4 जुलाई अमेरिका के लिए क्यों महत्वपूर्ण है? क्या यह दो ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़ा है?

सारांश
Key Takeaways
- 4 जुलाई अमेरिका की स्वतंत्रता का प्रतीक है।
- 1776 में अमेरिका ने ब्रिटिश साम्राज्य से आज़ादी प्राप्त की।
- स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी स्वतंत्रता का अंतरराष्ट्रीय प्रतीक है।
- यह दिन स्वतंत्रता, लोकतंत्र और एकता का प्रतीक है।
- अमेरिका के इतिहास में यह दिन महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, 3 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका, जो विश्व के शक्तिशाली देशों में से एक है, आज किसी भी पहचान का मोहताज नहीं है। वैश्विक संकटों या महत्वपूर्ण मुद्दों पर, अमेरिका हमेशा पहले हस्तक्षेप करने वाला देश होता है। लेकिन एक समय ऐसा आया था जब यह महाशक्ति ब्रिटिश साम्राज्य की गुलामी में जकड़ी हुई थी। अमेरिका को गुलामी से आजादी 4 जुलाई को मिली थी, और यह दिन अमेरिकी इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
यह ऐतिहासिक दिन 1776 में है, जब अमेरिका ने ब्रिटिश हुकूमत से स्वतंत्रता प्राप्त की। इसके 108 वर्ष बाद, यानी 1884 में, फ्रांस ने इसे स्वतंत्रता का प्रतीक स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी उपहार में दिया। यह दिन न केवल अमेरिका की आजादी की कहानी बयां करता है, बल्कि स्वतंत्रता और वैश्विक एकता का प्रतीक भी बन जाता है।
अमेरिका की आजादी की बात करें तो, अमेरिका के ऑफिस ऑफ द हिस्टोरियन के अनुसार, 1760 और 1770 के दशक में उपनिवेशवासी ब्रिटिश सरकार के प्रति असंतोषित होने लगे। ब्रिटेन ने उपनिवेशों पर कई कर और कड़े नियम लागू किए, लेकिन उपनिवेशवासियों को ब्रिटिश संसद में कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला। इसका अर्थ था कि उनके हितों को नजरअंदाज किया जा रहा था।
इस असंतोष की शुरुआत उपनिवेशवासियों ने की, जिन्होंने इन करों और नियमों का खुलकर विरोध किया। जब ब्रिटेन ने उनके विरोध को अनसुना किया और Massachusetts में मार्शल लॉ लागू किया, तो गुस्सा और बढ़ गया। इसके बाद उपनिवेशवासियों ने चाय पर कर के खिलाफ ब्रिटिश चाय को बोस्टन हार्बर में फेंक दिया। इसके जवाब में, ब्रिटेन ने और सख्त कानून बनाए, जिससे उपनिवेशवासियों का गुस्सा और भड़क गया। 1774 में उपनिवेशवासियों ने एकजुट होकर कॉन्टिनेंटल कांग्रेस बनाई। इसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश सामानों का बहिष्कार करना और ब्रिटेन के खिलाफ एकजुट होकर प्रतिरोध करना था।
लड़ाई की शुरुआत 1775 में हुई, जब Massachusetts में उपनिवेशवासियों और ब्रिटिश सैनिकों के बीच संघर्ष हुआ। इससे कॉन्टिनेंटल कांग्रेस ने ब्रिटिश विरोध को और संगठित किया। थॉमस पेन की पुस्तक "कॉमन सेंस" (1776) ने स्वतंत्रता की मांग को और मजबूती दी। इस पुस्तक ने लोगों को समझाया कि ब्रिटिश राज से स्वतंत्र होना आवश्यक है। बेंजामिन फ्रैंकलिन जैसे नेताओं ने फ्रांस से सहायता मांगने का प्रयास किया, और फ्रांस ने कहा कि वे तभी मदद करेंगे जब उपनिवेश स्वतंत्रता की घोषणा करें। 4 जुलाई, 1776 को 13 अमेरिकी उपनिवेशों ने कॉन्टिनेंटल कांग्रेस के माध्यम से स्वतंत्रता की घोषणा की और अमेरिका को ब्रिटिश गुलामी से मुक्त किया।
इस ऐतिहासिक घटना के 108 वर्ष बाद, 1884 में, फ्रांस ने अमेरिका को स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी उपहार में दिया, जो स्वतंत्रता और लोकतंत्र का वैश्विक प्रतीक बन गया। इस मूर्ति को फ्रांसीसी मूर्तिकार फ्रेडेरिक ऑगुस्ते बार्थोल्डी ने डिजाइन किया था और इसके आंतरिक ढांचे को गुस्ताव एफिल ने तैयार किया था। यह मूर्ति एक रोमन देवी लिबर्टास की छवि पर आधारित है, जो स्वतंत्रता का प्रतीक है। इसे 350 टुकड़ों में पैक करके न्यूयॉर्क लाया गया और 28 अक्टूबर, 1886 को न्यूयॉर्क हार्बर में बेडलो द्वीप (अब लिबर्टी द्वीप) पर स्थापित किया गया। यह मूर्ति स्वतंत्रता, लोकतंत्र और अवसर का प्रतीक बन गई, खासकर उन लाखों प्रवासियों के लिए जो अमेरिका में नए जीवन की तलाश में आए।