क्या जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार है?

सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर सुनवाई को मंजूरी दी।
- कपिल सिब्बल ने शीघ्र सुनवाई की मांग की थी।
- विशेष बेंच का गठन किया जाएगा, जिसमें सीजेआई बी. आर. गवई शामिल नहीं होंगे।
- जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं।
- संसद इस मामले की जांच करेगी।
नई दिल्ली, 23 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति दी है। इस याचिका पर शीघ्र सुनवाई की मांग कपिल सिब्बल ने की थी। सुप्रीम कोर्ट ने आश्वासन दिया है कि इस मामले के लिए जल्दी ही एक विशेष बेंच का गठन किया जाएगा। हालांकि चीफ जस्टिस बी. आर. गवई इस बेंच का हिस्सा नहीं होंगे।
वकील कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी, राकेश द्विवेदी और सिद्धार्थ लूथरा जस्टिस यशवंत वर्मा की ओर से उपस्थित हुए। कपिल सिब्बल ने सीजेआई की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष मामला उठाते हुए कहा, "इस मामले में कई संवैधानिक पहलू जुड़े हैं। हम अनुरोध करते हैं कि इस अर्जी पर शीघ्र सुनवाई के लिए बेंच का गठन करें।"
सिब्बल के अनुरोध को मानते हुए कोर्ट ने इस दिशा में कदम उठाने का निर्णय लिया। विशेष बेंच के गठन के बाद इस मामले की सुनवाई की तारीख जल्द निर्धारित की जाएगी। सीजेआई बी. आर. गवई इस मामले के लिए ऐसी बेंच का गठन करेंगे, जिसमें वह स्वयं न हों।
विभिन्न विपक्षी दलों के 63 राज्यसभा सांसदों ने सोमवार को न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने के लिए सभापति को प्रस्ताव का नोटिस सौंपा। कैश कांड में फंसे जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ यह नोटिस प्रस्तुत किया गया था। राज्यसभा सांसद और कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोमवार को इसकी जानकारी दी थी।
न्यायमूर्ति शेखर यादव को हटाने के लिए इसी तरह का प्रस्ताव 13 दिसंबर 2024 को राज्यसभा के सभापति को सौंपा गया था। इससे पहले संसद के मानसून सत्र की शुरुआत होते ही 145 लोकसभा सांसदों ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के लिए लोकसभा स्पीकर को ज्ञापन सौंपा। सांसदों ने संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 218 के तहत यह कदम उठाया है।
गौरतलब है कि 15 मार्च 2025 को न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर कैश मिला था। इसके बाद न्यायमूर्ति वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। उन्होंने इन आरोपों से इनकार किया और इसे साजिश बताया। जले और अधजले नोटों का एक वीडियो भी बहुत वायरल हुआ था।
हालांकि, अब इस मामले की गंभीरता को देखते हुए संसद इन आरोपों की जाँच करेगी। महाभियोग प्रस्ताव के तहत आगे की प्रक्रिया संसद में विचार-विमर्श और जांच के बाद तय की जाएगी। इस घटना ने न्यायिक गलियारों में हलचल मचा दी थी। इसने सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम को भी त्वरित कदम उठाने पर मजबूर कर दिया। 5 अप्रैल को जस्टिस यशवंत वर्मा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की थी।