क्या पाकिस्तान में बलूच नागरिकों का जबरन लापता होना जारी है?

सारांश
Key Takeaways
- बलूचिस्तान में जबरन लापता होने की घटनाएं बढ़ रही हैं।
- अब्दोस्त जोगी को एफसी द्वारा उठाया गया।
- मानवाधिकार संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है।
- मजार बलोच की हत्या से स्थिति और गंभीर हो गई है।
- इस प्रकार की घटनाएं अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संधियों का उल्लंघन हैं।
क्वेटा, 23 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में जबरन गायब होने की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। हालिया घटना केच जिले से आई है, जहां पाकिस्तान की अर्धसैनिक बल फ्रंटियर कॉर्प्स (एफसी) ने बलूच नागरिक अब्दोस्त जोगी को उसके घर पर छापा मारकर जबरन उठा लिया। यह जानकारी बलूच नेशनल मूवमेंट के मानवाधिकार विभाग (पांक) ने बुधवार को साझा की।
पांक के अनुसार, मंगलवार तड़के एफसी के जवानों ने बिना किसी कानूनी आदेश के अब्दोस्त जोगी के घर पर धावा बोलकर उसे जबरन अगवा कर लिया और उसे एक अज्ञात स्थान पर ले गए। उसके परिवार को कोई सूचना नहीं दी गई।
मानवाधिकार संगठनों ने इस घटना को कड़ी भर्त्सना करते हुए कहा, "बलूचिस्तान में जबरन गायब होने की बढ़ती घटनाएं राज्य की सुरक्षा कार्रवाइयों के तहत आम नागरिकों को निशाना बनाने का स्पष्ट प्रमाण हैं।"
संगठन ने पाकिस्तानी सेना को इस गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन का जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि यह संविधान और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संधियों का उल्लंघन है।
पांक ने एक और गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि बलूचिस्तान के अवारन जिले के निवासी मजार बलोच को 21 जुलाई को पाकिस्तानी सेना समर्थित हथियारबंद दस्ते ने हत्या कर दी।
रिपोर्ट के अनुसार, मजार बलोच को पाकिस्तानी सेना द्वारा अवारन जिले के मश्काई में उपस्थित होने का आदेश दिया गया था। आदेश के पालन में वह वहां पहुंचे, लेकिन लौटते समय खंडरी गांव में एक सशस्त्र दस्ते ने उन्हें निशाना बनाकर हत्या कर दी।
पांक ने खुलासा किया कि मजार बलोच को पहले भी 2015 में जबरन गायब किया गया था और 2020 में रिहा किया गया। रिहाई के बाद से उन्हें लगातार सैन्य शिविरों में तलब किया जाता रहा और उन पर दबाव डाला गया। लगातार उत्पीड़न के बावजूद वह खुद को निर्दोष बताते रहे, लेकिन फिर भी उनकी हत्या कर दी गई।
पांक ने मजार बलोच की हत्या की स्वतंत्र और पारदर्शी जांच की मांग की और कहा कि इस हत्याकांड में शामिल सभी लोगों, चाहे वे पाकिस्तानी सेना से हों या उनके संरक्षण में काम करने वाले मौत दस्ते से, को न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिए।