क्या सवाई जयसिंह ने 12 वर्ष की आयु में राजगद्दी संभाली और 'जयपुर' बसाया?

सारांश
Key Takeaways
- जयपुर का निर्माण सवाई जयसिंह द्वितीय ने किया।
- उन्होंने 12 वर्ष की आयु में राजगद्दी संभाली।
- उन्हें 'सवाई' उपाधि प्राप्त हुई थी।
- जयपुर को गुलाबी नगरी के रूप में जाना जाता है।
- उन्होंने आधुनिक नगर नियोजन का पालन किया।
नई दिल्ली, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय को वास्तुकला, विज्ञान और कला में गहरी रुचि थी। उन्होंने 1727 में जयपुर की नींव रखी और इसे आधुनिक नगर नियोजन के अनुसार विकसित किया। खगोलशास्त्र में भी महाराजा का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जयपुर के जंतर-मंतर का निर्माण उनके नाम से जुड़ा है।
उन्होंने एक दूरदर्शी और प्रगतिशील शासक के रूप में शासन किया, जिसके दौरान जयपुर ने सांस्कृतिक और आर्थिक प्रगति का अनुभव किया।
3 नवंबर 1688 को आमेर में जन्मे सवाई जयसिंह को राज्य का सबसे प्रभावशाली शासक माना जाता है, जिन्हें महज 12 वर्ष की आयु में राजगद्दी सौंप दी गई थी।
साल 1700 में आमेर नरेश विष्णु सिंह की काबुल में मृत्यु के बाद, उनके पुत्र जयसिंह को राजगद्दी सौंपी गई। इसके बाद, उन्होंने कछवाहा सेना के साथ औरंगजेब से मुलाकात की, जहां अपनी चतुराई से बादशाह का दिल जीत लिया। औरंगजेब ने उन्हें 'सवाई' उपाधि देकर दो हजार सैनिकों का मनसब दिया और दुर्ग जीतने का कार्य सौंपा। बालक जयसिंह ने मात्र पांच दिन में शक्तिशाली दुर्ग पर विजय प्राप्त की।
जिस जयपुर को आज गुलाबी नगरी के नाम से जाना जाता है, उसकी परिकल्पना सवाई जयसिंह ने नाहरगढ़ किले के नीचे स्थित लगभग 100 एकड़ भूमि पर की थी। यहां पहले हरे-भरे जंगल थे, जहां सवाई जयसिंह अक्सर शिकार करने जाते थे।
उन्होंने एक ऐसा शहर बसाने का सपना देखा जो चूने और मिट्टी से बना हो। एक ऐसा शहर जिसमें सुंदर इमारतें, चौड़ी सड़कें और शानदार रास्ते हों। इस कार्य की जिम्मेदारी उस समय के प्रसिद्ध वास्तुविदों को सौंपा गया।
पंडित जगन्नाथ और राजगुरु रत्नाकर पौंड्रिक ने आमेर रोड पर गंगापोल गेट पर नींव रखी, जबकि वास्तुकार विद्याधर ने नौ ग्रहों के आधार पर शहर में नौ चौकड़ियां बनाई।
सवाई जयसिंह ने शिकार भूमि पर चौकोर तालाब बनवाने के साथ-साथ जयनिवास उद्यान और सिटी पैलेस का निर्माण भी करवाया। 21 सितंबर 1743
जब 1876 में प्रिंस ऑफ वेल्स के आगमन की खबर सवाई मानसिंह को मिली, तो उन्होंने पूरे शहर को गुलाबी रंग में रंगवा दिया। तभी से इस शहर को 'पिंक सिटी' का नाम मिला।