क्या इमरान खान की बहनों पर पुलिस कार्रवाई ने बवाल खड़ा किया?
सारांश
Key Takeaways
- पुलिसिया ज्यादती पर सवाल उठे हैं।
- महिलाओं के अधिकार की सुरक्षा पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
- सत्ता का दुरुपयोग एक गंभीर मुद्दा है।
इस्लामाबाद/नई दिल्ली, 19 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। रावलपिंडी की अदीयाला जेल के बाहर 18-19 नवंबर की रात को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की बहनों के साथ जो घटना हुई, उसने एक बड़े वर्ग में आक्रोश भर दिया है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ही नहीं, बल्कि अन्य राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों ने भी इस पुलिसिया ज्यादती को नाकाबिले बर्दाश्त मानते हुए इसे शर्मनाक करार दिया है।
इमरान खान की बहनें—अलीमा, नोरीन, और उज्मा—जो एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से हैं, जब पुलिस के द्वारा घसीटी गईं, तो यह सवाल उठने लगा कि “क्या हुआ?” साथ ही, “पाकिस्तान किस दिशा में बढ़ रहा है?”
पीटीआई ने सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें और वीडियो साझा किए हैं, जिसमें घटनास्थल की लाइटें बुझी हुई हैं और तीनों महिलाएं जमीन पर बैठकर अपने भाई से मिलने की बात कर रही हैं। इस दौरान कथित तौर पर उन पर पानी छोड़ा गया। फिर, तीनों महिलाओं को इस तरह खींचा गया, जैसे वे देश की सबसे खतरनाक भगोड़ी हों।
अलीमा खान ने कहा, "वे हमें मिट्टी में गिराकर घसीट रहे थे। यह केवल कार्रवाई नहीं थी—यह एक संदेश था कि ‘अगर तुम इमरान खान का समर्थन करोगे, तो तुम्हारी जगह जमीन पर है।'"
सबसे भयावह दृश्य नोरीन निआजी का था—जहां वे जमीन पर पड़ी थीं और पुलिस उन्हें घसीट रही थी। उन्होंने कहा, "मेरी चादर खींची गई। मुझे बाल पकड़कर घसीटा गया। ऐसी सरकार जो महिलाओं के साथ ऐसा व्यवहार करे, उसके पास शासन करने का नैतिक अधिकार नहीं है।" उज्मा ने इसे सीधे तौर पर “आतंक” का नाम दिया। उन्होंने कहा, "उन्होंने अंधेरा करके हमें डराने की कोशिश की। क्या यह जेल के बाहर शांतिपूर्ण बैठी तीन महिलाओं से निपटने का तरीका है? यह सुरक्षा नहीं, बल्कि सत्ता का नंगा प्रदर्शन है।"
ये घटनाएं केवल एक दिन की नहीं हैं। अप्रैल 2025 में भी कुछ ऐसा ही हुआ था। 8, 14 और 17 अप्रैल को भी जेल के बाहर पुलिस ने उनके साथ ऐसा ही बर्ताव किया था।
पीटीआई का आरोप है कि परिवार को मुलाकातें रोककर और फिर ऐसी कार्रवाई करके, सत्ता यह साबित करना चाहती है कि इमरान खान “अकेले” हैं और उनका परिवार भी किसी सुरक्षा या सम्मान का पात्र नहीं।
पूर्व राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने एक्स पर कहा, "यह आज का पाकिस्तान है - जहां महिलाओं के बुर्के की पवित्रता का उल्लंघन किया जाता है। बहनों का केवल इतना कसूर था कि वे अपने भाई से मिलने आई थीं।"
मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील जिबरान नासिर ने भी सोशल मीडिया पर कहा, "हर अपराध के साथ, शोषण करने वाले खुद को ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं। अपहरण, गिरफ्तारियां, छापे, सैन्य अदालती मुकदमे, धांधली वाले चुनाव, संशोधन - ये सब एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। जब वे बिना किसी जवाबदेही के बच निकलते हैं, तो उनका हौसला और बढ़ जाता है।"
सियासी दल मजलिस वहदत-ए-मुस्लिमीन के अल्लामा राजा नासिर अब्बास ने पूछा, "यह कौन सा पाकिस्तान है? यह कैसी इंसानियत है?" इमरान की बहनों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई “इंसानियत के मुंह पर तमाचा” और सत्ता के गलत इस्तेमाल का एक उदाहरण है। उन्होंने कहा, "जो लोग महिलाओं पर हाथ डालते हैं, वे न तो मुसलमान कहलाने के योग्य हैं और न ही पाकिस्तानी।"