क्या भारत-जर्मनी संबंधों को और बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं?

सारांश
Key Takeaways
- भारत और जर्मनी के संबंधों में अपार संभावनाएं हैं।
- 2047 तक भारत के विकसित होने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य।
- जर्मनी का भारत के विकास में समर्थन।
- द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए रणनीतिक साझेदारी।
- एनडीटीवी वर्ल्ड समिट का महत्व।
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस) भारत में जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन ने कहा कि भारत और जर्मनी के बीच संबंधों को और अधिक मजबूती प्रदान करने के लिए दोनों देश एकजुट होकर प्रयासरत हैं। एनडीटीवी वर्ल्ड समिट के दौरान राष्ट्र प्रेस से संवाद करते हुए उन्होंने कहा, "भारत-जर्मनी संबंध बहुत अच्छी तरह से विकसित हैं, लेकिन अभी भी कई संभावनाएं हैं। हम दिल्ली और बर्लिन में सरकार के साथ मिलकर इन्हें और सशक्त बनाने की कोशिश कर रहे हैं।"
एकरमैन ने 2047 तक भारत के विकसित होने के लक्ष्य के लिए जर्मनी का समर्थन भी व्यक्त किया और इसे भारत सरकार का एक "अच्छा दृष्टिकोण" बताया।
उन्होंने कहा, "यह एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य है और यह एक ऐसा लक्ष्य है जिसका मैं बहुत सम्मान करता हूं। हम, जर्मनी, इस लक्ष्य तक पहुँचने में भारत की हर संभव मदद करने के लिए प्रयासरत रहेंगे। यह सरकार का एक बहुत ही अच्छा दृष्टिकोण है और हम जहां भी संभव हो, इसका समर्थन करने को तैयार हैं।"
विकसित भारत 2047 पहल का उद्देश्य 2047 में अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है।
जर्मन राजदूत ने नई दिल्ली में चल रहे एनडीटीवी वर्ल्ड समिट में भाग लेने के बाद राष्ट्र प्रेस से बात की। उन्होंने कहा, "यह एक बहुत ही अच्छा और दिलचस्प शिखर सम्मेलन रहा। मुझे यहाँ आकर बहुत खुशी हो रही है और मुझे आमंत्रित किए जाने पर गर्व है। हमारा सत्र अच्छा रहा। मुझे लगता है कि यह दिल्ली के मीडिया जगत के बड़े आयोजनों में से एक है।"
इससे पहले सितंबर में, जर्मन विदेश मंत्री जोहान वाडेफुल ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और यूक्रेन में चल रहे संघर्ष को समाप्त करने के भारत के आह्वान की सराहना की। वाडेफुल ने कहा कि भारत और जर्मनी ने विभिन्न क्षेत्रों, विशेष रूप से सुरक्षा और रक्षा, अर्थव्यवस्था और व्यापार, और कुशल श्रम में रणनीतिक साझेदारी का विस्तार करने के कदम उठाए हैं।