क्या रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने माले में मालदीव के रक्षा मंत्री मोहम्मद घासन मौमून से मुलाकात की?

सारांश
Key Takeaways
- राजेश कुमार सिंह और मोहम्मद घासन मौमून के बीच हुई बैठक ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को मजबूती दी।
- मालदीव की नई सरकार के साथ भारत के संबंधों में सकारात्मक बदलाव आ रहा है।
- भारत की नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी का महत्व बढ़ा है।
- मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का महत्वपूर्ण समुद्री पड़ोसी है।
- दोनों देशों के बीच सुरक्षा और स्थिरता पर जोर दिया गया।
माले, 6 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह और मालदीव के रक्षा मंत्री मोहम्मद घासन मौमून के बीच माले में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें दोनों के बीच विभिन्न मुद्दों पर गहन चर्चा की गई। इस जानकारी को रक्षा मंत्रालय ने साझा किया।
रक्षा मंत्रालय ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर बताया कि राजेश कुमार सिंह ने सोमवार को माले में मोहम्मद घासन मौमून से मुलाकात की। इस दौरान, दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और मजबूती प्रदान करने के लिए नए रास्तों की खोज की और आईओआर में साझा शांति, स्थिरता और सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।
गौरतलब है कि जुलाई में, प्रधानमंत्री मोदी ने मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के निमंत्रण पर मालदीव की यात्रा की थी और वहां के 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। यह मुइज्जू सरकार के साथ संबंधों में बदलाव का प्रतीक भी था, जो 2023 में सत्ता में आई थी।
यह द्विपक्षीय संबंधों में बदलाव इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि राष्ट्रपति मुइज्जू, जिन्हें चीन का करीबी समझा जाता है, विपक्ष में रहते हुए भारत विरोधी बयानों के लिए जाने जाते थे, जो उनकी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा था।
मालदीव, हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के प्रमुख समुद्री पड़ोसियों में से एक है। माले की पिछली सरकारों के कार्यकाल में रक्षा एवं सुरक्षा के क्षेत्रों सहित समग्र द्विपक्षीय संबंधों में लगातार वृद्धि देखी गई है। यह भावना भारत की नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी और महासागर दृष्टिकोण में समाहित है, जो इस क्षेत्र की सुरक्षा और समृद्धि को अविभाज्य मानती है।
भारत का दृष्टिकोण इस विश्वास पर आधारित है कि छोटे द्वीपीय देश वैश्विक मामलों में गौण भूमिकाएं नहीं निभाते, बल्कि जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लड़ाई में अग्रणी होते हैं और महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों के संरक्षक हैं। मालदीव, भारत की हिंद महासागर रणनीति में एक केंद्रीय स्थान रखता है।