क्या 2024 से अब तक अफ्रीका में एमपॉक्स से होने वाली मौतें 1,900 को पार कर गईं?

सारांश
Key Takeaways
- एमपॉक्स प्रकोप से 1,900 से अधिक मौतें हुई हैं।
- इस बीमारी के लक्षण बुखार और चकत्ते हैं।
- संक्रमण के फैलने का मुख्य कारण करीबी संपर्क है।
- अफ्रीका सीडीसी ने इसे स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है।
- जांच की सुविधाओं में वृद्धि एक सकारात्मक संकेत है।
नई दिल्ली, 9 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। इस वर्ष 2024 की शुरुआत से अब तक अफ्रीका में चल रहे एमपॉक्स प्रकोप ने 1,900 से अधिक लोगों की जान ले ली है। यह जानकारी अफ्रीका सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (अफ्रीका सीडीसी) द्वारा प्रदान की गई।
एक ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग के दौरान, अफ्रीका सीडीसी के कार्यकारी कार्यालय के प्रमुख और चीफ ऑफ स्टाफ नगाशी नगोंगो ने कहा कि पिछले वर्ष की शुरुआत से एमपॉक्स से प्रभावित 27 अफ्रीकी देशों में 1,74,597 मामले और 1,922 संबंधित मौतें दर्ज की गई हैं।
अफ्रीका सीडीसी के शीर्ष अधिकारी नगाशी नगोंगो ने बताया कि जब हम पिछले वर्ष और वर्तमान वर्ष के आंकड़ों की तुलना करते हैं, तो हम पाते हैं कि 2025 में, हम पहले ही 94,300 मामले दर्ज कर चुके हैं, जो पिछले वर्ष दर्ज किए गए मामलों का 117 प्रतिशत है। इस वर्ष 29,084 मामले पक्के तौर पर पुष्टि हुए हैं, जबकि 2024 में यह संख्या 19,713 थी।
हालांकि, हाल के हफ्तों में मामलों में गिरावट देखी गई है, खासकर मई के उच्च मामलों की तुलना में। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, जांच की सुविधा में वृद्धि बीमारी से लड़ाई में एक सकारात्मक संकेत मानी जा रही है।
एमपॉक्स एक दुर्लभ वायरस जनित बीमारी है, जिसकी पहचान सबसे पहले 1958 में प्रयोगशाला के बंदरों में हुई थी। यह बीमारी मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के शारीरिक तरल पदार्थ, सांस की बूंदों और संक्रमित वस्तुओं से फैलती है। इसके लक्षणों में बुखार, चकत्ते और लिम्फ नोड्स (गांठों) में सूजन शामिल हैं।
अगस्त 2024 में अफ्रीका सीडीसी ने इस प्रकोप को पूरे महाद्वीप के लिए स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया था। बाद में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर की स्वास्थ्य आपात स्थिति बताया।
यह रोग खासतौर पर करीबी संपर्क से फैलता है, जैसे त्वचा से त्वचा, मुंह से मुंह, या मुंह से त्वचा का संपर्क। यहां तक कि किसी संक्रमित व्यक्ति के करीब खड़े होकर बात करना या सांस लेना भी संक्रमण फैला सकता है।
संक्रमण के लक्षण आमतौर पर एक हफ्ते में शुरू हो जाते हैं, लेकिन कभी-कभी 1 से 21 दिन बाद भी आ सकते हैं। लक्षण 2 से 4 हफ्ते तक रहते हैं, लेकिन जिनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, उनमें यह और लंबे समय तक रह सकते हैं।