय विश्वसनीयता" खो दी है।
उन्होंने आगे कहा कि जब तक ईरानी परमाणु प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के बारे में आश्वासन नहीं मिल जाता, एईओआई तब तक आईएईए के साथ अपना सहयोग रोक देगा।
संसद अध्यक्ष ने कहा, "ईरान का शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम और अधिक तेजी से आगे बढ़ेगा।"
१३ जून को इजरायली हवाई हमलों ने ईरान के अंदर कई जगहों को निशाना बनाया, जिसमें परमाणु और सैन्य प्रतिष्ठान शामिल थे। इसके बाद रविवार को अमेरिका ने ईरान के फोर्डो, नतांज और एस्फाहान परमाणु प्रतिष्ठानों पर हवाई हमले किए।
यह घटना आईएईए के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के हाल के प्रस्ताव के साथ मेल खाती है, जिसमें २००५ के बाद पहली बार ईरान को अपने परमाणु दायित्वों का पालन न करने वाला घोषित किया गया है।
यह कदम आईएईए की एक रिपोर्ट के बाद उठाया गया है, जिसमें तेहरान पर तीन अघोषित स्थानों पर पाई गई परमाणु सामग्री की उपस्थिति के बारे में पूरी तरह से स्पष्टीकरण न देने का आरोप लगाया गया है, जबकि एजेंसी ने सहयोग की पेशकश को "संतोषजनक से कम" बताया है।