क्या पुतिन यूक्रेन युद्ध को लेकर मैक्रों के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं?
सारांश
Key Takeaways
- पुतिन और मैक्रों के बीच बातचीत की संभावना बढ़ी है।
- वार्ता के लिए इज्जत और साफ मकसद की आवश्यकता है।
- यूरोपीय देशों ने यूक्रेन को कर्ज देने पर सहमति जताई है।
- फ्रीज किए गए संपत्तियों का उपयोग विवादास्पद है।
- बातचीत के परिणाम युद्ध समाप्त करने में सहायक हो सकते हैं।
नई दिल्ली, 21 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ बातचीत करने की सहमति जताई है। साथ ही, रूसी राष्ट्रपति ने एक शर्त भी रखी है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि यह बातचीत तभी होगी, जब वार्ता इज्जत से हो और इसका कोई स्पष्ट उद्देश्य हो।
रूसी मीडिया के अनुसार, शुक्रवार को राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा कि कुछ देशों ने पहले ही रूस से संपर्क किया है। यूरोपीय और यूक्रेनी को बातचीत को फिर से प्रारंभ करने के लिए एक ढांचा खोजने की आवश्यकता है। मैक्रों ने यह भी कहा कि पुतिन से बात करना फायदेमंद हो सकता है। बिना किसी प्रारूप के ईयू के आपस में बातचीत करने का जोखिम है, जबकि नेगोशिएटर अकेले रूस से बात करने जाते हैं, जो उचित नहीं है।
रविवार को पेसकोव ने आरआईए नोवोस्ती से कहा कि बातचीत का इस्तेमाल एक से दूसरी तरफ भाषण पढ़ने के लिए नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि एक-दूसरे की बातों को समझने पर केंद्रित रहना चाहिए। क्रेमलिन प्रवक्ता ने आगे कहा, “पुतिन हमेशा अपनी बातों को विस्तार में ईमानदारी से और लगातार समझाने के लिए तैयार रहते हैं।”
वहीं, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि पुतिन ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि वह बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन केवल उन लोगों के साथ जो थोड़ी शालीनता रखते हों।
यूरोपीय देशों ने यूक्रेन को बिना ब्याज के 90 बिलियन यूरो यानी 105 बिलियन डॉलर का कर्ज देने पर सहमति जताई है, हालांकि कई यूरोपीय देशों ने इस पर अपनी सहमति नहीं जताई है। इसके अलावा, आंतरिक मतभेदों के कारण यूक्रेन की मदद के लिए फ्रीज किए गए रूसी संपत्तियों का उपयोग करने पर सहमति नहीं बन पाई है।
पुतिन ने फ्रीज किए गए रूसी संपत्ति के उपयोग को लूट करार देते हुए यूरोपीय देशों की तीखी आलोचना की है। पुतिन और मैक्रों के बीच आखिरी बार सीधा संपर्क जुलाई 2025 में एक फोन कॉल के जरिए हुआ था। यह दोनों नेताओं के बीच 2022 में यूक्रेन पर हमलों की शुरुआत के बाद पहली बातचीत थी।