क्या इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम और मिसाइलों समेत 1.05 लाख करोड़ की स्वदेशी खरीद योजना को मंजूरी मिली?

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क्या इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम और मिसाइलों समेत 1.05 लाख करोड़ की स्वदेशी खरीद योजना को मंजूरी मिली?

सारांश

रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना के लिए 1.05 लाख करोड़ रुपये की स्वदेशी खरीद परियोजनाओं को मंजूरी दी है। यह योजना देश के एयर डिफेंस सिस्टम को मजबूत करेगी और सेना को इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम एवं मिसाइलों की आपूर्ति में सहायक होगी। जानें इस खरीद के महत्व और लाभ के बारे में।

Key Takeaways

  • 1.05 लाख करोड़ रुपये की स्वदेशी खरीद योजना को मंजूरी।
  • भारतीय सेना के लिए आधुनिक हथियार और उपकरण
  • सभी उपकरण स्वदेशी होंगे।
  • नौसेना और वायुसेना के लिए महत्वपूर्ण अधिग्रहण
  • देश की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा।

नई दिल्ली, 3 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय सेना को आधुनिक हथियारों और उपकरणों से सुसज्जित करने के लिए defense ministry ने गुरुवार को 1.05 लाख करोड़ रुपये की स्वदेशी खरीद योजनाओं को मंजूरी दी है। इस मंजूरी के परिणामस्वरूप देश का एयर डिफेंस सिस्टम मजबूत होगा और सेना को मिसाइलों तथा इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम की आपूर्ति संभव होगी।

इस मंजूरी के तहत सेना के तीनों अंगों, थल सेना, नौसेना और वायुसेना को आवश्यक उपकरण और हथियार प्रदान किए जाएंगे। यह विशेष बात है कि ये सभी उपकरण स्वदेशी होंगे, जिन्हें भारत में ही निर्मित किया जाएगा और भारतीय कंपनियों से ही खरीदा जाएगा।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में गुरुवार को रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की बैठक में लगभग 1.05 लाख करोड़ रुपये के 10 पूंजीगत खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। यह मंजूरी 'भारतीय खरीद' श्रेणी के अंतर्गत 'स्वीकृति की आवश्यकता' के तहत प्रदान की गई। सभी खरीद प्रस्ताव स्वदेशी स्रोतों से पूरे किए जाएंगे। इनमें आर्मर्ड रिकवरी व्हीकल्स, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम, तीनों सेनाओं के लिए इंटीग्रेटेड कॉमन इन्वेंटरी मैनेजमेंट सिस्टम, और सर्फेस-टू-एयर मिसाइलें शामिल हैं। ये अधिग्रहण सशस्त्र बलों की गतिशीलता बढ़ाने और वायु रक्षा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इसके अलावा, इससे सप्लाई चेन प्रबंधन को बेहतर बनाने और संचालन संबंधी तैयारियों को सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी।

मुअर्ड माइंस (जो नौसेना द्वारा पानी या समुद्र में बिछाई जाती हैं), माइन काउंटर मेजर वेसल्स, सुपर रैपिड गन माउंट्स, और सबमर्सिबल ऑटोनोमस वेसल्स की खरीद के लिए भी स्वीकृति दी गई है। ये अधिग्रहण नौसेना और वाणिज्यिक जहाजों के लिए संभावित खतरों को कम करने में सहायक होंगे। सरकार द्वारा स्वदेशी डिजाइन और विकास को और अधिक प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से, सभी प्रस्ताव भारतीय खरीद श्रेणी के अंतर्गत स्वीकृत किए गए हैं।

इससे पहले पिछले वर्ष सितंबर में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में डीएसी ने 1,44,716 करोड़ रुपये की राशि के 10 पूंजी अधिग्रहण प्रस्तावों के लिए आवश्यकता की स्वीकृति (एओएन) प्रदान की थी। एओएन की कुल लागत में से 99 प्रतिशत खरीद भारतीय और स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित श्रेणियों के तहत स्वदेशी स्रोतों से किए जाने की घोषणा की गई थी। इसके तहत भारतीय सेना के टैंक बेड़े के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया था। भविष्य के लिए तैयार लड़ाकू वाहनों की खरीद के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई थी।

Point of View

वह न केवल देश की सुरक्षा को और मजबूत करेगा, बल्कि स्वदेशी उत्पादन को भी बढ़ावा देगा। यह कदम भारतीय कंपनियों को एक नए अवसर प्रदान करेगा और देश की आत्मनिर्भरता को बढ़ाएगा।
NationPress
23/07/2025

Frequently Asked Questions

इस योजना का उद्देश्य क्या है?
इस योजना का उद्देश्य भारतीय सेना को आधुनिक हथियारों और उपकरणों से लैस करना और देश के एयर डिफेंस सिस्टम को मजबूत करना है।
क्या सभी उपकरण स्वदेशी होंगे?
हां, सभी उपकरण भारतीय कंपनियों द्वारा निर्मित किए जाएंगे।
कौन से प्रमुख उपकरण इस योजना में शामिल हैं?
इस योजना में आर्मर्ड रिकवरी व्हीकल्स, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम, और सर्फेस-टू-एयर मिसाइलें शामिल हैं।
इस मंजूरी से देश को क्या लाभ होगा?
इस मंजूरी से सशस्त्र बलों की गतिशीलता बढ़ेगी और वायु रक्षा को मजबूती मिलेगी।
क्या यह योजना भारतीय कंपनियों को लाभ पहुंचाएगी?
जी हां, यह योजना भारतीय कंपनियों को नए अवसर प्रदान करेगी और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगी।