क्या फिलीपींस ने टीबी के खिलाफ लड़ाई को तेज किया है? 2026 तक 12 मिलियन स्क्रीनिंग का लक्ष्य
सारांश
Key Takeaways
- फिलीपींस ने टीबी के खिलाफ नई तकनीकों का इस्तेमाल किया है।
- 2026 तक 12 मिलियन लोगों की जांच का लक्ष्य है।
- दवा-प्रतिरोधी टीबी का इलाज अब छह महीने में किया जा सकता है।
मनीला, 13 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। फिलीपींस के स्वास्थ्य विभाग ने गुरुवार को जानकारी दी कि देश ने टीबी के खिलाफ अपनी लड़ाई को तेजी से आगे बढ़ाया है। इस विशेष अभियान के तहत, सरकार का उद्देश्य है कि 2026 तक पूरे देश में 1.2 करोड़ (12 मिलियन) लोगों की जांच की जाए।
टीबी सेवाओं के विस्तार और गति बढ़ाने के लिए, एजेंसी ने सोशल मीडिया पर साझा किया है कि उसने 2026 के लिए 4.2 अरब पेसो (लगभग 71 मिलियन डॉलर) का बजट प्रस्तावित किया है। यह 2025 के लिए निर्धारित 2.6 अरब पेसो (लगभग 44 मिलियन डॉलर) के बजट की तुलना में लगभग दोगुना है।
स्वास्थ्य सचिव टियोडोरो हर्बोसा ने बताया कि फिलीपींस में टीबी के मामलों की तत्काल जांच और निदान के लिए पहले से ही अल्ट्रा-पोर्टेबल, एआई-आधारित चेस्ट एक्स-रे और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसित न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्ट का उपयोग किया जा रहा है।
हर्बोसा ने कहा कि दवा-प्रतिरोधी टीबी के इलाज के लिए एक नई उपचार पद्धति को अपनाया गया है, जिससे इलाज की अवधि दो साल से घटकर अब केवल छह महीने रह गई है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वर्ष 2024 में दुनिया भर में टीबी के लगभग 1.07 करोड़ मामले होने की संभावना है, जिनमें से करीब 6.8 प्रतिशत मामले फिलीपींस में हो सकते हैं। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, फिलीपींस में हर दिन लगभग 100 लोग टीबी से अपनी जान गंवाते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, टीबी एक बैक्टीरिया माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस से होती है, जो मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करती है। यह बीमारी हवा के माध्यम से फैलती है जब फेफड़ों की टीबी से पीड़ित व्यक्ति खांसता, छींकता या थूकता है। किसी व्यक्ति को संक्रमित होने के लिए केवल कुछ ही बैक्टीरिया सांस के साथ अंदर लेना पर्याप्त होता है।
हर साल लगभग 1 करोड़ लोग टीबी से बीमार पड़ते हैं। यह बीमारी रोकी और ठीक की जा सकती है, फिर भी हर साल करीब 15 लाख लोगों की मौत टीबी से होती है। इसी कारण टीबी दुनिया की सबसे घातक संक्रामक बीमारियों में से एक बनी हुई है।
टीबी एचआईवी से पीड़ित लोगों में मौत का प्रमुख कारण है और यह एंटीबायोटिक प्रतिरोध (दवा प्रतिरोध) फैलाने में भी एक बड़ा योगदान करती है।