क्या बांग्लादेश को दीर्घकालिक संकट में धकेल रहे हैं यूनुस? वामपंथी गठबंधन ने मुख्य सलाहकार पर गंभीर आरोप लगाए
सारांश
Key Takeaways
- यूनुस सरकार की स्थिति में अराजकता और राजनीतिक संघर्ष है।
- एलडीए ने यूनुस पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
- यूनुस ने चुनाव और जनमत संग्रह की तिथि घोषित की है।
- संविधान के उल्लंघन के आरोप उठाए गए हैं।
- राजनीतिक दलों के बीच संवाद की आवश्यकता है।
ढाका, १५ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश में यूनुस सरकार के नेतृत्व में न केवल अराजकता की स्थिति बनी हुई है, बल्कि राजनीतिक संघर्ष भी उभरकर सामने आ रहा है। डेमोक्रेटिक लेफ्ट अलायंस (एलडीए) ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस पर आरोप लगाया है कि वे देश को दीर्घकालिक संकट की ओर अग्रसर कर रहे हैं।
स्थानीय मीडिया के अनुसार, एलडीए ने आरोप लगाया है कि यूनुस सरकार बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी), कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी जमात-ए-इस्लामी और नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) को संतुष्ट करने के प्रयास में देश को संकट में डाल रही है।
एक दिन पहले, मुख्य सलाहकार ने देश के नाम एक संबोधन में कहा था कि फरवरी २०२६ के प्रारंभिक १५ दिनों में राष्ट्रीय चुनाव और जनमत संग्रह एक साथ आयोजित किए जाएंगे।
छह वामपंथी दलों के गठबंधन, एलडीए ने एक बयान में आरोप लगाया कि जुलाई चार्टर, जनमत संग्रह और संविधान सुधार परिषद के कार्यान्वयन आदेश के संबंध में यूनुस की घोषणा "एकतरफा और असंवैधानिक" थी।
बांग्लादेशी समाचार पत्र द डेली स्टार ने एलडीए के हवाले से कहा, "संविधान में ऐसा आदेश [जुलाई चार्टर आदेश] जारी करने या जनमत संग्रह कराने का कोई प्रावधान नहीं है। राष्ट्रपति केवल अध्यादेश जारी कर सकते हैं।"
एलडीए ने यह भी कहा कि यूनुस ने अपने संबोधन में इस बात का उल्लेख नहीं किया कि कई राजनीतिक दल उनसे असहमत हैं। यूनुस ने अपने संबोधन में ४८ में से ३० प्रस्तावों पर सभी राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति का दावा किया। एलडीए ने यूनुस के इस दावे को गलत बताया।
एलडीए ने कहा, "ऐसे ११ से अधिक प्रस्ताव नहीं हैं जिन पर सभी राजनीतिक दल आम सहमति पर पहुंचे हों। यदि बीएनपी, जमात और एनसीपी के बीच आम सहमति को सभी की आम सहमति माना जाता है, तो आम सहमति आयोग की बैठकें संदिग्ध हो जाती हैं।"
गठबंधन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि देश के राष्ट्रपति के नाम से जारी ऐसा आदेश अंतरिम सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। वहीं दूसरी ओर, जातीय समाजतांत्रिक दल (जेएसडी) के अध्यक्ष एएसएम अब्दुर रब ने चेतावनी दी है कि जुलाई चार्टर के कार्यान्वयन को लेकर कोई भी नया राजनीतिक संकट बांग्लादेश को संकट में डाल सकता है।
जेएसडी नेता ने कहा, "देश के इस महत्वपूर्ण मोड़ पर, राजनीतिक विभाजन, विरोध और प्रतिद्वंद्विता से बचना होगा। राष्ट्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए, बातचीत और समझ के माध्यम से संवैधानिक, राजनीतिक और सामाजिक सुरक्षा उपायों का संतुलन स्थापित किया जाना चाहिए।"