क्या टैरिफ को लेकर वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत है?

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क्या टैरिफ को लेकर वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत है?

सारांश

आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था टैरिफ संबंधी वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद अपनी मजबूती बनाए रखे हुए है। इस रिपोर्ट में महत्वपूर्ण आर्थिक संकेतकों और भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डाला गया है। जानिए इस रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु और भारत की आर्थिक दिशा क्या होगी।

Key Takeaways

  • भारतीय अर्थव्यवस्था टैरिफ संबंधी वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद मजबूत है।
  • मुद्रास्फीति में कमी और सरकारी खर्च में तेजी से समग्र मांग बढ़ेगी।
  • भारत 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।
  • आर्थिक संकेतक सकारात्मक हैं, जो भविष्य के विकास का संकेत देते हैं।
  • ग्लोबल वैल्यू चेन में भारत की भागीदारी बढ़ेगी।

नई दिल्ली, 23 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को यह स्पष्ट किया कि टैरिफ को लेकर वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था अपने मजबूत मैक्रोइकोनॉमिक फंडामेंटल के बल पर काफी हद तक स्थिर बनी हुई है।

आरबीआई की बुलेटिन में प्रस्तुत 'स्टेट ऑफ द इकोनॉमी' रिपोर्ट में कहा गया है कि मुद्रास्फीति में कमी, खरीफ सीज़न की बेहतर संभावनाएं, सरकारी खर्च में तेजी, लक्षित राजकोषीय उपायों और ब्याज दरों में कटौती के अनुकूल वित्तीय माहौल से आगे चलकर अर्थव्यवस्था में समग्र मांग को बढ़ावा मिलेगा।

केंद्रीय बैंक ने अपनी रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया है, "बढ़ती व्यापार अनिश्चितताओं और भू-आर्थिक विखंडन के बीच, मजबूत व्यापार साझेदारियों का निर्माण भारत के लिए वैश्विक मूल्य श्रृंखला में अपनी भूमिका को और भी गहरा करने का एक रणनीतिक अवसर प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त, इंफ्रास्ट्रक्चर में घरेलू निवेश को बढ़ावा देने के उपाय और प्रतिस्पर्धात्मकता एवं उत्पादकता में सुधार के लिए लागू संरचनात्मक सुधार विकास की गति को बनाए रखते हुए मजबूती प्रदान करेंगे।"

इससे पहले, मॉर्गन स्टेनली की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत की अर्थव्यवस्था 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी और 2035 तक इसका आकार दोगुना होकर 10.6 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा।

एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने बताया है कि मजबूत घरेलू मांग, सामान्य मानसून और देश में मौद्रिक नरमी के चलते भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2025 में 6.5 प्रतिशत और 2026 में 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इस वर्ष मुद्रास्फीति 3.8 प्रतिशत और 2026 में 4.0 प्रतिशत रहने की संभावना है, जो आरबीआई के अनुमानों के अनुरूप है।

आरबीआई की बुलेटिन में उल्लेख किया गया है कि 1 अगस्त, 2025 से नई आयात शुल्क दरें लागू होने से पहले व्यापार सौदों को अंतिम रूप देने के लिए गहन बातचीत चल रही है, इसलिए ध्यान अमेरिकी व्यापार नीतियों और वैश्विक स्तर पर उनके प्रभावों पर केंद्रित है।

रिजर्व बैंक ने कहा, "हालांकि, वित्तीय बाजारों ने व्यापार नीति की अनिश्चितताओं को गंभीरता से लिया है, जो संभवतः वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए कम व्यवधानकारी व्यापार समझौतों पर पहुंचने की आशा को दर्शाता है। इसके बावजूद, वित्तीय बाजारों द्वारा व्यापक आर्थिक जोखिम का कम मूल्यांकन एक चिंता का विषय बना हुआ है।"

आरबीआई ने कहा, "वैश्विक व्यापार प्रवाह और आपूर्ति श्रृंखलाओं का विकसित होता स्वरूप अभी तक स्थिर नहीं हुआ है। ये अनिश्चितताएं वैश्विक आर्थिक संभावनाओं के लिए गंभीर बाधाएं उत्पन्न कर रही हैं।"

Point of View

यह स्पष्ट है कि भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक परिवर्तनों के बावजूद अपने आधारभूत सिद्धांतों पर मजबूती से खड़ी है। यह समय है जब हमें अपने आर्थिक क्षेत्रों में सुधार और विकास की दिशा में ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
NationPress
23/07/2025

Frequently Asked Questions

आरबीआई की रिपोर्ट में क्या कहा गया है?
आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था टैरिफ संबंधी वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद मजबूत है।
भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान क्या है?
भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2025 में 6.5 प्रतिशत और 2026 में 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है।