क्या 20वें ईएएस में कुआलालंपुर घोषणापत्र पारित हुआ है, जो शांति-स्थिरता की पुष्टि करता है?

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क्या 20वें ईएएस में कुआलालंपुर घोषणापत्र पारित हुआ है, जो शांति-स्थिरता की पुष्टि करता है?

सारांश

कुआलालंपुर घोषणापत्र ने पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) के प्रति देशों की प्रतिबद्धता की पुष्टि की है। यह घोषणापत्र न केवल शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि देशों के बीच सहयोग को बढ़ाने का भी आह्वान करता है।

Key Takeaways

  • कुआलालंपुर घोषणापत्र ने शांति और स्थिरता की पुष्टि की है।
  • ईएएस द्वारा सहयोग और साझेदारी को बढ़ावा देने का आह्वान किया गया।
  • आसियान की केंद्रीय भूमिका का समर्थन किया गया।
  • भू-राजनीतिक तनाव और सुरक्षा खतरों का सामना करने की आवश्यकता है।
  • वैश्विक स्तर पर स्थिरता में योगदान देने का लक्ष्य रखा गया है।

कुआलालंपुर, 28 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कुआलालंपुर घोषणापत्र में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) 2005 के घोषणापत्र के प्रति भागीदार देशों की मजबूत प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई। इसमें ईएएस के व्यापक दृष्टिकोण, सिद्धांत, उद्देश्य और कार्य करने के तरीकों को स्पष्ट किया गया है।

ईएएस की पांचवीं वर्षगांठ पर 2010 की हा नोई घोषणा, दसवीं वर्षगांठ पर 2015 की कुआलालंपुर घोषणा और पंद्रहवीं वर्षगांठ पर 2020 की हा नोई घोषणा के प्रति देशों ने अपना समर्पण दोहराया।

घोषणापत्र में यह स्वीकार किया गया कि वर्तमान समय में दुनिया और क्षेत्र अनेक भू-राजनीतिक तनाव, संघर्ष, आर्थिक अनिश्चितता, सुरक्षा खतरों और अन्य पार-सीमा चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। इसमें कहा गया कि इन समस्याओं का समाधान और सभी के लिए स्थायी शांति, सामाजिक विकास तथा आर्थिक प्रगति सुनिश्चित करने के लिए देशों को मिलकर सहयोग और संयुक्त प्रयास करने की आवश्यकता है।

घोषणापत्र में यह पुष्टि की गई कि क्षेत्र के देश संयुक्त राष्ट्र चार्टर, आसियान चार्टर और दक्षिण-पूर्व एशिया में मैत्री एवं सहयोग संधि के उद्देश्यों और सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्ध हैं। इसमें 2005 के कुआलालंपुर घोषणापत्र और 2011 के पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन घोषणापत्र को सदस्य देशों के बीच लगातार सहयोग और विश्वास स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण आधार बताया गया।

घोषणापत्र में आसियान की एकता और केंद्रीय भूमिका का समर्थन किया गया और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में आसियान को प्रेरक शक्ति के रूप में पुनः स्थापित किया गया। इसमें रणनीतिक विश्वास बढ़ाने और क्षेत्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय मामलों में पारदर्शी, पूर्वानुमानित और जिम्मेदार व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए अन्य देशों के साथ घनिष्ठ साझेदारी की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया।

घोषणापत्र में पिछले 20 वर्षों में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन द्वारा की गई महत्वपूर्ण प्रगति को स्वीकार किया गया और इसके स्थापित सिद्धांतों और उद्देश्यों के आधार पर ईएएस को और मजबूत बनाने का आह्वान किया गया। इसके अलावा, ईएएस भागीदार देशों के बीच गहन सहयोग और मजबूत मित्रता को बढ़ावा देने के लिए समानता, साझेदारी, परामर्श और पारस्परिक सम्मान के सिद्धांतों पर आधारित एक शांतिपूर्ण वातावरण बनाने की सामूहिक इच्छा व्यक्त की गई।

इन प्रयासों के माध्यम से, ईएएस का उद्देश्य न केवल क्षेत्र में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी शांति, स्थिरता और समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देना है।

इसके अतिरिक्त, आसियान सचिवालय के अंतर्गत ईएएस इकाई को संस्थागत समर्थन और निरंतरता प्रदान करने के लिए सराहा गया, जो पूरे ईएएस ढांचे को मजबूत करने में योगदान देती है।

Point of View

हमें यह मानना चाहिए कि कुआलालंपुर घोषणापत्र का पारित होना, हमारे क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह केवल शांति और स्थिरता की पुष्टि ही नहीं करता, बल्कि विभिन्न देशों के बीच सहयोग को भी बढ़ावा देता है। हमें इसे एक अवसर के रूप में लेना चाहिए, ताकि हम वैश्विक स्थिरता की दिशा में आगे बढ़ सकें।
NationPress
28/10/2025

Frequently Asked Questions

कुआलालंपुर घोषणापत्र में क्या कहा गया है?
घोषणापत्र में देशों के बीच सहयोग, स्थायी शांति, सामाजिक विकास और आर्थिक प्रगति की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन का उद्देश्य क्या है?
ईएएस का उद्देश्य क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर शांति, स्थिरता और समृद्धि को सुनिश्चित करना है।
आसियान की भूमिका क्या है?
आसियान की एकता और केंद्रीय भूमिका को पुनः स्थापित करते हुए, इसे शिखर सम्मेलन में प्रेरक शक्ति के रूप में मान्यता दी गई है।