क्या जी20 ने वैश्विक वित्त और आर्थिक विकास को नई दिशा दी? पीएम मोदी
सारांश
Key Takeaways
- जी20 ने वैश्विक वित्त और आर्थिक विकास को नई दिशा दी।
- अफ्रीका के विकास के लिए भारत का योगदान महत्वपूर्ण है।
- वैश्विक पारंपरिक ज्ञान भंडार का प्रस्ताव।
- स्वास्थ्य आपात स्थितियों के लिए एक प्रतिक्रिया टीम का गठन।
- नशीले पदार्थों की तस्करी से निपटने के लिए ठोस पहल।
नई दिल्ली/जोहान्सबर्ग, २२ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को जोहान्सबर्ग में जी20 लीडर्स समिट को संबोधित करते हुए कहा कि सबसे पहले मैं राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा को जी20 समिट के सफल आयोजन और अध्यक्षता के लिए बधाई देता हूं। दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में स्किल्ड माइग्रेशन, टूरिज्म, फूड सिक्योरिटी, एआई, डिजिटल इकोनॉमी, इनोवेशन और वूमन एम्पॉवरमेंट जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सराहनीय कार्य हुआ है। नई दिल्ली जी20 समिट में जो ऐतिहासिक पहल की गई थी, उन्हें यहां आगे बढ़ाया गया है।
पीएम मोदी ने कहा कि पिछले कई दशकों में जी20 ने वैश्विक वित्त और आर्थिक विकास को एक नई दिशा दी है। लेकिन जिन पैरामीटर्स पर अभी तक कार्य हुआ है, उनके कारण एक बड़ी जनसंख्या संसाधनों से वंचित रह गई है। अफ्रीका इसका मुख्य भुक्तभोगी है। आज जब अफ्रीका पहली बार जी20 समिट की मेज़बानी कर रहा है, हमें विकास के पैरामीटर्स पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। इसका एक मार्ग भारतीय सभ्यता के मूल्यों में है, और वह मार्ग एकात्म मानववाद का है। हमें मानव, समाज और प्रकृति को एक साथ मिलाकर आगे बढ़ाना होगा, तभी प्रगति और प्रकृति के बीच सामंजस्य संभव हो सकेगा।
उन्होंने कहा कि दुनिया में कई ऐसी समुदायें हैं जिन्होंने अपनी पारंपरिक और पर्यावरण-संतुलित जीवनशैली को सुरक्षित रखा है। इन परंपराओं में स्थिरता नजर आती है, साथ ही सांस्कृतिक ज्ञान, सामाजिक एकता, और प्रकृति के प्रति गहरा सम्मान भी दिखाई देता है।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि भारत का प्रस्ताव है कि जी20 के तहत एक वैश्विक पारंपरिक ज्ञान भंडार बनाया जाए। भारत की भारतीय ज्ञान प्रणाली पहल इसका आधार बन सकती है। यह वैश्विक प्लेटफॉर्म मानवता के सामूहिक ज्ञान को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि अफ्रीका के विकास और युवा प्रतिभाओं को सक्षम बनाना पूरी दुनिया के हित में है, इसलिए भारत जी20-अफ्रीका कौशल गुणक पहल का प्रस्ताव रखता है। ये अलग-अलग सेक्टर्स के लिए 'ट्रेन-द-ट्रेनर्स' मॉडल के तहत चल सकता है, और जी20 के सभी पार्टनर इसे वित्तीय सहायता और समर्थन कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि हमारा सामूहिक लक्ष्य है कि अगले एक दशक में, अफ्रीका में एक मिलियन सर्टिफाइड ट्रेनर तैयार हों। ये ट्रेनर, आगे चलकर करोड़ों स्किल्ड युवा तैयार करेंगे। यह एक ऐसी पहल होगी जिसका मल्टीप्लायर इफेक्ट होगा। इससे स्थानीय क्षमता का निर्माण होगा, और अफ्रीका के दीर्घकालिक विकास को बल मिलेगा।
पीएम मोदी ने कहा कि स्वास्थ्य आपात स्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं से निपटना भी हमारा सामूहिक दायित्व है। इसलिए, भारत का प्रस्ताव है कि जी20 वैश्विक स्वास्थ्य सेवा प्रतिक्रिया टीम का गठन करें। इसमें जी20 देशों के प्रशिक्षित मेडिकल विशेषज्ञ हों। यह टीम, किसी भी वैश्विक स्वास्थ्य संकट या प्राकृतिक आपदा के समय तेजी से तैनाती के लिए तैयार रहे।
उन्होंने कहा कि एक और बड़ा मुद्दा नशीले पदार्थों की तस्करी है। विशेषकर फेंटेनिल जैसे अत्यंत घातक ड्रग्स तेजी से फैल रहे हैं। ये सार्वजनिक स्वास्थ्य, सामाजिक स्थिरता और वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती बन गए हैं। ये आतंकवाद को वित्तपोषित करने का भी एक बड़ा माध्यम है। इस वैश्विक खतरे का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए भारत ड्रग-टेरर गठजोड़ का मुकाबला करने पर जी20 पहल का प्रस्ताव रखता है। इसके तहत हम वित्त, शासन और सुरक्षा से जुड़े विभिन्न उपकरणों को एक साथ ला सकते हैं। तभी ड्रग-टेरर अर्थव्यवस्था को कमजोर किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि भारत-अफ्रीका एकजुटता हमेशा से मजबूत रही है। नई दिल्ली समिट के दौरान अफ्रीकन यूनियन का इस समूह का स्थायी सदस्य बनना एक महत्वपूर्ण पहल थी। अब यह आवश्यक है कि इस भावना का विस्तार जी20 से भी आगे हो। सभी वैश्विक संस्थाओं में ग्लोबल साउथ की आवाज को बुलंद करने के लिए हमें मिलकर प्रयास करना चाहिए।