क्या 2020 दिल्ली दंगा केस में पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में हिंसा के वीडियो दिखाकर आरोपियों की जमानत का विरोध किया?

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क्या 2020 दिल्ली दंगा केस में पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में हिंसा के वीडियो दिखाकर आरोपियों की जमानत का विरोध किया?

सारांश

दिल्ली दंगा केस में पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में आरोपियों की जमानत का विरोध करते हुए हिंसा के वीडियो प्रस्तुत किए हैं। क्या यह मामला साधारण दंगे से कहीं अधिक है? जानें इस मामले की जटिलता और उसके संभावित प्रभाव।

Key Takeaways

  • दिल्ली दंगा केस में गंभीर आरोप हैं।
  • पुलिस ने हिंसा के वीडियो दिखाए हैं।
  • अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी।
  • चार्जशीट में यूएपीए की धारा 16(ए) ए शामिल है।
  • इस मामले में जमानत पर विचार चल रहा है।

नई दिल्ली, 21 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर-पूर्व दिल्ली में वर्ष 2020 के दंगों से संबंधित सबसे बड़े यूएपीए मामले की सुनवाई शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई। इस मामले में आरोपी शरजील इमाम, उमर खालिद, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा, मुहम्मद सलीम खान, शादाब अहमद और शिफा-उर-रहमान की जमानत याचिकाओं पर विस्तृत सुनवाई की गई।

जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन वी रमण की बेंच के समक्ष दिल्ली पुलिस की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने अपनी दलीलें पेश कीं। अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी।

दिल्ली पुलिस ने स्पष्ट किया कि यह मामला साधारण दंगा या सीएए के खिलाफ प्रदर्शन का नहीं है, बल्कि यह देश में बड़े पैमाने पर आतंकवादी गतिविधियों और सत्ता परिवर्तन की सोची-समझी साजिश से संबंधित है।

पुलिस ने बांग्लादेश और नेपाल में हुई घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि दंगाइयों का इरादा भारत में सत्ता पलट करना था। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे पर हिंसा भड़काई गई ताकि भारत की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनामी हो।

एएसजी एसवी राजू ने कोर्ट में कई वीडियो दिखाते हुए बताया कि दंगों में 53 लोग मारे गए और 513 से अधिक घायल हुए। फायरआर्म्स, पेट्रोल बम, एसिड, तलवारें, लाठियां और पत्थरों का बेजोड़ इस्तेमाल किया गया। हेड कांस्टेबल रतन लाल और आईबी अफसर अंकित शर्मा की हत्या कर दी गई। पुलिसकर्मियों पर छतों से एसिड की बोतलें फेंकी गईं।

दूध-पानी की सप्लाई रोककर आर्थिक नाकेबंदी की गई। असम को भारत से काटने की योजना बनाई गई, जिसका असर पश्चिम बंगाल तक पहुंचा, जहां ट्रेनों में आगजनी की गई और रेलवे को 70 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ।

पुलिस ने बताया कि यह सब पहले से योजनाबद्ध था। 8 दिसंबर 2019 को योगेंद्र यादव की उपस्थिति में उमर खालिद, शरजील इमाम, खालिद सैफी, मीरान हैदर समेत कई लोगों ने चक्का जाम और हिंसा की रणनीति बनाई।

13 दिसंबर को जामिया में हिंसा हुई, फिर शाहीन बाग में चक्का जाम शुरू किया गया। 23 फरवरी 2020 की रात चांद बाग में फिर मीटिंग हुई जिसमें तय हुआ कि सीसीटीवी कैमरे खराब कर ज्यादा हिंसा की जाए। अगले दिन दोपहर 1 बजे पुलिस पर हमला हुआ, रतन लाल शहीद हो गए और दो वरिष्ठ आईपीएस अफसर गंभीर रूप से घायल हो गए।

पुलिस ने दावा किया कि ताहिर हुसैन ने शेल कंपनियों से 1.3 करोड़ रुपए की फंडिंग की और शिफा-उर-रहमान ने 8.90 लाख रुपए दिए। उमर खालिद ने “भारत तेरे टुकड़े होंगे” जैसे भड़काऊ भाषण दिए। शरजील इमाम ने असम को भारत से काटने का प्रस्ताव रखा। गुलफिशा फातिमा मीटिंगों में सक्रिय रूप से मौजूद थीं।

दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से कहा कि चार्जशीट में यूएपीए की धारा 16(ए) ए भी लगाई गई है, जिसमें मौत की सजा का प्रावधान है। ट्रायल कोर्ट ने चार्जशीट पर संज्ञान ले लिया है और इसे किसी ने चुनौती नहीं दी। यदि आरोपी सहयोग करें तो दो साल में ट्रायल पूरा हो सकता है। इसलिए अभी जमानत नहीं दी जानी चाहिए।

Point of View

बल्कि एक गहरी साजिश का हिस्सा है। देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, न्यायपालिका को सावधानीपूर्वक विचार करना चाहिए। हमें न्याय की प्रक्रिया का पालन करते हुए सभी पक्षों की सुनवाई करनी चाहिए।
NationPress
21/11/2025

Frequently Asked Questions

दिल्ली दंगा केस का मुख्य मुद्दा क्या है?
दिल्ली दंगा केस का मुख्य मुद्दा यह है कि पुलिस ने इसे आतंकवादी गतिविधियों और सत्ता परिवर्तन की साजिश के रूप में पेश किया है।
कब अगली सुनवाई होगी?
अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी।
इस मामले में कितने लोग मारे गए थे?
इस मामले में 53 लोग मारे गए और 513 से अधिक घायल हुए।
क्या आरोपियों को जमानत मिलेगी?
यह निर्भर करेगा कि न्यायालय इस मामले को कैसे देखता है। अभी जमानत नहीं दी जानी चाहिए।
इस मामले में क्या चार्जशीट दाखिल की गई है?
हाँ, चार्जशीट में यूएपीए की धारा 16(ए) ए भी लगाई गई है, जिसमें मौत की सजा का प्रावधान है।
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