क्या कल लगेगा साल का आखिरी सूर्य ग्रहण? जानें टाइमिंग और राशियों पर प्रभाव

सारांश
Key Takeaways
- साल का आखिरी सूर्य ग्रहण 21 सितंबर 2025 को लगेगा।
- ग्रहण का प्रभाव विशेष रूप से सिंह, कन्या और मीन राशियों पर पड़ेगा।
- भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा।
- ग्रहण के समय पूजा और ध्यान करना शुभ माना जाता है।
- सूर्य ग्रहण के तीन प्रकार होते हैं।
नई दिल्ली, 20 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। सूर्य ग्रहण एक अद्भुत खगोलीय घटना है। यह तब होता है, जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है और सूर्य का कुछ या पूरा हिस्सा ढक जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण से, यह तब होता है, जब राहु और केतु सूर्य को अपने ग्रास में ले लेते हैं, जिससे कुछ समय के लिए सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर नहीं पहुँच पाता।
21 सितंबर 2025 को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगेगा। यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। भारतीय समयानुसार, यह ग्रहण रात 10 बजकर 59 मिनट पर प्रारंभ होगा, मध्यकाल 1 बजकर 11 मिनट पर आएगा और समाप्ति 3 बजकर 23 मिनट पर होगी। हालाँकि, यह खगोलीय घटना भारत में दिखाई नहीं देगी, क्योंकि उस समय भारत में रात होगी। यह मुख्य रूप से दक्षिणी गोलार्ध के क्षेत्रों जैसे ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अंटार्कटिका और कुछ प्रशांत द्वीपों में देखी जाएगी।
चूंकि भारत में ग्रहण दिखाई नहीं देगा, इसलिए सूतक नहीं लगेगा, जो आमतौर पर ग्रहण से 12 घंटे पहले लगता है। धार्मिक दृष्टि से सूर्य ग्रहण को अशुभ माना जाता है। इस समय भोजन नहीं करना, नए कार्य की शुरुआत न करना, पूजा और ध्यान करना शुभ माना जाता है। ग्रहण के दौरान तुलसी, जल, अक्षत और अन्य पवित्र वस्तुओं से तर्पण करना अत्यंत लाभकारी होता है।
ज्योतिषीय दृष्टि से, सूर्य ग्रहण का प्रभाव विभिन्न राशियों पर भिन्न होता है। इस ग्रहण का प्रभाव विशेष रूप से सिंह, कन्या और मीन राशियों पर पड़ सकता है, जिनके लिए स्वास्थ्य और वित्तीय मामलों में सतर्क रहना आवश्यक है। अन्य राशियों के जातकों को भी ग्रहण के दौरान अनावश्यक कार्यों से बचना चाहिए।
सूर्य ग्रहण के तीन प्रकार होते हैं। पहला है पूर्ण सूर्य ग्रहण, जिसमें चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह ढक देता है और दिन के समय कुछ समय के लिए अंधेरा छा जाता है।
दूसरा है आंशिक सूर्य ग्रहण, जिसमें चंद्रमा केवल सूर्य के कुछ हिस्से को ढकता है।
तीसरा है वृत्ताकार सूर्य ग्रहण, जिसमें चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह ढकने में छोटा रह जाता है और सूर्य के किनारों पर चमक दिखाई देती है।