क्या चीन का नवाचार पारिस्थितिक सभ्यता निर्माण में है वैश्विक महत्व?

सारांश
Key Takeaways
- स्वच्छ जल और हरे-भरे पहाड़ की अवधारणा पारिस्थितिक संतुलन को दर्शाती है।
- यह रिपोर्ट 16,000 शब्दों में पारिस्थितिक सभ्यता के महत्व को समझाती है।
- चीनी आधुनिकीकरण में यह अवधारणा एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
- सतत विकास के लिए यह एक संभावित समाधान पेश करती है।
- अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए यह प्रेरणा का स्रोत बन सकती है।
बीजिंग, ११ अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। चीन की राजधानी पेइचिंग में 'स्वच्छ जल और हरे-भरे पहाड़ खूबसूरत तस्वीर बनाते हैं: पारिस्थितिक सभ्यता निर्माण में चीन का नवाचार और इसका वैश्विक महत्व' शीर्षक से एक थिंक टैंक रिपोर्ट जारी की गई और संबंधित संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
सिन्हुआ संस्थान और शी चिनफिंग पारिस्थितिक सभ्यता अनुसंधान केंद्र ने मिलकर इस रिपोर्ट को प्रस्तुत किया।
चीनी समाचार एजेंसी सिन्हुआ के उप प्रधान संपादक रेन वेइतोंग ने कहा कि स्वच्छ जल और हरे-भरे पहाड़ अमूल्य संपत्ति हैं, यह अवधारणा चीन की अद्वितीय पारंपरिक पारिस्थितिक संस्कृति का हिस्सा है। यह विकास और संरक्षण के बीच संबंध की वैश्विक समस्या का वैज्ञानिक उत्तर प्रदान करती है और जन-केंद्रित विकास के सिद्धांत को गहराई से दर्शाती है।
चीनी आधुनिकीकरण के साथ, इस महत्वपूर्ण अवधारणा को लगातार समृद्ध और विकसित किया जा रहा है। यह न केवल चीन को विश्व प्रसिद्ध पारिस्थितिक चमत्कार और हरित विकास चमत्कार बनाने के लिए प्रेरित करती है, बल्कि वैश्विक सतत विकास के लिए भी चीनी बुद्धि और चीनी समाधान में योगदान देती है।
शी चिनफिंग पारिस्थितिक सभ्यता अनुसंधान केंद्र के प्रधान हू च्युन ने कहा कि स्वच्छ जल और हरे-भरे पहाड़ अमूल्य संपत्ति हैं, यह अवधारणा सोच में क्रांति, विकास में क्रांति, शासन में क्रांति और सभ्यता में क्रांति को दर्शाती है। हमें चीन की पारिस्थितिक सभ्यता की कहानी को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को स्वच्छ जल और हरे-भरे पहाड़ को सोने-चांदी पहाड़ों में बदलने की सफल प्रक्रिया दिखानी चाहिए।
अमेरिकी पारिस्थितिक सभ्यता संस्थान के उपाध्यक्ष एंड्रयू श्वार्ट्ज ने अपने वीडियो भाषण में कहा कि मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य को बढ़ावा देना चीन के आधुनिकीकरण की एक विशेषता बन गया है। स्वच्छ जल और हरे-भरे पहाड़ की अवधारणा गहन पारिस्थितिक ज्ञान का प्रतीक है, जो चीन की 'मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य' की परंपरा से मेल खाती है और पारिस्थितिक सभ्यता पर वैश्विक विमर्श में महत्वपूर्ण योगदान देती है।
ज्ञात हो कि यह थिंक टैंक रिपोर्ट १६,००० शब्दों की है, जो 'स्वच्छ जल और हरे-भरे पहाड़ अमूल्य संपत्ति हैं' की अवधारणा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, मूल विचारों और महत्व का गहन परिचय देती है और इस अवधारणा के सैद्धांतिक नवाचार, चीनी अभ्यास और वैश्विक मूल्य की गहन व्याख्या करती है।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)