क्या क्योटो में बर्ड फ्लू का नया मामला सामने आया?
सारांश
Key Takeaways
- क्योटो प्रांत में बर्ड फ्लू का नया मामला सामने आया है।
- यह इस सीजन का नौवां मामला है।
- स्थानीय प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं।
- बर्ड फ्लू का फैलाव रोकने के लिए विशेष टीम भेजी गई है।
- जापान में बर्ड फ्लू आमतौर पर शरद ऋतु से वसंत तक होता है।
टोक्यो, २४ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। जापान के कृषि मंत्रालय ने बुधवार को जानकारी दी कि क्योटो प्रांत के एक पोल्ट्री फार्म में बर्ड फ्लू (हाईली पैथोजेनिक एवियन इन्फ्लूएंजा) की पुष्टि की गई है। यह इस सीजन का देश में b>बर्ड फ्लू का नौवां मामला है।
कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन मंत्रालय के अनुसार, यह मामला कामेओका शहर में स्थित एक पोल्ट्री फार्म में सामने आया है, जहां लगभग २ लाख ८० हजार अंडे देने वाली मुर्गियां पाली जाती हैं।
स्थानीय प्रशासन को मंगलवार को इस बारे में सूचित किया गया। उसी दिन फार्म की मुर्गियों पर रैपिड एवियन इन्फ्लूएंजा टेस्ट किया गया, जिसके परिणाम सकारात्मक आए। इसके बाद बुधवार को आनुवंशिक जांच से स्पष्ट हुआ कि यह गंभीर किस्म का एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस है।
नियमों के अनुसार, फार्म की सभी मुर्गियों को नष्ट किया जाएगा और उन्हें जलाकर जमीन में दफन किया जाएगा। फार्म के तीन किलोमीटर के दायरे में आने वाले अन्य फार्मों से मुर्गियों और अंडों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। साथ ही, तीन से दस किलोमीटर के क्षेत्र में स्थित फार्म बाहर के इलाकों में पोल्ट्री उत्पाद नहीं भेज सकेंगे।
सिन्हुआ न्यूज एजेंसी के अनुसार, वायरस के फैलाव को रोकने के लिए फार्म के आसपास कीटाणुनाशक छिड़काव तेज कर दिया गया है। बीमारी की जांच के लिए एक विशेष टीम भी भेजी गई है। आवश्यकता पड़ने पर मंत्रालय के विशेषज्ञ भी मौके पर जाएंगे।
जापान में आमतौर पर बर्ड फ्लू का मौसम शरद ऋतु से लेकर अगले वसंत तक रहता है। इस मौसम में अब तक हुए आठ मामलों में लगभग २४ लाख मुर्गियों को मारना पड़ा है। देश में पहला मामला २२ अक्टूबर को सबसे उत्तरी प्रांत होक्काइडो में सामने आया था।
बर्ड फ्लू को एवियन इन्फ्लूएंजा भी कहा जाता है। यह एक बीमारी है जो जंगली पक्षियों और मुर्गियों में फैलती है। यह वायरस एच5एन1 और एच9एन2 जैसे सब-टाइप से होता है। कभी-कभी यह बीमारी इंसानों को भी हो सकती है, लेकिन यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से नहीं फैलती। ज्यादातर मामलों में इंसान संक्रमित जीवित या मृत मुर्गियों के संपर्क में आने से बीमार हुए हैं।