क्या नई संभावनाओं की खोज से भारत-रूस संबंध और मजबूत होंगे?

Click to start listening
क्या नई संभावनाओं की खोज से भारत-रूस संबंध और मजबूत होंगे?

Key Takeaways

  • भारत-रूस की रणनीतिक साझेदारी एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और आर्कटिक क्षेत्र में सहयोग की संभावना है।
  • रूस को माइक्रोचिप और संचार उपकरणों का विकल्प चाहिए।
  • भारत में मेक इन इंडिया पहल के तहत अवसर हैं।
  • अफ्रीका में भारत-रूस पैराडिप्लोमेसी का सुझाव दिया गया है।

नई दिल्ली, 14 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारत-रूस की रणनीतिक साझेदारी एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को दोनों देशों के बीच नए सहयोग के अवसरों को मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। यह जानकारी एक नई रिपोर्ट में उल्लेखित की गई है।

‘इंडिया नैरेटिव’ द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), पश्चिमी आईटी तकनीकों के विकल्प, आर्कटिक क्षेत्र, अफ्रीका और क्षेत्रीय सहयोग जैसे नए क्षेत्रों में सहयोग संभव है, जिससे द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती मिलेगी।

रिपोर्ट के अनुसार, एआई में सहयोग, विशेष रूप से संयुक्त अनुसंधान और विकास के ढांचे में, स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन और सूचना युद्ध जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। भारत आईटी क्षेत्र में अग्रणी है, वहीं रूस में गणित, जीवविज्ञान, भौतिकी, आईटी और न्यूरोसर्जरी के विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने कृत्रिम न्यूरल नेटवर्क पर कई प्रोजेक्ट्स पर काम किया है।

रूसी निर्माताओं को माइक्रोचिप, संचार उपकरण, कंप्यूटर कॉम्पोनेंट्स, सैन्य उपकरणों के महत्वपूर्ण हिस्सों, नेविगेशन डिवाइस आदि के लिए पश्चिमी हाई-टेक आयात का विकल्प चाहिए। मेक इन इंडिया पहल और उपभोक्ता बाजार, अनुकूल व्यापार समझौतों, कुशल श्रमबल और लागत लाभ को देखते हुए, भारत उनके लिए एक संभावित विकल्प बन सकता है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि जैसे अमेरिकी कंपनियां एप्पल और बोइंग भारत में विनिर्माण केंद्र की तलाश कर रही हैं, वैसे ही रूस भी इस क्षेत्र में सहयोग बढ़ा सकता है। रूस ने आर्कटिक क्षेत्र के ‘ईस्टर्नाइजेशन’ पर विचार किया है, जिसमें भारत की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। भारत की 2022 की आर्कटिक नीति में विज्ञान व शोध, जलवायु और पर्यावरण संरक्षण, आर्थिक व मानव विकास, परिवहन और कनेक्टिविटी, शासन, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और राष्ट्रीय क्षमता निर्माण पर जोर दिया गया है।

हालांकि, भारत ने अभी तक आर्कटिक में रूस के साथ सहयोग के प्रति ठंडी प्रतिक्रिया दी है, लेकिन रिपोर्ट के अनुसार आर्थिक सुरक्षा, डिजिटल कनेक्टिविटी और सैटेलाइट रिसीविंग स्टेशन बनाने जैसे क्षेत्रों में साझेदारी दोनों के लिए लाभकारी होगी। विद्वानों ने अफ्रीका में भारत-रूस ‘पैराडिप्लोमेसी’ का सुझाव भी दिया है, जहां भारतीय प्रवासी समुदाय की बड़ी उपस्थिति और रूस के हित इसे एक अनूठा अवसर बना सकते हैं।

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि इस वर्ष के अंत में पुतिन की भारत यात्रा से पहले, दोनों देशों को न केवल नए सहयोग क्षेत्रों पर विचार करना चाहिए, बल्कि मौजूदा लंबित मुद्दों जैसे एस-400 मिसाइल सिस्टम की दो और यूनिट की आपूर्ति और व्लादिवोस्तोक-चेन्नई व्यापार गलियारे में प्रगति पर भी ध्यान देना चाहिए।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल की हालिया रूस यात्रा, अमेरिका द्वारा रूसी तेल खरीदने पर भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा के बावजूद, भारत की रणनीतिक स्वायत्तता का संकेत है। भारत-रूस संबंध लंबे समय से स्थिर, सतत और नेतृत्व स्तर पर मजबूत बने हुए हैं, जिसमें एक-दूसरे के घरेलू मामलों और विदेश नीति में दखल न देने की परंपरा रही है।

वहीं, विदेश मंत्री एस. जयशंकर अगले सप्ताह रूस जाएंगे, जहां वे ‘भारत-रूस अंतर-सरकारी व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग आयोग’ की 26वीं बैठक में भाग लेंगे। रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि जयशंकर और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव "महत्वपूर्ण द्विपक्षीय मुद्दों" और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आपसी सहयोग पर चर्चा करेंगे।

--आईएएएनएस

Point of View

यह स्पष्ट है कि दोनों देशों के लिए नए सहयोग क्षेत्रों की खोज आवश्यक है। जबकि आर्कटिक में सहयोग की संभावना है, मौजूदा मुद्दों का समाधान भी महत्वपूर्ण है। यह संबंध विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
NationPress
20/08/2025

Frequently Asked Questions

भारत-रूस संबंधों में नवीनतम विकास क्या हैं?
हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत-रूस सहयोग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, आर्कटिक क्षेत्र और अफ्रीका में नए अवसर शामिल हैं।
क्या भारत और रूस के बीच सहयोग बढ़ रहा है?
जी हां, दोनों देशों के बीच सहयोग के नए क्षेत्रों की खोज हो रही है, जिससे द्विपक्षीय संबंध और मजबूत हो सकते हैं।